उत्तर प्रदेश के CM Yogi Adityanath ने आज दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘भारतीय योग परंपरा में योगिराज बाबा गंभीरनाथ का योगदान’ को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने ‘अप्राप्य आयाम’ और ‘एथिक्स, इंटीग्रिटी एवं एप्टीट्यूड’ पुस्तकों का विमोचन किया और नाथ संप्रदाय के 20 गुरुओं के तैल चित्रों की प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
CM Yogi Adityanath ने इस संगोष्ठी को भारत की एक विशिष्ट परंपरा पर केंद्रित राष्ट्रीय मंच बताया। उन्होंने कहा कि विश्व के करीब 200 देशों की अपनी-अपनी पहचान, परंपराएँ और विशेषताएँ हैं। कुछ देशों ने व्यापार, कला, नवाचार और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के माध्यम से अपनी पहचान बनाई है, लेकिन भौतिक उपलब्धियों की भी अपनी सीमाएँ होती हैं। भारत की विशेषता यह है कि उसने इन सीमाओं को पार करते हुए चेतना के उच्च स्तर तक पहुँचकर ब्रह्मांड के रहस्यों को उद्घाटित किया है।
CM Yogi Adityanath ने कहा कि भारतीय चिंतन में सत्य को एक माना गया है, जिसे विद्वान भिन्न-भिन्न मार्गों से प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इस विचारधारा को विश्वभर में सम्मान मिला, लेकिन भारत में ही कुछ लोगों ने इसे विरोध का विषय बनाया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गंगा आरती के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रयागराज महाकुंभ-2025 में 66 करोड़ श्रद्धालु आए, जो भारत के आध्यात्मिक प्रभाव और सांस्कृतिक विरासत की शक्ति को दर्शाता है।
CM Yogi Adityanath ने इस धारणा को गलत बताया कि भारत ने तकनीक पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जब दुनिया अज्ञानता के अंधकार में थी, तब 5000 वर्ष पहले भारतीय ऋषि ज्ञान को संहिताबद्ध कर रहे थे। महाभारत और उपनिषदों में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष और ब्रह्मांड के रहस्यों की गहन जानकारी संकलित है। उन्होंने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा से विमुख होने के कारण पहले दुनिया भारत की ओर देखती थी, लेकिन अब भारत को दुनिया के पीछे भागना पड़ रहा है।
उन्होंने बीते दस वर्षों में भारत की वैश्विक पहचान में आए बदलाव का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले दुनिया में भारतीयों की कोई खास पहचान नहीं थी, लेकिन आज हर देश भारत से संबंध स्थापित करना चाहता है। भारत की योग परंपरा को 193 देशों ने अपनाया है, यहाँ तक कि चीन, जो धर्म में विश्वास नहीं रखता था, वह भी योग और बौद्ध दर्शन पर शोध कर रहा है।
CM Yogi Adityanath ने कहा कि भारत ने कभी भी किसी देश को जबरन गुलाम नहीं बनाया। उन्होंने श्रीराम के उदाहरण के माध्यम से बताया कि उन्होंने लंका पर विजय के बावजूद वहाँ के राजा नहीं बने और जननी-जन्मभूमि को सर्वोच्च मानते हुए अयोध्या लौट गए। यह भारत की मूल पहचान है।
CM Yogi Adityanath ने प्रयागराज महाकुंभ-2025 की तैयारियों पर चर्चा करते हुए कहा कि इसकी योजना 2022 में ही बन चुकी थी। कुछ लोगों ने इसे सरकारी धन का अपव्यय बताया, लेकिन 7,000 करोड़ रुपये के निवेश से राज्य को 3 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक वापसी मिली। उन्होंने कहा कि आस्था भी आर्थिक विकास का आधार बन सकती है, और यदि पूर्ववर्ती सरकारें इसे समझतीं, तो उत्तर प्रदेश पहचान के संकट से नहीं गुजरता।
नाथ संप्रदाय की आध्यात्मिक परंपरा का उल्लेख करते हुए CM Yogi Adityanath ने बताया कि यह साधना पद्धति भगवान शिव से शुरू होकर योगीराज मत्स्येंद्रनाथ और महायोगी गोरखनाथ के माध्यम से व्यवस्थित हुई। इस परंपरा के प्रभाव तिब्बत से श्रीलंका, बांग्लादेश से अफगानिस्तान तक देखे जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि बाबा गंभीरनाथ ने गोरखपुर को अपनी साधना स्थली बनाया और विभिन्न स्थानों पर जाकर योग एवं आध्यात्मिक साधना को आगे बढ़ाया।
CM Yogi Adityanath ने कहा कि बाबा गंभीरनाथ के शिष्य देशभर में फैले, जिनमें कोलकाता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्री अक्षय कुमार बनर्जी और योगी शांतिनाथ जैसे कई महत्वपूर्ण व्यक्तित्व शामिल थे। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना में भी योगदान दिया। बाबा गंभीरनाथ ने 1917 में गोरखनाथ मंदिर में समाधि ली और आज भी उनके अनुयायी देशभर से यहाँ आते हैं।
उन्होंने संगोष्ठी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह भारत की सिद्ध साधना पर केंद्रित होनी चाहिए। बाबा गंभीरनाथ ने योग की सभी विधाओं में योगदान दिया, और उनकी शिक्षाएँ अकादमिक शोध का विषय बननी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की आध्यात्मिक परंपरा ने चेतना के विस्तार के माध्यम से ब्रह्मांड के रहस्यों को उद्घाटित किया है, और यह राष्ट्र की अमूल्य धरोहर है।