Varuthini Ekadashi Vrat: एकादशी मासिक दो बार पड़ती है। एक पक्ष में कृष्ण पक्ष और दूसरा पक्ष शुक्ल पक्ष है। पूरे वर्ष 24 एकादशी होती हैं। हिंदू धर्म में एकादशी बहुत महत्वपूर्ण है।
Varuthini Ekadashi Vrat Katha : एकादशी मासिक दो बार पड़ती है। एक पक्ष में कृष्ण पक्ष और दूसरा पक्ष शुक्ल पक्ष है। पूरे वर्ष 24 एकादशी होती हैं। हिंदू धर्म में एकादशी बहुत महत्वपूर्ण है। एकादशी तिथि देवताओं को बहुत प्रिय है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है। 4 मई, 2024 को वरुथिनी एकादशी मनाई जाएगी। बरुथनी एकादशी भी है। वरुथिनी एकादशी पर भगवान विष्णु का वामन अवतार पूजा जाता है।इस एकादशी को बरुथनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा- अर्चना की जाती है। इस पावन दिन व्रत कथा का पाठ करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
वरूथिनी एकादशी की कथा: पुराने समय में मान्धाता नामक एक राजा नर्मदा नदी के किनारे रहता था। वह राजा के नियमों का पालन करते हुए जप तप करते रहे। साथ ही जनता के प्रति दयालु थे। राजा को एक बार जंगल की ओर खींचकर भालू ने तपस्या करते हुए उसके पैर चबा लिया। राजा ने फिर भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना की। भक्त की आवाज सुनकर भगवान विष्णु ने अपने चक्र से भालू को मारा। लेकिन भालू ने राजा का पैर नोचकर खा लिया। राजा इससे बहुत दुखी था। विष्णु ने राजा को दुखी देखकर कहा कि राजन भालू ने तुम्हारा पैर काटा है। यह आपके पिछले जन्म का पाप है, जिसकी सजा इस जन्म में भुगतनी पड़ रही है। जब राजा ने इससे छुटकारा पाने का तरीका पूछा, भगवान विष्णु ने कहा कि राजा, वरूथिनी एकादशी पर मेरी वाराह अवतार मूर्ति की पूजा करके करो। इससे आपके पाप मिट जाएंगे और व्रत के प्रभाव से आप फिर से जीवित हो जाएंगे। राजा के पैर फिर से सही हुए जब उन्होंने वरुथिनी एकादशी का व्रत लिया।