Home धर्म Shardiya Navratri: ज्योतिर्विद ने बताया कि अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करने का सर्वोत्तम समय कब है

Shardiya Navratri: ज्योतिर्विद ने बताया कि अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करने का सर्वोत्तम समय कब है

by editor
Shardiya Navratri: ज्योतिर्विद ने बताया कि अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करने का सर्वोत्तम समय कब है

Shardiya Navratri: जिन लोगों ने नवरात्र अष्टमी का व्रत रखा है, वे अब उदय कालिक अष्टमी, यानी 11 अक्टूबर में कन्या का पूजन कर सकते हैं। 11 अक्टूबर कन्या भोज का दिन है। इस दिन पूरे दिन महाअष्टमी का कन्या पूजन किया जा सकता है।

Shardiya Navratri: शारदीय नवरात्र की तिथि सप्तमी, अष्टमी और नवमी को लेकर कुछ मतभेद थे। जो लोग सप्तमी का व्रत करते हैं, वो अष्टमी को कन्या पूजन करते हैं और जो लोग अष्टमी का व्रत रखते हैं, वो नवमी को कन्या पूजन करते हैं। इस वर्ष नवरात्र की तारीखें बदल गई हैं क्योंकि तिथियों में बदलाव हुआ है। 9 अक्टूबर, बुधवार को सप्तमी तिथि शुरू हुई और 10 अक्टूबर तक जारी रहेगी। 10 अक्टूबर सुबह से अष्टमी तिथि शुरू होगी, और 11 अक्टूबर को सूर्योदय के तुरंत बाद सुबह 6:52 बजे तक रहेगी। जिन लोगों ने अब सप्तमी का व्रत रखा है, वे कन्या का पूजन उदय कालिक अष्टमी, यानी 11 अक्टूबर में कर सकते हैं। 11 अक्टूबर कन्या भोज का दिन है। इस दिन पूरे दिन महाअष्टमी का कन्या पूजन किया जा सकता है।

अष्टमी का कन्या पूजन कब उत्तम

इसका मूल कारण यह है कि अष्टमी या सप्तमी तिथि में कन्या भोज करने से उतना लाभ नहीं मिलेगा जितना कि नवमी या अष्टमी तिथि में भोज करने से, क्योंकि सप्तमी तिथि का स्वामी सूर्य है। शिव भगवान अष्टमी तिथि का स्वामी हैं। जबकि नवमी तिथि माता दुर्गा का दिन है। अष्टमी से युक्त नवमी में कन्या भोज करना अधिक फायदेमंद होगा क्योंकि इससे माता दुर्गा और भगवान शिव दोनों का आशीर्वाद मिलेगा।

नवमी तिथि शुक्रवार, 11 अक्टूबर की रात, सूर्योदय से पहले 5:47 बजे तक रहेगी। इसके बाद दशमी लगेगी। इस तरह, 11 अक्टूबर, शुक्रवार को महाअष्टमी और महानवमी दोनों के व्रत किए जाएंगे। अर्थात चढ़ती उतरती का व्रत करने वाले लोग 11 अक्टूबर दिन शुक्रवार को व्रत करेंगे।

10 अक्टूबर, बृहस्पतिवार की महानिशा में रात्रि कालीन अष्टमी तिथि की पूजा की जाएगी। 11 अक्टूबर, शुक्रवार को महाष्टमी और महानवमी दोनों व्रतों का मान होगा। 11 अक्टूबर, शुक्रवार को पूजा पंडालो में संधि पूजन प्रातः 6:28 से 7:16 के बीच में किया जाएगा। 11 अक्टूबर की भोर में 5:47 बजे से 12 अक्टूबर की भोर में 5:47 बजे तक हवन संबंधित कार्य किसी भी समय किया जा सकता है, नवरात्र से संबंधित 9 दिनों तक चल रहे दुर्गा सप्तशती पाठ के समापन के बाद। 12 अक्टूबर, शनिवार को पूरे नवरात्र व्रत का पारण होगा। 12 अक्टूबर, शनिवार को विजयादशमी का पावन पर्व मनाया जाएगा। दुर्गा प्रतिमाओं को श्रवण नक्षत्र में 12 अक्टूबर को ही विसर्जित किया जाएगा। 12 अक्टूबर की रात 12:51 तक श्रवण नक्षत्र रहेगा। इसलिए, दुर्गा प्रतिमाओं को दिन भर 12:51 बजे से रात 12:51 बजे तक विसर्जन किया जा सकता है।

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