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सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में बैठक में सभी ने अपनी भरोसा जताया। पार्टी के साथ खड़े रहने का भी वादा किया।
अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने एसजीपीसी सदस्यों के साथ बैठक की, जब शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में बगावत चल रही थी। बैठक में कुल 106 लोग उपस्थित हुए। सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में बैठक में सभी ने अपनी आस्था जताई। पार्टी के साथ खड़े रहने का भी वादा किया। पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने यह दावा किया। उन्होंने बताया कि दिल्ली की शह पर शिरोमणि अकाली दल को कमजोर करने की कोशिश कर रहे लोगों के बारे में भी सदस्यों ने अपनी राय दी। इस दौरान राजस्थान में सिख छात्रा को पेपर में न बैठने देने और हिमाचल में हुई घटनाओं को लेकर चर्चा की गई। एसजीपीसी चुनाव को लेकर भी योजना बनाई गई।
बागी गुट की मंशा सामने आई
चीमा ने कहा कि आज बागी गुट की मंशा दिखाई दी है। वे चाहते थे कि जालंधर उपचुनाव में पार्टी की छवि खराब हो जाए। उन्होंने अकाली दल के एक पुराने परिवार को आप में स्थानांतरित कर दिया। इसलिए यह हलका बसपा को देने का निर्णय लिया गया है। उनका कहना था कि किसी भी परिवार के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था।
चुनाव नतीजों के बाद शुरू हुई बगावत
लोकसभा चुनावों के बाद पार्टी में विद्रोह की आवाज उठी। क्योंकि शिअद नेता और पार्टी प्रमुख की पत्नी हरसिमरत कौर बादल को छोड़कर कोई भी व्यक्ति चुनाव जीत नहीं पाया था। पार्टी ने फिर चंडीगढ़ में कोर कमेटी की एक बैठक बुलाई। सुखबीर बादल के नेतृत्व पर पहले भी प्रश्न उठ रहे थे।
सभा में सब कुछ अच्छा रहा, लेकिन अकाली दल के जालंधर के उम्मीदवार को लेकर विवाद हुआ। बीएसपी ने उम्मीदवार के नामांकन के बाद पद छोड़ दिया। इसके बाद पार्टी के अंदर चल रही जंग खुलकर सामने आ गई।