उत्तराखंड
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से उत्तराखण्ड तीर्थ पुरोहित महापंचायत के पदाधिकारियों ने की भेंट
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से मंगलवार को मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में उत्तराखण्ड तीर्थ पुरोहित महापंचायत के पदाधिकारियों ने भेंट कर मुख्यमंत्री को उनके 03 साल का कार्यकाल पूर्ण होने पर बधाई दी।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से उत्तराखण्ड तीर्थ पुरोहित महापंचायत के पदाधिकारियों ने की भेंट कैबिनेट द्वारा राज्य के चारधाम और अन्य प्रमुख मंदिरों के नाम ट्रस्ट या समिति गठित किये जाने के विरूद्ध कठोर विधिक प्राविधान किये जाने के निर्णय के लिए मुख्यमंत्री का जताया आभार चार धाम के महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व और मेलों के लिए राज्य सरकार की ओर से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराये जाने का किया अनुरोध चारधाम यात्रा को व्यवस्थित करने के लिए गठित की जाने वाली संस्था के गठन से पूर्व चार धाम के तीर्थ पुरोहित्तों, मंदिर समितियों आदि को विश्वास में लिये जाने का मुख्यमंत्री से किया अनुरोध चार धाम यात्रा को बेहतर बनाने तथा आने वाले 30 वर्षों की यात्रा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार चारधाम यात्रा को व्यवस्थित करने के लिए प्राधिकरण या किसी अन्य संस्था के गठन की बना रही है योजनामुख्यमंत्री चारधाम यात्रा के तहत श्रद्धालुओं के लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन व्यवस्था को और बेहतर बनाने के किये जा रहे हैं
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में उत्तराखण्ड तीर्थ पुरोहित महापंचायत के पदाधिकारियों ने भेंट कर मुख्यमंत्री को उनके 03 साल का कार्यकाल पूर्ण होने पर बधाई दी। उन्होंने चारधाम यात्रा को व्यवस्थित करने के लिए गठित किये जाने वाले प्राधिकरण या किसी अन्य संस्था के गठन के सबंध में लिये गये निर्णय तथा कैबिनेट द्वारा राज्य के चारधाम और अन्य प्रमुख मंदिरों के नाम ट्रस्ट या समिति गठित किये जाने के विरूद्ध कठोर विधिक प्राविधान किये जाने के निर्णय के लिए भी मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने मुख्यमंत्री के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे देशभर में चारधामों के जो करोडों श्रद्धालु हैं उनमें किसी तरह के भ्रम की स्थिति नही होगी। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से यह राज्य सरकार का अच्छा निर्णय है और देवस्थानम बोर्ड का निर्णय वापस लिये जाने के बाद तीर्थ पुरोहितों के हित में लिया गया निर्णय है जिसका सभी तीर्थ पुरोहित, पुजारी, रावल और सभी लोग स्वागत करते हैं। उत्तराखण्ड तीर्थ पुरोहित महापंचायत के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से चार धाम के महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व और मेलों के लिए राज्य सरकार की ओर से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराये जाने का अनुरोध किया ताकि स्थानीय स्तर पर इन आयोजनों को दिव्य और भव्य ढंग से आयोजित किया जा सके।
उन्हांने चारधाम यात्रा को व्यवस्थित करने के लिए गठित की जाने वाली प्रस्तावित प्राधिकरण या किसी अन्य संस्था के गठन से पूर्व चार धाम के तीर्थ पुरोहित्तों, मंदिर समितियों, तीर्थ पुरोहित महा सभाओं के साथ ही हित धारकों को विश्वास में लिये जाने की भी बात मुख्यमंत्री के समक्ष रखी। चार धाम यात्रा से संबधित वीडियो, अपुष्ट और भ्रामक प्रचार प्रसार करने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किये जाने तथा यात्रा काल में पंजीकरण व्यवस्था के चलते कोई तीर्थ यात्री चार धाम आने से वंचित न रह जाये। इसके लिये जनहित में पंजीकरण व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त किये जाने का भी अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कैबिनेट द्वारा राज्य के चार धाम व अन्य प्रमुख मन्दिरों के नाम से ट्रस्ट या समिति गठित किये जाने के विरूद्ध कठोर विधिक प्राविधान किये जाने से जन समान्य में असमंजस की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। साथ ही स्थानीय परम्पराओं एवं धार्मिक मान्यताओं को भी ठेस नहीं पहुंचेगी तथा स्थानीय स्तर पर आक्रोश की भी सम्भावना नहीं रहेगी। इसके दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा कड़े विधिक प्राविधान लागू किये जाने का निर्णय कैबिनेट द्वारा राज्य हित में लिया गया है। अब राज्य के अन्दर अथवा राज्य के बाहर कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था किसी समिति अथवा ट्रस्ट का गठन कर राज्य के चार धामों एवं प्रमुख मंदिरों के नाम पर समिति अथवा ट्रस्ट का गठन नहीं कर पायेगा। इससे इस संबंध में उत्पन्न विवाद का भी समाधान होगा ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चार धाम यात्रा को बेहतर बनाने तथा आने वाले 30 वर्षों की यात्रा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार चारधाम यात्रा को व्यवस्थित करने के लिए प्राधिकरण या किसी अन्य संस्था के गठन की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि इसमें तीर्थ पुरोहितों और हित धारकों की राय भी ली जाएगी। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने तीर्थ पुरोहितों के अनुरोध पर प्रत्येक धाम में आयोजित होने वाले दो धार्मिक आयोजनों एवं पर्वो के लिए राज्य सरकार की ओर से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की भी बात कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा के तहत श्रद्धालुओं के लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन व्यवस्था को और बेहतर बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। यात्रा के दूसरे चरण में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही व्यवस्थाएं खुली रखी जाएगी। चार धाम आने वाले किसी भी यात्री को असुविधा न हो इसके हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
इस अवसर पर महानिदेशक सूचना श्री बंशीधर तिवारी, चारधाम महापंचायत के महासचिव डॉ बृजेश सती, किशोर भट्ट, यमुनोत्री तीर्थ पुरोहित महासभा अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल, चारधाम महापंचायत के मीडिया प्रभारी रजनीकांत सेमवाल, उपाध्यक्ष अमित उनियाल, गंगोत्री धाम के आलोक सेमवाल, लखन उनियाल, सुरेश हटवाल, रमेश कोठियाल, चिंतामणि हटवाल, गौरव, हार्दिक ,शिवम, सुशील एवं डॉ मनीष सेमवाल आदि उपस्थित रहे।
Uttarakhand Weather News: स्कूल बंद, हाई अलर्ट, अफसरों की छुट्टियां रद्द, पहाड़ों पर खराब हुआ मौसम
Uttarakhand Weather News: जिलाधिकारी ने राष्ट्रीय राजमार्ग, लोक निर्माण विभाग और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अधिकारियों को अलर्ट पर रहने और आपातकालीन परिस्थितियों में मोटर मार्गों को खुलवाने के निर्देश दिए हैं।
पहाड़ी क्षेत्रों में प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया है क्योंकि मौसम विभाग ने चेतावनी दी है। चंपावत प्रशासन को अलर्ट मोड़ में रहने के निर्देश दिए गए हैं, जबकि बागेश्वर जिले में स्कूलों में मंगलवार को अवकाश घोषित किया गया है। मौसम विभाग ने पहाड़ी क्षेत्रों में दो जुलाई से चार जुलाई तक भारी से बहुत भारी वर्षा की अनुमान लगाया है, जैसा कि बागेश्वर जिलाधिकारी अनुराधा पाल ने जारी किया है।
इसलिए, उन्होंने सभी शासकीय, अशासकीय और निजी स्कूलों को सुरक्षा के लिए बंद करने का आदेश दिया, साथ ही जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों को भी। विचलन की स्थिति में कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। चंपावत प्रशासन भी अलर्ट पर है। आईआरएस प्रणाली में नामित सभी अधिकारियों को जिलाधिकारी नवनीत पांडे ने हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया है। साथ ही, मुख्यालय और अधिकारियों के अवकाश पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
जिलाधिकारी ने राष्ट्रीय राजमार्ग, लोक निर्माण विभाग और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अधिकारियों को सतर्क रहने और आपातकालीन परिस्थितियों में तुरंत मोटर मार्गों को खुलवाने के निर्देश दिए हैं। तहसीलदार, पटवारी और थाना प्रभारियों को भी मय उपकरणों के अपने स्थानों पर रहने का निर्देश भी दिया गया है। उन्होंने अधिकारियों से टनकपुर और बनबसा में जलभराव की स्थिति पर भी ध्यान देने को कहा है।
Dehradun News: देहरादून में अतिक्रमण के खिलाफ फिर जमकर गरजेगा बुलडोजर, 250 घरों पर कार्रवाई
Dehradun News: एमडीडीए ने पहले रिस्पना के किनारे अवैध निर्माण की सूचना दी है। 412 में से लगभग 250 मकान में रह रहे लोगों के पास 11 मार्च 2016 से निर्माण के साक्ष्य नहीं है।
Dehradun News: धामी सरकार एक बार फिर बुलडोजर ऐक्शन होने वाला है। देहरादून में अवैध 250 घरों को धवस्तीकरण किया जाएगा। सोमवार सुबह, मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) काठबंगला और वीर गब्बर सिंह बस्ती में लगभग 250 अवैध निर्माण को ध्वस्त करेगा।
इसके लिए दो दल बनाए गए हैं। विरोध की आशंका के कारण प्राधिकरण ने कार्रवाई स्थल पर पर्याप्त पुलिस फोर्स भेजने की मांग की है। एनजीटी के आदेश पर अवैध निर्माण पर कार्रवाई की जा रही है। एमडीडीए के मुताबिक पहले रिस्पना के किनारे अवैध निर्माण को चिन्हित किया गया है।
412 में से लगभग 250 मकान 11 मार्च 2016 से पहले बनाए गए होने का साक्ष्य नहीं दे पाए। इनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। एमडीडीए को कार्रवाई के बाद इस महीने के आखिर में NGT से उत्तर देना होगा।
इसलिए सोमवार से कार्य शुरू करने का फैसला किया गया है। कार्रवाई के लिए एक टीम बनाई गई है, एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने बताया। कार्रवाई सुबह नौ बजे से शुरू होगी। एमडीडीए, नगर निगम, जिला प्रशासन और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी और कर्मचारी इस दौरान उपस्थित रहेंगे।
करोड़ों रुपये का बजट क्यों खर्च किया जा रहा है?: विरोध दर्ज करने एमडीडीए पहुंचे लोगों ने बताया कि शुरूआत में वह बस्तियों में झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रहे। पानी के लिए पहले जनप्रतिनिधियों ने हैडपंप लगाए। बिजली कनेक्शन भी प्रदान किए गए। सीवर पेयजल लाइनें अब बिछाई जाती हैं। उनका कहना है कि आखिर अवैध रूप से बनाए गए घरों पर करोड़ों रुपये खर्च करके काम क्यों करवाए जा रहे हैं?
बस्ती में कार्रवाई का विरोध
देहरादून में सोमवार को सीटू कार्यालय में सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) की जिला कमेटी की बैठक हुई। बस्तियों में कार्रवाई का जिला अध्यक्ष कृष्ण गुनियाल ने विरोध किया। सीटू के जिला महामंत्री लेखराज ने कहा कि सरकार बस्तियों में काम करने पर रोक लगानी चाहिए थी।
27 जून को विरोध प्रदर्शन होगा, उन्होंने कहा। एसएस नेगी, राम सिंह भंडारी, हरीश कुमार, रतन लाल, जानकी चौहान, लक्ष्मी पंत, मनीषा राणा, अनीता, उषा भंडारी आदि इस दौरान उपस्थित थे।
नगर निगम हाउस टैक्स क्यों जमा कर रहा है?
व्यवसाय शुरू होने से बस्तियों में लोगों ने विभागों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने लगे हैं। लोगों का कहना है कि 2016 के बाद बने घरों पर नगर निगम हाउस टैक्स क्यों जमा कर रहा है, जब बस्ती के घर अवैध हैं? ऊर्जा निगम और जलसंस्थानों ने बिजली और पानी के कनेक्शन क्यों प्रदान कर रहे हैं?
बैकफुट पर आने वाले नेता
बस्तियों में कार्रवाई का पहले बहुत सारे जनप्रतिनिधि विरोध कर रहे थे। लेकिन ज्यादातर अब पीछे हैं। दो वरिष्ठ अधिकारियों पर देरी पर जुर्माना भी लगाया गया है। ऐसे में कोई नेता खुलकर प्रतिक्रिया नहीं कर रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि लोगों ने 2016 में बस्तियों में घर बनाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बाद क्या सोचकर अवैध निर्माण किया।
Uttarakhand News: राधा रतूड़ी ने गृह सचिव को बताया कि उत्तराखंड में वनाग्नि के आंकड़ों का दुष्प्रचार पर पड़ेगा महंगा
Uttarakhand News: उत्तराखंड सरकार ने भी वनाग्नि के झूठे दावे पर कार्रवाई करने का फैसला किया है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला की अध्यक्षता में हुई वर्चुअल बैठक में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने जानकारी
गुरुवार को उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार ने भी वनाग्नि के गलत आंकड़ों पर कार्रवाई करने का फैसला किया है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने वर्चुअल बैठक में जानकारी दी, जिसे केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने अध्यक्षता की। उनका कहना था कि राज्य में पिछले 24 घंटे में केवल 25 आग की घटनाएं हुईं। 52 हेक्टेयर क्षेत्र में जंगल जला हुआ है।
उत्तराखंड के जंगलों में फैल रही आग को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय गृह सचिव ने राज्य के अफसरों के साथ एक समीक्षा बैठक की। इस दौरान, मुख्य सचिव रतूड़ी ने बताया कि पिछले दो दिनों से वनाग्नि की घटनाओं में लगातार कमी आ रही है। उन्हें बताया गया कि वनाग्नि ने 0.1 प्रतिशत वन प्रभावित किए हैं। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जंगलों की आग पर नियंत्रण करने के लिए समीक्षा बैठकों और नियमित रूप से निगरानी कर रहे हैं। इसके साथ ही, सरकार और प्रशासन ने अपनी पूरी शक्ति वनाग्नि नियंत्रण में लगा दी।
पीसीसीएफ (हॉफ) भी वन विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारियों के साथ निगरानी कर रहे हैं और सभी डिवीजनों से आवश्यकताओं के बारे में जानकारी ले रहे हैं। मुख्यालय स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को भी इस क्षेत्र में नियुक्त किया गया है। मौसम ने भी वनाग्नि को नियंत्रित किया है।
केंद्रीय गृह सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार वनाग्नि नियंत्रण में हर संभव मदद करेगी। प्रमुख सचिव आरके सुंधाशु, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन, सचिव डा. रंजीत कुमार सिन्हा और अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा ने बैठक में भाग लिया।
ग्रामीणों का सहयोग भी अहम
मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में वन पंचायतों, वनाग्नि प्रबंधन समितियों, महिला मंगल दलों और युवा मंगल दलों को आग पर नियंत्रण के बारे में जागरूक किया गया था। उनकी सहायता से भी गांवों के आसपास के जंगलों में वनाग्नि को नियंत्रित किया गया है। बताया कि वन संपदा को नुकसान पहुंचाने और जानबूझकर जंगलों में आग लगाने पर राज्यभर में अब तक वन अधिनियम के तहत 417 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। जिनमें से 356 लोग अभी भी अज्ञात हैं, और 61 मामलों में 75 लोग नामजद हैं। वहीं पुलिस ने 13 मामले दर्ज किए और 10 लोगों को गिरफ्तार किया।
वनाग्नि पर बड़े अफसरों की जिम्मेदारी तय हो : दिलीप
भाजपा के लैंसडौन विधायक महंत दिलीप रावत ने वनाग्नि मामले में वन विभाग के निचले स्तर के कर्मचारियों की कार्रवाई पर सवाल उठाया। गुरुवार को उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर कहा कि विभाग के बड़े अधिकारियों को वनाग्नि मामले में जवाब देना चाहिए। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में विधायक दिलीप रावत ने कहा कि वन विभाग के छोटे कर्मचारियों को ही वनाग्नि का दोषी ठहराया जा सकता है। लंबे समय से विभाग में छोटे कर्मचारियों की कमी है, उन्होंने कहा। विधायक दिलीप ने बताया कि अंग्रेजों ने जंगलों को आग से बचाने के लिए फायर लाइन बनाई। लेकिन यह आज नहीं हो सकता।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विधायक दिलीप रावत ने पत्र में उठाए गए मुद्दों पर विचार किया जाएगा। लापरवाही करने वाले छोटे से बड़े सभी अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
Supreme Court ने जंगल की आग देखकर इंद्रदेव पर भरोसा नहीं किया, इस राज्य की लगाई क्लास
Supreme Court: उत्तराखंड सरकार ने न्यायालय को बताया कि जंगल की भीषण आग पर नियंत्रण पाने के लिए राज्य का केवल 0.1 प्रतिशत वन्यजीव क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) या “इंद्रदेव पर निर्भरता” उत्तराखंड में जंगल में आग की बढ़ती घटनाओं का निदान नहीं है और इस समस्या से निपटने के लिए अधिकारियों को एहतियाती उपाय करने होंगे। उत्तराखंड सरकार ने न्यायालय को बताया कि जंगल की भीषण आग पर नियंत्रण पाने के लिए राज्य का केवल 0.1 प्रतिशत वन्यजीव क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को बताया कि नवंबर से राज्य में 398 जंगलों में आग लगने की घटनाएं हुई हैं, जिसमें पांच लोग मारे गए हैं। पीठ को उत्तराखंड के उपमहाधिवक्ता जतिन्दर कुमार सेठी ने बताया कि सभी घटनाएं मानव निर्मित थीं। उनका कहना था कि जंगल की आग से 388 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं और 60 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
उनका कहना था, ‘‘लोग कहते हैं कि उत्तराखंड का 40 प्रतिशत हिस्सा आग से जल रहा है, जबकि इस पहाड़ी राज्य में वन्यजीव क्षेत्र का केवल 0.1 प्रतिशत हिस्सा ही आग की चपेट में है। और ये सब लोगों ने बनाया था। नवंबर से आज तक जंगल में 398 आग की घटनाएं हुई हैं, जिनमें से सभी मानव-निर्मित हैं।साथ ही, उपमहाधिवक्ता ने पीठ को अंतिम स्थिति रिपोर्ट दी, जिसमें जंगल की आग को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों द्वारा किए गए उपायों का विवरण था।
वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि “क्लाउड सीडिंग” (कृत्रिम बारिश) या “इंद्र देवता पर निर्भर रहना” इस मुद्दे का समाधान नहीं है और याचिकाकर्ता का कहना सही है कि राज्य को निवारक उपाय करने होंगे।पीठ राज्य में जंगल की आग की बढ़ी हुई घटनाओं पर सुनवाई कर रही थी।
सेठी ने कहा कि आग बुझाने के लिए भारतीय वायुसेना के कई हेलीकॉप्टर उपलब्ध हैं। तब पीठ ने पूछा, ‘‘आग से मरने वालों की संख्या क्या है?जवाब में उन्होंने कहा कि जंगल में लगी आग ने पांच लोगों को मार डाला। पीठ ने यह भी पूछा कि ऐसी घटनाओं में कितने जानवर मारे गए? सेठी ने कहा कि जानकारी प्राप्त करके अदालत को सूचित करेंगे।
मामले में पक्षकार बनने के लिए अर्जी दायर करने वाले एक वकील ने पीठ से कहा कि राज्य सरकार एक “बेहद गुलाबी तस्वीर” पेश कर रही है, लेकिन कई मीडिया रिपोर्टों ने कहा कि जंगल की आग से निपटने में शामिल पूरी मशीनरी चुनाव-संबंधी काम में व्यस्त है।
“स्थिति दयनीय है,” उन्होंने कहा। लोगों के पास आग बुझाने के लिए आवश्यक उपकरण तक नहीं हैं।मामले में पेश हुए एक अन्य अधिवक्ता ने कहा कि देवदार के पेड़ों से पूरा जंगल ढका हुआ था, जो आग का कारण था। पीठ ने कहा, “अंग्रेजों ने इन्हें लगाया होगा, लेकिन अब उनका इस्तेमाल देश में किया जा रहा है।” हम उन पेड़ों को खत्म नहीं कर सकते और वे निचले क्षेत्रों में नहीं उग सकते।”
न्यायालय ने कहा कि जंगल की आग एक “गंभीर समस्या” नहीं है जिस पर बहस हो रही है। सुनवाई में उत्तराखंड में बारिश की संभावना पर भी चर्चा हुई। सेठी ने कहा कि जंगल की आग सिर्फ उत्तराखंड में नहीं है, बल्कि दुनिया भर में फैल रही है। पीठ ने 15 मई को मामले की अगली सुनवाई तय की।
शीर्ष अदालत ने वर्ष 2019 में जंगल की आग पर एक याचिका की सुनवाई करते हुए कहा था कि ऐसी घटनाएं, खासकर गर्मियों के दौरान, पहाड़ी राज्यों में एक गंभीर समस्या पैदा करती हैं और इसका कारण बड़ी संख्या में देवदार के पेड़ों की मौजूदगी है, जो अत्यधिक ज्वलनशील होते हैं।