Javed Akhtar ने कहा: जो लोग शायरी की समझ नहीं रखते, वह हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे उठाते हैं।

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Javed Akhtar ने कहा: जो लोग शायरी की समझ नहीं रखते, वह हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे उठाते हैं।

Javed Akhtar : गुलाबी शहर जयपुर में पांच दिन चलने वाले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) की शुरुआत हो चुकी है। इस आयोजन में हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध गीतकार और साहित्यकार Javed Akhtar ने “ज्ञान सीपियां” सत्र में मातृभाषा के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया।

गुलाबी शहर जयपुर में पांच दिवसीय जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) की शुरुआत हो चुकी है। यह इस फेस्टिवल का 18वां संस्करण है, जिसमें भारत और विदेशों के करीब 600 से ज्यादा साहित्यकार, विचारक, नोबेल और बुकर पुरस्कार विजेता साहित्यकार हिस्सा ले रहे हैं। इस इवेंट में हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध गीतकार और साहित्यकार Javed Akhtar ने “ज्ञान सीपियां” सत्र में मातृभाषा के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया। आइए जानते हैं कि Javed Akhtar ने क्या कहा।

जेएलएफ में Javed Akhtar ने कहा कि अंग्रेजी के साथ-साथ मातृभाषा का भी विकास बेहद जरूरी है, ताकि विचार सही तरीके से लोगों तक पहुँच सकें। उन्होंने कहा कि जो शायरी नहीं समझते, वे ही हिंदू-मुस्लिम करते हैं। Javed Akhtar ने यह भी कहा कि कोई भी ऐसा  देश नहीं हो सकता जहाँ शायरी का अस्तित्व न हो।

मातृभाषा पर चर्चा करते हुए Javed Akhtar ने कहा कि सभी बच्चों को अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाना ठीक है, लेकिन अगर वे अपनी मातृभाषा से कट जाएंगे, तो यह गलत होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अंग्रेजी की आवश्यकता से इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन मातृभाषा को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। बता दें कि जेएलएफ का यह 18वां संस्करण है, जिसमें इस साल 600 से ज्यादा स्पीकर्स दुनियाभर से शामिल हो रहे हैं। इस साहित्यिक इवेंट में कई लेखकों की किताबें भी लॉन्च की जाएंगी।

अकबर, तुलसीदास और रहीम दास पर चर्चा करते हुए जावेद Javed Akhtar ने कहा कि जो व्यक्ति खुद पर शक करता है, वह दूसरों की तारीफ नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि तारीफ करने वाला वही होता है जिसे खुद पर विश्वास होता है और जो शांति से भरा होता है। Javed Akhtar ने यह भी जोड़ा कि जैसे संगीत 7 सुरों से बनता है, वैसे ही हमारा साहित्य भी दोहों से बना है।

जेएलएफ के सेशन के मॉडरेटर अतुल तिवारी ने जावेद अख्तर की तारीफ करते हुए कहा कि जावेद साहब बिना टेलीप्रॉम्प्टर के भी सहजता से बोल सकते हैं। इसके जवाब में Javed Akhtar ने मजाक करते हुए कहा कि वे नहीं पूछेंगे कि कौन टेलीप्रॉम्प्टर पर निर्भर हो जाता है, क्योंकि अगर नाम लिया गया तो वह खुद ही ‘बंद’ हो जाएंगे। Javed Akhtar ने यह भी कहा कि शब्दों का इस्तेमाल सोच-समझ कर करना चाहिए, क्योंकि हर शब्द का एक ही सही अर्थ होता है।

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