Akhilesh Yadav PDA in UP: भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश के पीडीए (पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक) प्रणाली के बावजूद अपनी पुरानी आठ सीटों को बचाया। सपा कांग्रेस ने इन सीटों को जीतने का पूरा प्रयास किया था।
Akhilesh Yadav PDA in UP: भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश के पीडीए (पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक) प्रणाली के बावजूद अपनी हासिल की आठ सीटों को सुरक्षित रख लिया। सपा कांग्रेस ने इन सीटों को जीतने का पूरा प्रयास किया था। साथ ही, सपा को यहां आज तक सफलता नहीं मिली थी, इसलिए यह कदम उठाया गया था। इस बार भाजपा को बदनाम करना उसका लक्ष्य था। पर चर्चा नहीं हुई। इसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की छह सीटें और मध्य उत्तर प्रदेश की दो सीटें शामिल हैं।
इस बार सपा-कांग्रेस गठबंधन ने पीलीभीत, मथुरा, मेरठ, लखनऊ, बागपत, अलीगढ़, कानपुर और हाथरस सीटों को जीतने के लिए एक अलग रणनीति बनाई थी। क्योंकि उसका खाता इन सीटों पर नहीं खुला था। इसलिए, उसने अधिकांश सीटों पर पीडीए से जुड़े लोगों को चुना था ताकि वे जीत सकें। पीलीभीत सीट पर प्रत्याशी बदलने के बावजूद सपा ने भाजपा के इस गढ़ में जीत नहीं हासिल की। कांग्रेस मथुरा सीट पर खाते में थी। भारत गठबंधन के प्रत्याशी को यहां भी सफलता नहीं मिली। सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी को मेरठ से तीन विधायक मिलते हैं, लेकिन दो बार टिकट बदलने के बावजूद वह कामयाब नहीं हुई। अतुल प्रधान को पहले टिकट मिला।
फिर दलित सुनीता वर्मा को टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया गया। सपा ने पहली बार इस सीट को जीतने का अपना लक्ष्य पूरा नहीं किया। भाजपा का पुराना गढ़ लखनऊ सीट है। इस सीट को जीतने के लिए सपा ने हर चुनाव में अपने प्रत्याशी बदलते रहे। जीत हासिल नहीं हुई। सपा ने इस बार भी मुकाबला किया, लेकिन जीत से दूर रही। भाजपा के सहयोगी रालोद ने बागपत सीट जीती। इस सीट पर खाता खोलने का सपना पूरा नहीं हुआ। अलीगढ़ में सपा ने निश्चित रूप से कड़ी टक्कर दी। यहाँ भाजपा केवल 15647 सीटों से जीत सकी, लेकिन भाजपा ने हाथरस में सपा को बड़े अंतर से हराया।
सुल्तानपुर और बस्ती में पहली बार सपा ने जीता, लेकिन इस बार भाजपा ने इस सीट को खो दिया। सपा ने दोनों सीटों पर पहली बार जीत हासिल की है। BSP ने बस्ती सीट पर 100994 वोटों से भाजपा को हराया। सुल्तानपुर सीट पर सपा ने भाजपा की मेनका गांधी जैसी प्रसिद्ध नेता को पराजित कर सबको हैरान कर दिया। पीडीए समीकरण यहाँ पूरी तरह सफल रहा।