समाजवादी पार्टी को एक जून को होने वाले लोकसभा चुनाव के आखिरी और सातवें चरण से पहले बड़ा झटका लगा है। मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे पूर्व मंत्री Narad Rai ने कहा कि वे पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल होंगे।
समाजवादी पार्टी को एक जून को होने वाले लोकसभा चुनाव के आखिरी और सातवें चरण से पहले बड़ा झटका लगा है। आपको बता दें कि पूर्व मंत्री नारद राय, जो सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे थे, ने पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल होने की घोषणा की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद बलिया के प्रमुख नेता नारद राय ने एक्स पर पोस्ट कर यह घोषणा की है।
Narad Rai ने अखिलेश पर लगाया गंभीर आरोप
सपा नेता नारद राय ने कहा, “बहुत भारी और दुखी मन से समाजवादी पार्टी छोड़ रहा हूं। 40 साल का साथ आज समाप्त हो गया है। मुझे अखिलेश यादव ने बेइज्जत कर दिया। मैंने मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव में से एक को चुना था, जो मेरी गलती थी। पिछले सात वर्षों से मुझे लगातार बदनाम किया गया है। 2017 में अखिलेश यादव ने मेरा टिकट काटा। 2022 में टिकट दिया, लेकिन 2022 में मेरे हार का भी प्रबंध किया।”
Narad Rai बोले- अपनी पूरी ताकत भाजपा के लिए लगाऊंगा
नारद राय ने कहा, “अब मैं अपनी पूरी ताकत भाजपा के लिए लगाऊंगा”, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद। बीजेपी को हराने की पूरी कोशिश करूंगा।
कौन हैं Narad Rai?
छात्र राजनीति से जनेश्वर मिश्र के जरिए मुख्यधारा की राजनीति में कदम रखने वाले समाजवादी विचारधारा के नेता नारद राय करीब सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाते हैं. बलिया नगर से विधायक रहे नारद राय सपा सरकारों में दो-दो बार कैबिनेट मंत्री रहे. मुलायम सिंह यादव से उनकी नजदीकी किस कदर थी, यह सपा में पारिवारिक रार के समय दिखी थी. तब नारद राय मुलायम सिंह यादव के साथ खड़े नजर आए थे. बाद में 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने सपा छोड़ बसपा उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ा था. हालांकि उन्हें शिकस्त मिली थी.
फिर 2022 में सपा के टिकट पर लड़े नारद
नारद राय ने 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर लड़ा, लेकिन जीत नहीं मिली। पार्टी ने बाद में नारद राय की उपेक्षा की खबरें दीं। 26 मई को नारद राय ने कटरिया में सपा उम्मीदवार सनातन पाण्डेय के समर्थन में एक चुनावी जनसभा में भाग लिया। किंतु सपा चीफ अखिलेश यादव में अपने सम्बोधन में उनका नाम नहीं लिया, जिसके बाद नाराज होकर उन्होंने सपा से नाता तोड़ लिया।