Home राज्यउत्तर प्रदेश Lok Sabha Election 2024: बीजेपी का नया चैलेंज, रारायबरेली-अमेठी में किस करवट बैठेगा अदावत का ऊंट

Lok Sabha Election 2024: बीजेपी का नया चैलेंज, रारायबरेली-अमेठी में किस करवट बैठेगा अदावत का ऊंट

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Lok Sabha Election 2024: बीजेपी का नया चैलेंज, रारायबरेली-अमेठी में किस करवट बैठेगा अदावत का ऊंट

Lok Sabha Election 2024: रास चुनावों में सपा से अलग हुए दो विधायकों, रायबरेली के ऊंचाहार से मनोज पाण्डेय और अमेठी की गौरीगंज सीट से राकेश प्रताप सिंह का पार्टी लोकसभा चुनावों में सहयोग कैसे कर सकेगी? यह एक चुनौती बन गया है।

‘कह रहीम कैसे निभे केर बेर को संग..वे डोलत रस आपने उनके फाटत अंग..।रायबरेली-अमेठी की राजनीति में अलग-अलग खेमे में विभाजित विधायकों और उनकी राजनीतिक-व्यक्तिगत प्रतिबद्धता को लेकर रहीम का यह दोहा आज की परिस्थितियों में पूरी तरह सटीक है। अमेठी और रायबरेली में रिकार्ड बनाने की कोशिश कर रही भारतीय जनता पार्टी को कुछ ऐसी ही स्थिति मिल रही है। राज्यसभा चुनावों में सपा से अलग हुए दो विधायकों, रायबरेली के ऊंचाहार से मनोज पाण्डेय और अमेठी की गौरीगंज सीट से राकेश प्रताप सिंह का पार्टी लोकसभा चुनावों में सहयोग कैसे कर सकेगी? यह एक चुनौती बन गया है। भाजपा इसे कम करने की कोशिश कर रही है, लेकिन परिणामों से पता चलेगा कि उसका प्रयास कितना सफल रहा है।

अदिति बनाम दिनेश 

भाजपा सरकार से निकटता के बाद, अदिति सिंह ने 2022 में भाजपा के बैनर तले चुनाव जीता और विधायक बनी। 2017 में अदिति सिंह रायबरेली सदर से कांग्रेस से जीती थीं। 2019 में उन्हें जानलेवा हमला हुआ था। वास्तव में, अदिति सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष अवधेश प्रताप सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए जिला पंचायत सदस्यों को लेकर जा रही थीं। ऊंचाहार क्षेत्र में उनके काफिले पर हमला हुआ, जिससे अदिति सिंह की कार पटल गई। उनकी कार पर भी गोली चलाई गई। रायबरेली से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे दिनेश प्रताप सिंह के भाई अवधेश प्रताप सिंह हैं। इसके बाद से ही दोनों में अदावत चली आ रही है, जो आज तक खत्म नहीं हुई। यह बात दीगर है कि दिनेश प्रताप सिंह के बेटे ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट लिखकर इस अदावत पर पानी डालने का प्रयास किया था, जिसे बाद में उसे डिलीट कर दिया।

अदिति-बनाम मनोज पाण्डेय 

अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह पर मनोज पाण्डेय के भाई राकेश पाण्डेय की हत्या का आरोप लगा था। अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह और मनोज पाण्डेय के बीच एक लंबी कानूनी लड़ाई चली। भाजपा ने चुनाव से पहले मनोज पाण्डेय को रायबरेली से चुनाव लड़ाएगा। इसके पीछे भी एक कारण था। वास्तव में, ब्राह्मण प्रत्याशी होने से अमेठी-रायबरेली के ब्राह्मण मतदाताओं का विश्वास जीता जा सकता था, लेकिन क्षत्रिय समीकरण इसे बाधित कर दिया। वास्तव में, रायबरेली और अमेठी की गौरीगंज सीट पर क्षत्रियों की बहुतायत है। यही समीकरण दिनेश प्रताप सिंह को टिकट देता था। अब रायबरेली में सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस अदावत को भुला कर मनोज पाण्डेय, अदिति सिंह और दिनेश प्रताप सिंह के साथ एक मंच पर आकर भाजपा को वोट दिला पाएंगे?

राकेश बनाम चंद्रप्रकाश मिश्र

चंद्र प्रकाश मिश्रा, जो पहले बसपा में थे, 2022 में भाजपा में शामिल होकर चुनाव लड़े। चंद्रप्रकाश ने गौरीगंज में सिर्फ सात हजार वोटों से जीत हासिल की। यही कारण था कि राकेश प्रताप सिंह सपा से विजयी हुए। वह भाजपा के पाले में हैं और राकेश ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी संजय सेठ की मदद की। दोनों में राजनीतिक आधिपत्य कायम रखने का संघर्ष है। इन दोनों विधायकों में अब अमेठी की गौरीगंज सीट पर वर्चस्व का मुकाबला है। अब सवाल उठता है कि क्या राकेश और चंद्र प्रकाश भाजपा के लिए प्रचार कर सकेंगे क्योंकि नए राजनीतिक समीकरणों के कारण ऐसा होगा? या कांग्रेस इस राजनीतिक सौदे से फायदा उठाएगी? देखने में दिलचस्पी होगी।

 

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