यूपी उपचुनाव में सपा का दांव होगा, जहां से अखिलेश यादव इन्हें प्रत्याशी बना सकते हैं।

by editor
यूपी उपचुनाव में सपा का दांव होगा, जहां से अखिलेश यादव इन्हें प्रत्याशी बना सकते हैं।

अखिलेश यादव: सपा ने उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं। अखिलेश यादव सिर्फ पीडीए दांव खेलने के लिए तैयारी में हैं।

अखिलेश यादव: केंद्र की सियासत के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी अखिलेश यादव का पूरा ध्यान है। अब उनका लक्ष्य निकट भविष्य में 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनावों पर है। वह सभी सीटों पर चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं, और इस बार भी पीडीए उनका ट्रंप कार्ड खेलेगा।

पार्टी मिल्कीपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव में अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को मैदान में उतार सकती है, सूत्रों ने बताया। पार्टी भी लालजी वर्मा की बेटी छाया वर्मा पर दांव लगा सकती है। लालजी वर्मा अक्सर इस सीट से चुने जाते हैं और अब अम्बेडकरनगर से सांसद हैं। सपा अमर नाथ मौर्य को फूलपुर विधानसभा सीट पर प्रत्याशी बना सकती है। हाल ही में भाजपा के प्रवीण पटेल ने फूलपुर लोकसभा सीट पर मौर्य को बहुत कम वोटों से हराया था। जिस करहल विधानसभा सीट से अखिलेश यादव ने इस्तीफा दिया है, तेज प्रताप यादव को वहाँ अवसर मिल सकता है। तेज प्रताप मैनपुरी से सांसद रहे हैं और मुलायम सिंह यादव के पुत्र हैं। मैनपुरी लोकसभा में करहल सीट है। इरफान सोलंकी कानपुर की सीसामऊ से विधायक बन गया है। सपा के कई नेता यहां दावेदार हैं।

इन पदों पर उपचुनाव होना चाहिए

करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, फूलपुर, मझवां और सीसामऊ-इन में दस सीटों पर चुनाव होना है। विधानसभा ने इन सीटों को खाली घोषित कर दिया है। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी और सीसामऊ में जीत हासिल की, जबकि भाजपा ने गाजियाबाद, खैर और फूलपुर में जीत हासिल की। रालोद ने मीरापुर सीट जीती, जबकि एनडीए और इंडिया गठबंधन ने 2022 में पांच-पांच सीटें जीतीं।

कांग्रेस भी चाहती है दो से तीन सीटें।

वर्तमान में कांग्रेस और सपा का गठबंधन अच्छी तरह चल रहा है और दोनों दल मिलकर अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं। भाजपा जीतने वाली सीटों में से सपा-कांग्रेस को दो से तीन सीटें मिल सकती हैं। गाजियाबाद भी इसमें शामिल है। हाल ही में हुए लोकसभा उपचुनाव में भी सपा ने कांग्रेस को लखनऊ पूर्व सीट दी थी। हालांकि यहां भाजपा जीती।

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