Home राज्यराजस्थान Governor Haribhau Bagde ने चक्रधर प्रभु व भगवान गोविन्द प्रभु की पूजा कर राष्ट्र और राज्य की समृद्धि की कामना की

Governor Haribhau Bagde ने चक्रधर प्रभु व भगवान गोविन्द प्रभु की पूजा कर राष्ट्र और राज्य की समृद्धि की कामना की

by ekta
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Governor Haribhau Bagde ने चक्रधर प्रभु व भगवान गोविन्द प्रभु की पूजा कर राष्ट्र और राज्य की समृद्धि की कामना की

 Governor Haribhau Bagde सोमवार को राजापार्क स्थित श्री गोपाल मंदिर पहुंचे और उन्होंने वहां श्री चक्रधर प्रभु जी व भगवान श्री गोविन्द प्रभु जी महाराज की पूजा अर्चना कर उनसे राष्ट्र और राज्य की समृद्धि और खुशहाली की कामना की।

श्री बागडे ने बाद में कहा कि चक्रधर स्वामी और गोविन्द प्रभु जी महाराज के अवतार उत्सव पर उनकी दी हुई शिक्षाओं से हमें प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संतों के जीवन आदर्श जीवन जीने की सीख देते हैं। श्री चक्रधर स्वामी जी और गोविन्द प्रभु जी महाराज ने समाज में फैली कुरूतियों को दूर कर रूढियों के बंधन से मुक्त किया।
सर्वज्ञ चक्रधर स्वामी जी के जीवन और  आदर्शों की चर्चा करते हुए राज्यपाल श्री बागडे ने कहा कि वह वैष्णवाद परंपरा के प्रमुख प्रतिपादक ही नहीं थे बल्कि जाति,धर्म भेद से परे उन्होंने मानवता के धर्म को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा कि चक्रधर स्वामी ने ‘‘महानुभव पंथ‘‘ की स्थापना की और इसके जरिए से समाज के सभी वर्गो को जोडने का काम किया।
श्री बागडे कहा कि भगवान चक्रधर स्वामी मराठी भाषा के जन्मदाता माने जाते हैं।  कवयित्री महदंबा उनकी शिष्या थीं। मराठी के आद्यग्रंथ लीलाचरित्र में चक्रधर स्वामी की जीवनी समाविष्ट है।
राज्यपाल ने कहा कि ‘‘महानुभव पंथ‘‘ में पांच कृष्णो के विचार प्रमुख हैं। यह पांच कृष्ण, श्री दत्तात्रेय प्रभु, श्री चक्रपाणि, श्री गोविन्दा प्रभु और स्वयं श्री चक्रधर स्वामी। उन्होंने कहा कि चक्रधर स्वामी जन-जन से जुडे आलोक-पुरूष थे। उन्होंने जनता में एकता और समभाव का संदेष दिया। चक्रधर स्वामी ने अपने उपदेश मराठी भाषा में ही दिए। संक्षिप्त शैली में उनके सूत्र अर्थपूर्ण हैं। जीवन के मर्म को समझने वाले हैं। उन्होंने चक्रधर स्वामी की चार प्रमुख शिक्षाओं – अहिंसा, तप, ब्रह्मचर्य और भक्ति की चर्चा की।
श्री बागडे कहा कि गोविन्दा प्रभु भी महान समाज सुधारक थे। उन्होंने छुआछूत, जात-पात के भेद से समाज को मुक्त किया। आरंभ में उनका बहुत विरोध हुआ परंतु उन्होंने इसकी परवाह नहीं की संत ऐसे ही होते हैं।

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