Operation Blue Star: आज की चालीसवीं वर्षगांठ है। पंजाब में सुरक्षा कड़ी है। सिख समुदाय के लोगों ने इस मौके पर गोल्डन टेम्पल परिसर में नारे लगाए। प्रदर्शन में जरनैल सिंह भिंडरावाले के पोस्टर और खालिस्तान के पक्ष में नारे भी दिखे।
6 जून 1984 को भारत का इतिहास भयानक दिन मानता है। इस दिन सेना का ऑपरेशन ब्लू स्टार अमृतसर के गोल्डन टेम्पल में समाप्त हो गया था। आज ऑपरेशन ब्लू स्टार की चालीसवीं वर्षगांठ है। इस मौके पर पंजाब में सुरक्षा कड़ी है। दल खालसा और सिख संगठनों ने ऑपरेशन ब्लू स्टार की चालीसवीं बरसी पर अमृतसर बंद की घोषणा की है। सुबह से ही लोग गोल्डन टेंपल में जुट गए हैं। ऐसे में आज शहर और बाजार बंद रहेंगे।
सिख समुदाय के लोगों ने इस मौके पर गोल्डन टेम्पल परिसर में नारे लगाए। प्रदर्शन में जरनैल सिंह भिंडरावाले के पोस्टर और खालिस्तान के पक्ष में नारे भी दिखे। यहां सुरक्षा व्यवस्था की गई है, एसएसपी एसएस रंधावा सिंह ने बताया। बल लगाए गए हैं और सीमा बनाई गई है। किसी भी अप्रिय घटना की निगरानी होगी।
6 जून को गोल्डन टेम्पल में क्या हुआ?
Operation Blue Star: याद रखें कि 6 जून 1984 की देर रात जरनैल सिंह भिंडरावाले की हत्या के साथ ऑपरेशन ब्लू स्टार का अंत हुआ था। दरअसल, 1970 के दशक से पंजाब में खालिस्तान आंदोलन, जो एक अलग सिख राष्ट्र की मांग कर रहा था, तेज हो गया था। इस आंदोलन के सबसे कट्टरपंथी नेताओं में से एक था भिंडरावाले, जिसने गोल्डन टेम्पल परिसर को अपना आधार बनाया था। भारत सरकार ने उनकी बढ़ती ताकत और हिंसा के कारण उसे बेअसर करने का निर्णय लिया।
इसके लिए सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थान पर सैन्य कार्रवाई ब्लू स्टार की गई. इसका उद्देश्य था जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके खालिस्तान समर्थकों को मार डालना, जो उस समय मंदिर परिसर में कब्जा जमाए हुए थे। 6 जून की सुबह से शाम तक गोलीबारी हुई। गोलीबारी के दौरान अकाल तख्त को बहुत नुकसान हुआ। हरमंदिर साहिब में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ पहली बार हुआ है। 6 जून, 7 जून और 8 जून तक पाठ नहीं हो पाया।
इस ऑपरेशन में कई लोग मारे गए।
Operation Blue Star: में सैकड़ों नागरिक और सैन्य कर्मचारी मारे गए। गोल्डन टेम्पल को भी भारी नुकसान हुआ, जिससे सिख समुदाय गुस्सा हो गया। भारतीय राजनीति और धर्म पर इस घटना का गहरा प्रभाव पड़ा, जिसके आज भी गंभीर परिणाम हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस ऑपरेशन की कीमत चुकानी पड़ी। इस ऑपरेशन के लिए सीधे जिम्मेदार इंदिरा गांधी की हत्या हुई। इंदिरा गांधी के सिख अंगरक्षक ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के चार महीने बाद उनकी हत्या कर दी थी।