Election Commission ने नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए चुनाव लड़ रहे एक विशिष्ट उम्मीदवार की पहुंच को सीमित कर दिया है। चुनाव आयोग ने घोषणा की कि चुनाव आयोग अब से पोलिंग बूथों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज नहीं देख सकेगा।
विधानसभा: चुनावी नियमों को Election Commission ने बदल दिया है। इसके बाद से सीसीटीवी फुटेज उम्मीदवारों और आम जनता को दिए जाने वाले डॉक्यूमेंट्स की श्रेणी में नहीं होंगे। चुनाव संचालन नियमों की धारा 93(2) के तहत प्रावधान में कहा गया था कि अदालत की अनुमति से चुनाव से संबंधित सभी डॉक्यूमेंट्स सार्वजनिक निरीक्षण के लिए उपलब्ध रहेंगे। कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि उनकी पार्टी चुनाव आयोग के इस निर्णय को अदालत में चुनौती देगी।
क्या परिवर्तन हुआ?
फॉर्म 17-सी भाग I और II की कॉपियां, सीसीटीवी कैमरा फुटेज और चुनाव प्रक्रिया से जुड़े वीडियोग्राफी के लिए एक याचिका दाखिल की गई थी। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने हाल ही में एडवोकेट महमूद प्राचा को हरियाणा विधानसभा चुनाव से संबंधित आवश्यक डॉक्यूमेंट्स की कॉपियां देने का आदेश दिया। चुनाव आयोग ने इस निर्णय के बाद यह नया बदलाव किया है।
वर्तमान कानूनों में चुनाव आयोग को जनता को वीडियोग्राफिक रिकॉर्ड या सीसीटीवी फुटेज देने की कोई विशेष बाध्यता नहीं है। कोर्ट के आदेश के बाद रिकॉर्डों की सूची जारी की जा सकती है।
धारा 93, उप-धारा (2), खंड (A), में कागजात शब्द के बाद, इन नियमों में निर्दिष्ट (specified in these rules) शब्दों को जोड़ने के लिए शुक्रवार के संशोधन में एक पंक्ति जोड़ी गई है। चुनाव आयोग ने इस विवरण को जोड़कर स्पष्ट कर दिया है कि कागजात में कोई भी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड या डॉक्यूमेंट नहीं होंगे।
कांग्रेस का उत्तर
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने Election Commission की इस निर्णय पर प्रतिक्रिया दी। जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस संशोधन को जल्द ही न्यायालय में चुनौती देगी। साथ ही चुनाव आयोग में पारदर्शिता की कमी की भी चर्चा हुई। जिस पर उन्होंने कहा कि अगर चुनाव आयोग ने हाल के दिनों में चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को समाप्त करने के बारे में हमारे दावों की कभी पुष्टि की है, तो वह यही है।
चुनाव आयोग की घोषणा क्या है?
Election Commission ने कहा कि मतदाताओं की गोपनीयता और सुरक्षा के लिए यह बदलाव किया गया है। इसका निर्णय किसी को सीसीटीवी फुटेज देने के बाद मतदाताओं की सुरक्षा के लिए किया गया है। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज शेयर करने से खतरा हो सकता है।खासकर जम्मू-कश्मीर, नक्सल प्रभावित इलाकों में, जहां गोपनीयता बहुत जरूरी है।