Table of Contents
Inflation in elections: महीने भर में आलू का औसत मूल्य 25.71 रुपये प्रति किलो से 12.72 प्रतिशत बढ़कर 28.98 रुपये पर पहुंच गया है। 6.41% की वृद्धि से प्याज भी 29.79 रुपये प्रति किलो से 31.70 रुपये पर पहुंच गया है। टमाटर पहले से ज्यादा लाल हो गया है।
टमाटर, प्याज और आलू टेंशन देने लगे हैं, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव के बीच यह सब होगा। पिछले महीने में आलू की औसत कीमत 12.72 प्रतिशत बढ़कर 28.98 रुपये प्रति किलो पहुंच गई है। 6.41% की वृद्धि से प्याज भी 29.79 रुपये प्रति किलो से 31.70 रुपये पर पहुंच गया है। टमाटर पहले से ज्यादा लाल हो गया है। यह भी औसत भाव 30.48 रुपये प्रति किलो से उछलकर 32.51 रुपये पर पहुंच गया है। उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट स्रोत है।
दूसरी ओर, सरकार द्वारा जारी डेटा के अनुसार अप्रैल में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 6.88 प्रतिशत से 7.74% हो गई। यह चार महीने का सर्वोच्च स्तर है। फरवरी में खाद्य महंगाई 7.07 प्रतिशत पर थी, जबकि जनवरी में 6.91 प्रतिशत पर थी।
थाली से गायब हुईं सब्जियां
मंगलवार को वाणिज्य मंत्रालय ने जारी किए गए आंकड़ों में सब्जियों की महंगाई दर 23.60 प्रतिशत रही, जो मार्च में 19.52 प्रतिशत थी। आलू-प्याज की कीमतों में सबसे अधिक इजाफा हुआ है। अप्रैल में आलू की महंगाई दर 71.97 प्रतिशत थी, जो मार्च में 52.96 प्रतिशत थी। महंगाई दर भी मार्च में 56.99 प्रतिशत से 59.75 प्रतिशत हो गई। यही कारण है कि अप्रैल में ईंधन और बिजली की महंगाई दर मार्च की तुलना में -0.77% रही। यानी इसमें तेजी से सुधार हुआ है।
कई वस्तुएं सस्ती, फिर भी बढ़ी महंगाई
आंकड़े बताते हैं कि थोक मुद्रास्फीति सूचकांक में शामिल 17 वस्तुओं में से 11 के मूल्य घटे हैं, लेकिन थोक महंगाई बढ़ी है। माना जाता है कि इसका कारण बिजली, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, खाद्य उत्पादों का उत्पादन और अन्य विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादों की कीमतें बढ़ने हैं। दालें, गेहूं, दूध, अनाज आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि मौसम खाद्य मुद्रास्फीति की दिशा को प्रभावित करता है। इस साल देश के कुछ हिस्सों में लू चल रहा है, क्योंकि पिछले साल मानसून बहुत अच्छा नहीं था। गर्मी की शुरुआत के साथ, जल्दी खराब होने वाले सामान की कीमतें बढ़ रही हैं।
नायर ने अनुमान लगाया कि अगले दो महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ेगी और फिर आधार प्रभावी होगा। जुलाई से अगस्त तक अस्थायी गिरावट देखने को मिल सकती है। इक्रा ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए औसत थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
थोक महंगाई की चाल
अप्रैल 1.26
मार्च 0.53
फरवरी 0.20
जनवरी 0.33
दिसंबर 0.86
नवंबर 0.39
(आंकड़े प्रतिशत में)
पिछले साल दिसंबर के मुकाबले महंगाई दर
वस्तुएं मार्च 24 दिसंबर 2022
धान 11.74 11.74
सब्जियां 19.52 19.52
आलू 52.96 52.96
प्याज 56.99 59.75
गेहूं 7.43 5.69
दालें 17.24 16.58
(आंकड़े प्रतिशत में)