Ram Ji Ki Aarti: भगवान श्री राम की आरती, हे राजा राम तेरी आरती उतारूं, आरती उतारूं प्यारे तन मन वारूं…

by editor
Ram Ji Ki Aarti: भगवान श्री राम की आरती, हे राजा राम तेरी आरती उतारूं, आरती उतारूं प्यारे तन मन वारूं...

Ram Ji Ki Aarti: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम का जन्म रामनवमी के दिन हुआ था। इस पावन दिन भगवान श्री राम की आरती और प्रशंसा करें।

Ram Ji Ki Aarti: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम का जन्म रामनवमी के दिन हुआ था। इसलिए इसे राम जन्मदिन के रूप में मनाते हैं। श्री राम भगवान को मर्यादा का प्रतीक मानते हैं। उन्हें पुरुषोत्तम, या श्रेष्ठ पुरुष कहा जाता है। वे पुरुष और स्त्री में भेदभाव नहीं करते। कहते हैं कि भगवान राम ने रावण को मार डाला था। भगवान श्री राम चैत्र कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि के दिन सरयू नदी के किनारे बसी अयोध्यापुरी में राजा दशरथ के घर में जन्मे थे। उनके भाई शत्रुघ्न, भरत और लक्ष्मण थे। भगवान राम का जन्म अयोध्या में माता कौशल्या की कोख से हुआ था।

भगवान श्री राम की आरती

हे राजा राम तेरी आरती उतारूं
आरती उतारूं प्यारे तन मन वारूं,

कनक शिहांसन रजत जोड़ी,
दशरथ नंदन जनक किशोरी,
युगुल  छबि को सदा निहारूं,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूं……..

बाम भाग शोभति जग जननी,
चरण बिराजत है सुत अंजनी,
उन चरणों को सदा पखारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूं……..

आरती हनुमंत के मन भाये,
राम कथा नित शिव जी गाये,
राम कथा हृदय में उतारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ……..

चरणों से निकली गंगा प्यारी,
वंदन करती दुनिया सारी,
उन चरणों में शीश को धारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ……..

श्री राम स्तुति

दोहा-
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥

कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥

भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥

शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥

इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥

मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥

एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥

॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।

You may also like

Leave a Comment

खूबसूरत डिजाइन के साथ ट्राई पॉट स्टैंड, आप भी लाये अपने घर सूरजकुंड मेला 2025: समय और टिकट कैसे बुक करें? क्या आप जानते हैं काली गाजर खाने से क्या होता है? दिल्ली में लगने जा रहा है एक ऐसा Book Fair Yoga poses: ये योगासन हर दिन दस मिनट करें ,जल्द ही दिखने लगेगा फायदा

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/jcaxzbah/dainiknewsindia.com/wp-includes/functions.php on line 5464