Home भारत घरेलू कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों और गैर-विनियमित क्षेत्र में अप्रैल से सितंबर 2024 के दौरान Coal आयात में गिरावट

घरेलू कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों और गैर-विनियमित क्षेत्र में अप्रैल से सितंबर 2024 के दौरान Coal आयात में गिरावट

by editor
Decline in coal imports from domestic coal based thermal power plants and non-regulated sector during April to September 2024


अप्रैल-सितंबर 2024 में घरेलू Coal आधारित ताप विद्युत संयंत्रों के कोयला आयात में 8.59 प्रतिशत की गिरावट

  • अप्रैल-सितंबर 2024 के दौरान गैर-विनियमित क्षेत्रों में Coal आयात में 9.83 प्रतिशत की गिरावट

गैर-विनियमित क्षेत्रों (NRS) द्वारा अप्रैल से सितंबर, 2024 की अवधि में किया गया Coal निर्यात 9.83 प्रतिशत की गिरावट के साथ 63.28 मिलियन टन रहा, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में 70.18 मिलियन टन था। घरेलू कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों (मिश्रण के लिए) द्वारा अप्रैल-सितंबर 2024 में किया गया कोयला आयात 8.59 प्रतिशत गिरावट के साथ 9.79 मिलियन टन रहा, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 10.71 मिलियन टन था। यह इन क्षेत्रों के लिए घरेलू कोयला आपूर्ति पर बढ़ती निर्भरता को दर्शाता है, मगर इस्पात उद्योग के लिए आवश्यक कोकिंग कोयले तथा आयातित कोयला-आधारित (आईसीबी) बिजली संयंत्रों के लिए कोयले के आयात में वृद्धि हुई है, जिनकी मांग को घरेलू कोयले से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है।

अप्रैल-सितंबर 2024 के दौरान कुल कोयला आयात 1.36 प्रतिशत की मामूली वृद्धि के साथ 129.52 मिलियन टन (एमटी) तक पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 127.78 मिलियन टन रहा।

अप्रैल-सितंबर 2024-25 के दौरान कुल आयातित कोयला का मूल्य 1,38,763.50 करोड़ रुपये है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 1,52,392.23 करोड़ रुपये से कम है। इसके परिणामस्वरूप 13,628.73 करोड़ रुपये की भारी बचत हुई है, जो कोयला खरीद के लिए अधिक लागत प्रभावी दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है।

कोयला मंत्रालय घरेलू उत्पादन में तेजी लाकर और सामग्री को सुव्यवस्थित कर, आयातित कोयले पर निर्भरता कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही, बिजली और इस्पात जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों की मांग को गैर-प्रतिस्थापन योग्य कोयले के आयात से बनाए रखा जाता है।

मंत्रालय आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण की ओर बढ़ते हुए ऊर्जा सुरक्षा और लागत दक्षता सुनिश्चित कर अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है। देश जिस प्रकार प्रगति कर रहा है, उसे देखते हुए ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक दक्षता के प्रति प्रतिबद्धता सर्वोपरि बनी हुई है।

 

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