Home धर्म Durga Ashtami 2024: सितंबर में दुर्गा अष्टमी किस दिन है? यहां जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त

Durga Ashtami 2024: सितंबर में दुर्गा अष्टमी किस दिन है? यहां जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त

by ekta
2 minutes read
A+A-
Reset
Durga Ashtami 2024: सितंबर में दुर्गा अष्टमी किस दिन है? यहां जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त

Durga Ashtami 2024: देवी दुर्गा को हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर पूजा जाता है और व्रत रखा जाता है।

Dugra Ashtami 2024: अष्टमी की विशेष धार्मिक मान्यता होती है। माना जाता है कि अष्टमी पर मां दुर्गा की पूजा करने से सुख-समृद्धि मिलती है। मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत पंचांगानुसार हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर किया जाता है। मान्यता है कि दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा की पूजा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होकर भक्तों के सभी कष्ट हर लेती हैं। यहां मासिक दुर्गाष्टमी इस वर्ष किस दिन है और व्रत के बाद क्या पूजा की जाएगी।

मासिक दुर्गा अष्टमी की तिथि कब है?

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तिथि 10 सितंबर को मंगलवार की रात 11 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और 11 सितंबर की रात 11 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। यही कारण है कि मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत उदया तिथि के अनुसार 11 सितंबर को ही रखा जाएगा। इस दिन ही मां दुर्गा के लिए व्रत रखकर पूरे मनोभाव से पूजा की जा सकेगी.

मासिक दुर्गा अष्टमी की आरती

मासिक दुर्गाष्टमी पर पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान करके व्रत रखना चाहिए। इसके बाद मंदिर की सफाई की जाती है और चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा सजाई जाती है। मां को गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। अब देवी मां को श्रृंगार की वस्तुएं रखी जाती हैं, जैसे चंदन, सिंदूर और लाल पुष्प। Durga Aarti (पूजा) घी का दीपक जलाकर की जाती है और भोग लगाने के बाद पूजा संपन्न की जाती है।

मां दुर्गा की आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी

भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी

श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी

You may also like

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.

Edtior's Picks

Latest Articles

Designed and Developed Dainik NEWS India