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हिन्दी दिवस 2024 पर केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह जी का संदेश
हिन्दी दिवस 2024
प्रिय देशवासियो,
आप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। इस वर्ष का यह शुभ दिन हम सबके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिन्दी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इसका 75वाँ साल पूरा हो रहा है और एक प्रकार से हम इस वर्ष राजभाषा हीरक जयंती मनाने जा रहे हैं। यह 75 साल की यात्रा हिन्दी के लिए, राजभाषा के लिए और हमारे सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण रही है। हिन्दी ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, परंतु आज मैं इस मुकाम पर खड़े रहकर निश्चित रूप से कह सकता हूँ कि हिन्दी की किसी भी स्थानीय भाषा के साथ कोई स्पर्धा नहीं है।
हिन्दी एक प्रकार से सभी भारतीय भाषाओं की सखी है, और एक-दूसरे की पूरक है। चाहे गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगू हो, मलयालम हो, तमिल हो या बांग्ला हो, हर भाषा हिन्दी को मजबूती देती है और हिन्दी हर भाषा को मजबूती देती है। इसीलिए आप हिन्दी के आंदोलन को ध्यान से देखेंगे तो चाहे राजगोपालाचारी जी हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभभाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या फिर आचार्य कृपलानी हों, हिंदी को बढ़ावा देनेवालों में अधिकतर गैर-हिन्दी भाषी क्षेत्रों से आते थे। हिंदी को राजभाषा बनाने के लिए संविधान सभा में जो समिति बनाई गई, वह समिति भी श्री आयंगर और श्री के. एम. मुंशी के नेतृत्व में बनाई गई थी, जिसने हिन्दी को राजभाषा के रूप में मान्यता देने और हिन्दी और हमारी बाकी सारी भाषाओं को ताकत देने की एक रिपोर्ट हमारी संविधान सभा के सामने रखी थी। दोनों नेता गैर-हिन्दी भाषी क्षेत्र से आते थे।
विगत 10 साल में मोदी जी के नेतृत्व में हिन्दी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए ढेर सारे काम हुए हैं। मोदी जी ने अनेक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गौरव पूर्वक हिन्दी में संबोधन देकर हिन्दी के महत्व को न केवल देश, बल्कि समूचे विश्व के सामने रखने का काम किया है और हमारे देश में हमारी भाषाओं के प्रति गौरव के भाव को बढ़ाया है। इन 10 सालों में हमने कई सारी स्थानीय भाषाओं को मजबूती देने के लिए बहुत सारे प्रयास किये हैं। नई शिक्षा नीति में श्री मोदी जी ने प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दिए जाने को एक महत्वपूर्ण स्थान देकर हमारी सभी भाषाओं और हिन्दी को एक नया जीवन देने का काम किया है।
हमने इन 10 सालों के अंदर ‘कंठस्थ’ टूल बनाया। हमने इन 10 सालों के अंदर संसदीय राजभाषा समिति के चार प्रतिवेदन जमा किए और हिन्दी को सरकारी कामकाज में प्रमुखता से प्रस्थापित करने का काम किया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग हिन्दी से आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में अनुवाद का भी एक पोर्टल लेकर आ रहा है, जिससे पत्र हो या भाषण, उनका अनुवाद बहुत कम समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करते हुए हम सभी भाषाओं में कर पाएँगे। मैं मानता हूँ कि इससे भी हिन्दी को और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।
मैं आज फिर से आप सभी को कहना चाहता हूँ कि हमारी भाषाएँ विश्व की सबसे समृद्ध भाषाओं में हैं। हिन्दी ही है, जो हम सभी को जोड़ने का काम करती है, हमारी सभी भाषाओं को जोड़ने का काम करती है। संविधान सभा की एक स्पिरिट थी कि एक स्वदेशी भाषा में देश के सभी नागरिक एक-दूसरे के साथ संवाद करें, चाहे वह हिन्दी हो, तमिल हो, तेलुगू हो या गुजराती हो। हिन्दी को मजबूत करने से इन सभी भाषाओं में एक प्रकार से लचीलापन भी आएगा, समृद्धि भी आएगी और समाहितता के संस्कार के साथ सभी भाषाएँ हमारी संस्कृति, इतिहास, साहित्य, व्याकरण और हमारे बच्चों के संस्कार को भी आगे बढ़ाएँगी।
अतः, मैं हिन्दी दिवस के दिन सभी देशवासियों से अपील करना चाहता हूँ कि, आइए हम संकल्प लें, हिन्दी को मजबूत करें, हिन्दी के साथ-साथ हमारी स्थानीय भाषा को भी मजबूत करें और राजभाषा विभाग के काम का समर्थन करें। फिर से एक बार आप सभी को हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। आइए, हम राजभाषा को मजबूत करें। वंदे मातरम।
source: https://pib.gov.in
Vice President Jagdeep Dhankhar: केंद्रीय विश्वविद्यालय, राजस्थान, अजमेर में उपराष्ट्रपति द्वारा दिए गए संबोधन के मूल पाठ का अंश
Vice President Jagdeep Dhankhar: किशनगढ़ मेरी राजनीतिक कर्मभूमि रही है। ग्रामीण परिपथ से आए लोगों का मैं अभिवादन करता हूं। इन्होंने मुझको सींचा है, मेरा सृजन किया है, और मेरी इस लंबी यात्रा में बड़ी भागीदारी निभाई है।
I have no doubt the infrastructure which I have seen while coming to this place, the profile of the faculty, the dynamism of the vice-chancellor and composition of the student community. The day is not far when Central University of Rajasthan will get the tag of Institute of Excellence.
We are in interesting times where we have no limitations. थल, जल, वायु, अंतरिक्ष — भारत की गूंज दुनिया को सुनाई दे रही है। हमारी प्रगति हर क्षेत्र में है। विक्रांत पुराना था, पर जल में हमारा नया विक्रांत है। थल की भी वही हालत है, आकाश की भी है, और अंतरिक्ष में चंद्रयान 3 की है। In these challenging times, it is our duty to the nation to see that this institution rises incrementally and the rise should be unstoppable like our economic upsurge. Our economic rise, our exponential, phenomenal development जिसका सपना भी हमने नहीं लिया था।
मैंने देखा है आज से 35 साल पहले लोक सभा का सदस्य था। केंद्र में मंत्री था तब क्या हालात थे। एक लंबी राजनीतिक पार्टी के शासन के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था लंदन शहर और पेरिस शहर से छोटी थी। अंदाज़ा लगा सकते हो और हमारी छलांग गत दशक में कितनी लगी कि हमने फ्रांस और यूके को पीछे छोड़ दिया, लंदन और पेरिस की बात ही नहीं। India today boys and girls is the 5th largest global economy on way to becoming 3rd largest in 2 years or little more.
जो दूसरा दृश्य उस समय मैंने देखा, अपनी आंखों से देखा, भयभीत होकर देखा, केंद्रीय मंत्री की हैसियत से, जब श्रीनगर गया, सन्नाटा था। सड़क पर लोग दिखाई नहीं दे रहे थे। ऐसा लगता था प्रजातंत्र पर काली छाया है। और आज, गत वर्ष 2 करोड़ से ज्यादा पर्यटक जम्मू-कश्मीर गए हैं। अंदाजा लगाइए, कितना बड़ा बदलाव! हमें तो कोई दिखाई नहीं दिया था, आज कहां है? आंखों से देखा, दुखी मन से सहन किया सोने की चिड़िया भारत का सोना हवाई जहाज से, हम शासन में थे जब 34 साल पहले की बात है। क्या हुआ? हवाई जहाज से स्विट्जरलैंड के बैंक में गिरवी रखा गया ताकि हम हमारी आर्थिक Credibility को बचा ले। एक बिलियन US डॉलर के आसपास हमारा फॉरेन एक्सचेंज था आज 670 के आसपास है कहां से कहां आ गए।
भारत की पहचान आज दुनिया में एक ऐसे देश की है जो किसी देश का मोहताज नहीं है। भारत के नेतृत्व की गूंज, नेतृत्व का प्रभाव, नेतृत्व का असर दुनिया में निर्णायक साबित हो रहा है ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था।
Role of higher education in Viksit Bharat@2047. Dear students, a marathon march is going on in the country, and that marathon march is for Viksit Bharat@2047. You will be in the driver’s seat. People of my generation may not be around, but you are the main stakeholders — you are the warriors. यह जो Marathon March है, इसमें आपकी भागीदारी महत्वपूर्ण है। यह जो हवन हो रहा है पूरे देश में विकसित भारत के लिए, इस हवन में हर भारतीय को आहुति देनी है। हर भारतीय की भागीदारी होगी, तभी भारत वह देख पाएगा जो हजारों साल पहले था।
आपका मिशन देखिए, to create and sustain an inclusive environment, सबको पता है कि धरती के अलावा हमारे पास रहने की कोई दूसरी जगह है ही नहीं। We have to maintain it, restore it, climate change को contain करना है। आज मैंने प्रवेश करते ही एक पेड़ लगाया, प्रधानमंत्री जी का आह्वान था मां के नाम एक पेड़, जब मां के नाम आप एक पेड़ लगाते हो तो कइयों का नाम सामने आता है। मैंने मां के नाम पेड़ लगाया साथ में डॉ सुदेश धनखड़ की सास के नाम भी एक पेड़ लग गया।
I appeal to every student your campus has great geographical dimension.
हर एक को एक पेड़ लगाना चाहिए, उसका सृजन करना चाहिए और पेड़ लगाते समय अपनी मां का नाम याद रखिए। I will request the Vice-Chancellor, if required I will get the assistance of Indian Council of Agriculture Research, so that they do a study and ensure कि यहां कौन से पेड़ लग सकते हैं ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक अंदाज़ा हो।
आप में से बहुत से लोगों ने भारत के संविधान को देखा होगा, पर भारत के संविधान के अंदर एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसको अक्सर हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं क्योंकि वह किताब में छपता नहीं है। और वह है 22 चित्र, और जो सबसे पहला चित्र है, वह नागरिकता (citizenship) का है। आपको आश्चर्य होगा कि उस चित्र में गुरुकुल दिखाया गया है। यह आज का गुरुकुल है, an integral part of the Indic education system। यहां चरित्र का निर्माण होता है।
हमारी नई शिक्षा नीति, जो तीन दशक के बाद आई है — राष्ट्रीय शिक्षा नीति। यहां से मैं पुरजोर आग्रह करूंगा उन प्रांतों से, जिन्होंने अब तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकार नहीं किया है। यह शिक्षा नीति किसी राजनीतिक दल और सरकार की नहीं है, यह राष्ट्र की शिक्षा नीति है, जो हमें एक बहुत बड़े गेम चेंजर के रूप में मिली है।
I am personally aware, as I was Governor of the State of West Bengal, that the evolution of the national education policy has taken place after getting inputs from stakeholders, running into thousands. It is distancing from degree education; it is making education relevant to boys and girls, aligned with their aptitude and attitude। इतना बड़ा बदलाव आया है।
You must have heard boys and girls एक ग्रीक फिलॉसफर हुआ करते थे Socrates से पहले हेरक्लिटस. What he said is the only constant in life is change. He says the same person can never enter the same river twice because neither the river is the same nor the person is the same. यह change हो रहा है। We have to adapt to this change. It is Gurukul which changes required by our times to face the challenges that are emerging all around.
गीता आपको अच्छा लगेगी। हमारे भारतीय संविधान में जो Directive Principles of State Policy हैं, Part 4 of the Indian Constitution, उसमें भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को कुरुक्षेत्र में उपदेश दे रहे हैं। वह चित्र है, it is part of the Indian Constitution, और वह ज्ञान क्या है? वह ज्ञान है, एकाग्रता से बिना भटके हुए, बिना रिश्तों को देखे हुए लक्ष्य प्राप्ति करो। और हमारे लक्ष्य क्या हैं? हमारा राष्ट्रवाद, हमारा लक्ष्य है। हमारा भारत, हमारे भारत को कोई सुई भी चुभेगी, तो 140 करोड़ लोगों को दर्द होगा, दर्द होगा।
We have to always keep the nation above self interest, political interest. पर किसी भी हालत में हम दुश्मन के इंट्रेस्ट को प्रमोट नहीं कर सकते हैं। दुखद विषय है, चिंता का विषय है, चिंतन का विषय है, मंथन का विषय है कि अपने में से कुछ भटके हुए लोग संविधान की शपथ के बावजूद भारत मां को पीड़ा दे रहे हैं। राष्ट्रवाद के साथ समझौता कर रहे हैं। राष्ट्र की परिकल्पना को समझ नहीं पा रहे हैं। पता नहीं कौन से स्वार्थ को ऊपर रख कर भारत मां को लहुलुहान करना चाहते हैं। मेरा उनसे आग्रह रहेगा। हर भारतीय देश के बाहर कदम रखता है तो हमारे राष्ट्रवाद का राजदूत है। हमारी संस्कृति का राजदूत है। और इसको प्रमाणित किया है अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रतिपक्ष के नेता के रूप में जो बाद में भारत के प्रधानमंत्री बनें। प्रधानमंत्री दूसरे दल के थे, कांग्रेस पार्टी के थे, नरसिम्हा राव जी थे, भारत का नेतृत्व विदेश में एक महत्वपूर्ण संवेदनशील मुद्दे पर, कश्मीर से जुड़े मुद्दे पर अटल बिहारी वाजपेयी ने किया वो प्रतिपक्ष के नेता थे।
क्या हम कल्पना भी कर सकते हैं कि देश के अंदर या बाहर हम ऐसा काम करेंगे जो हमारे देश के साथ उपयुक्त आचरण नहीं है। हमारे राष्ट्रवाद को बढ़ावा नहीं देता है, हमारे राष्ट्रवाद को कुंठित करता है। हमारे सपने पूरे करो, दुश्मनों के सपने पूरे करने में क्यों लगे हुए हो। इतिहास ने उनको कभी माफ नहीं किया है जिन्होंने देश के साथ ऐसा आचरण किया है।
नवयुवकों , नवयुवतियों से मैं आग्रह करता हूं, Bharat belongs to you. You are the most vital stakeholder in governance. 10 साल में आपको ऐसा गवर्नेंस मिला है जो transparent है, accountable है। आपको ऐसा गवर्नेंस मिला है जहां कानून के सामने सब समान हैं। Privileged pedigree has vanished. कोई ऐसा नहीं कह सकता कि वह कानून से ऊपर हूं। उनमें छटपटाहट है, उनमें परेशानी है। राजनीति इस तरीके से हावी हो गई उन पर कि वे राष्ट्र को भूल गए, राष्ट्रहित को भूल गए, और भूलना तो छोड़िए, राष्ट्रहित पर कुठाराघात करने लगे। विदेश में करने लग गए, उन लोगों से मिलकर करने लग गए । जगजाहिर हैं उनकी करतूतिया — उनके साथ बैठना, उनके साथ चिंतन करना। हमारे दिल पर क्या गुजरी होगी, मैं अंदाजा लगा सकता हूं। ईश्वर उनको सद्बुद्धि दे।
मेरे पद पर मेरा काम राजनीति करना नहीं है। राजनीतिक दल अपना-अपना काम करें। Political parties are entitled to work the work they wish to do. Ideologies अलग-अलग होगी, विचारधारा अलग-अलग होगी, शासन के प्रति रवैया अलग-अलग होगा। इसमें कोई दिक्कत नहीं है। पर एक बात में समानता होगी, राष्ट्र सर्वोपरि है। राष्ट्र भावना को कुंठित नहीं कर सकते हैं। राष्ट्र के मनोबल को कमजोर नहीं कर सकते हैं। राष्ट्र को चुनौती आएगी हम सब एक हैं। हमारा कुछ भी रंग हो, कुछ भी धर्म हो, कुछ भी जाती हो, कुछ भी संस्कृति हो, कुछ भी शिक्षा हो। We are united and we are one.
और इसी को देखकर सबसे पहले जहां डिफाइन किया गया है यूनियन को, वहाँ जो चित्र है वो जेबू बुल का है। मतलब सब मिलकर ताकत वो जेबू बुल में आ गई, जिसको हम भारत कहते हैं। यह हमारे संविधान के अंदर चित्र है संविधान निर्माताओं ने हमें दिया है।
Education is beyond books; education is the most impactful, transformative mechanism to brings about change in society. एजुकेशन है जो समानता लाता है; एजुकेशन है जो असमानता पर प्रहार करता है; एजुकेशन ही है जो आज के सामाजिक परिदृश्य को बदल रहा है। चाहे महामहिम राष्ट्रपति जी हो, चाहे प्रधानमंत्री जी हो, चाहे उपराष्ट्रपति हो, जड़ भी देखेंगे तो कोई privilege pedigree नहीं मिलेगी। आपको उनका उत्थान समाज के उस वर्ग से हुआ है जिन्होंने कभी कल्पना नहीं की कि हम कभी यहां पहुंचेंगे। शिक्षा, और शिक्षा का मतलब सिर्फ डिग्री नहीं है; शिक्षा के अंदर बहुत सी बातें नहीं होते। We cannot imagine Viksit Bharat, developed Bharat@2047, without the spread of education. आप सब भाग्यशाली हैं you are getting quality education.
मेरा आपसे अनुरोध रहेगा Every day should be a day of learning, every day you must add something beyond your formal education. You must generate inter connectivity.
हम अधिकारों की बात तुरंत कर लेते हैं—मानव अधिकार हैं, बेसिक राइट्स हैं, मेरा यह अधिकार है। We should focus on fundamental duties. संविधान में हमारे कुछ कर्तव्य हैं, और जो कर्तव्य संविधान में निर्धारित किए गए हैं, उनके कर्तव्यों को यदि आप ध्यान से देखोगे, सबसे पहले है:
To abide by the Constitution, to respect its ideals and institutions, the National Flag, and the National Anthem. पीड़ा का विषय बन गया है; दुनिया के लोग हम पर हंस रहे हैं कि संवैधानिक पद पर एक व्यक्ति बैठा है, विदेश के अंदर ऐसा आचरण कर रहा है कि अपने संविधान की शपथ को भूल गया, देशहित को नजरअंदाज कर दिया, हमारी संस्थाओं की गरिमा पर कुठाराघात कर दिया।
दूसरी ड्यूटी है:
To cherish and follow the noble ideals of our national struggle for freedom. कितनी बहनों ने अपना भाई खोया है, कितनी माताओं ने अपना बेटा खोया है, तब जाकर यह आज़ादी मिली। आज भी हम चैन की नींद सोते हैं क्योंकि सीमा पर वे अपनी जान देने को तैयार हैं हमारे लिए। अरे, उनके खून की परवाह नहीं कर रहे, जो भारत को ध्वस्त करना चाहते हैं। Divisive forces exclusively in action, inspired by foreign powers, enemies of the nation—उनके साथ hand-holding, उनके साथ विचार विमर्श, उनके साथ साझा बात करना भारतीय को शोभा नहीं देता। हम भारतीय हैं; भारतीयता हमारी पहचान है। हम भारत मां के सपूत्र हैं; हर स्थिति में इनका मन रखेंगे, सम्मान रखेंगे। हम में से जो भटकेगा, कुछ भटके हुए हैं, हम उनसे आग्रह करेंगे, उनको समझाएंगे कि आप गलत कर रहे हो।
I pity them for they despicable, condemnable, reprehensible anti-national conduct, and that too outside the nation. I pray Almighty to bestow wisdom on them.
उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। पर उम्मीद तब रखेंगे जब उनके आचरण पर हम चुप नहीं रहेंगे। आपकी चुप्पी इस प्रकार के घृणित राष्ट विरोधी कार्य पर सदैव आपके कानों में गूंजेगी। आप याद करोगे कि मेरे को बोलने का एक मौका था। भावना प्रकट करने का मौका था। मैंने ऐसा क्यों नहीं किया?
Boys and girls speak out your mind. I don’t have to guide you, you are discerning minds, your stake is much more than mine. Every day you have to cultivate yourself.
एक बात की ओर और आपका ध्यान आकर्षित करूंगा। Basket of opportunities बढ़ रहा है, पर हमारे नवयुवकों को इसकी जानकारी नहीं है। वे सरकारी नौकरी के चक्कर में हैं, they are in silo। उसके लिए प्रयत्न करते हैं, बहुत प्रयत्न करते हैं। यह उनकी प्रतिभा है, पर मैं आपसे आग्रह करूंगा कि थोड़ी नजर फैलाइए और आपको आश्चर्य होगा कि इतने अवसर हैं, अकल्पनीय अवसर हैं। The basket of opportunities is getting bigger and bigger; avail it.
मैं ISRO गया—ISRO में एक भी IIT का नहीं है, इसरो में एक भी IIM का नहीं है। अंदाजा लगाइए, और ISRO कहां से कहां जा रहा है। और यह सिर्फ इसरो की बात नहीं है, अनेक फील्ड हैं—oceanography भी एक ऐसी है, अंतरिक्ष भी एक है। Avail the opportunities, I am sure you will have enough to contribute for the nation.
लोगों को बड़ा अच्छा लगता है, दूर से है, पार्लियामेंट की एक नई बिल्डिंग बनी, जाकर देखोगे, QR कोड को देखोगे, पता लगेगा कि ये द्वार क्यों है, भारत की 5000 की संस्कृति की झलक आपको वहां मिलेगी, अकल्पनीय, सोच नहीं सकते, भारत मंडपम दुनिया के दस बड़े मंडपमों में से एक है, पता नहीं कब आ गया, प्रधानमंत्री संग्रहालय, प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री, आपको हर साथ के साथ दिखाई देगी, दूसरी बात, यहां आकर I am surcharged, motivated and inspired.
I will bring about an MOU that in your university and Indian council of world affairs of which I am chairman. This MOU will be fructified in next 3 months. इससे क्या है कि दुनिया में भी आपका connection बढ़ेगा यह भारत सरकार की बहुत महत्वपूर्ण संस्था है जिसका अध्यक्ष उप-राष्ट्रपति होता है।
My last appeal to the boys and girls—you are lucky, you are fortunate to be getting quality education, but don’t fear Fear. डर मत रखें। डर आपकी प्रतिभा को कुंठित कर देगा, और किसी भी चीज का डर न लगे—कम से कम असफलता का डर कभी नहीं लगना चाहिए। असफलता इस लंबी जर्नी में स्वाभाविक है। असफलता सफलता की कुंजी बनती है, सफलता की सीढ़ी बनती है। ताजा उदाहरण ले लीजिए—चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे चंद्रयान-2 की छोटी असफलता बड़ी सफलता है। चंद्रयान-2 पूरा असफल नहीं था, चांद तक तो पहुंच ही गया था, बस दो-चार मीटर की कमी रह गई थी, वह चंद्रयान-3 ने पूरी कर दी।
If Chandrayaan-2 had not been there with its success and mild setback, we would not have tested the success of Chandrayaan-3. और क्या उपलब्धि है—23 अगस्त Space Day है। हमने चांद के ऊपर तिरंगा और शिव शक्ति पॉइंट दिया है। इन हालात में मैं यही कहूंगा, डर को निकाल दीजिए। Don’t hesitate to try; Innovation Commission भी है, आपका मिशन बहुत स्पष्ट है—to develop an ecosystem for research and innovation where individual potential can be harnessed to provide sustainable solutions for global concerns.
यहां से बाहर जाएंगे तो भी सिस्टम आपको बहुत सपोर्ट करेगा। affirmative governance has made available mechanism where you can fully exploit your potential realise your expression and dreams.
source: https://pib.gov.in
Union AYUSH Minister Pratap Rao Jadhav: राष्ट्रव्यापी अभियान ‘देश का प्रकृति परीक्षण’ के लिए आयुष मंत्रालय तैयार
Union AYUSH Minister Pratap Rao Jadhav: आयुर्वेद के उपचार को घर-घर तक पहुंचाना है
इस अभियान के माध्यम से शोध क्षेत्र का सबसे बड़ा रिसर्च सैंपल साइज़ प्राप्त होगा
आयुर्वेद के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रताप राव जाधव की संकल्पना और मार्ग दर्शन में आयुर्वेद क्षेत्र में शोध के साथ ही आयुर्वेद के बारे में जन जागृति करने हेतु ‘देश का प्रकृति परीक्षण’ अभियान पूरे देश में आयोजित करने के लिए तैयारी की बैठक आज नई दिल्ली में आयोजित की गई।
आयुर्वेद के अनुसार व्यक्ति की अपनी विशिष्ट प्रकृति होती है जो जन्म के समय ही निश्चित हो जाती है। प्रकृति का ज्ञान व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा हेतु महत्वपूर्ण होता है।
इस अवसर पर आयुष मंत्री श्री जाधव ने कहा कि मोदी जी ने बहुत विश्वास करके मुझे इस मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी है। इस जिम्मेदारी को निभाते हुए मुझे आयुर्वेद को आगे बढ़ाना है और आयुर्वेद को हर घर तक ले जाना है। मैंने ये देखा है कि बीमारी के आखिरी स्टेज में भी आयुर्वेद ने लोगों का उपचार किया है। हमें मिलजुलकर आयुर्वेद के उपचार को घर-घर तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में आधुनिकता होनी चाहिए और ये अभियान हमने आयुर्वेद को आगे बढ़ाने के लिए शुरू किया है। सामान्य मेडिकल स्टोर की तरह जगह-जगह पर आयुष के स्पेशल मेडिकल स्टोर खोले जाने चाहिए। मोदी जी का हर-घर आयुर्वेद पहुँचाने का सपना हम जरूर पूरा करेंगे।
सचिव आयुष वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि प्रकृति परीक्षण अभियान को विज्ञान के आधार पर एथिकल क्लियरेन्स और डॉक्युमेंटेशन के साथ किए जाने की तैयारी हो रही है। आयुष मंत्रालय, उसकी टीम और आयुर्वेद जगत से जुड़े लोगों का इस अभियान में विशेष योगदान है और हम इस अभियान के माध्यम से बहुत बड़ी सफ़तला अर्जित करके दिखाएंगे।
एनसीआईएसएम अध्यक्ष वैद्य जयंत देव पुजारी ने कहा कि इस अभियान के लिए आयुष मंत्रालय से जुड़ी सभी संस्थाओं को एक सूत्र में जोड़ा गया और सभी राज्यों के कोऑर्डिनेटर्स ने इस अभियान में अपनी सहभागिता की है। एक नोडल एजेंसी के तौर पर एनसीआईएसएम इसे सफल बनाने का प्रयास कर रही है। साथ ही इसकी सफलता के लिए मंत्रालय के सभी संस्थान समग्र रूप से कार्य कर रहे हैं।
इस अभियान को चलाने हेतु देश के सभी आयुर्वेद महाविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने वाले स्नातक छात्र जिनकी संख्या लगभग 1 लाख 35 हजार है तथा स्नातकोत्तर शिक्षा ग्रहण करने वाले लगभग 20 हजार छात्र, इन महाविद्यालाओं में अध्ययन-अध्यापन कराने वाले 18 हजार अध्यापक और देश में चिकित्सक के रूप में सेवा प्रदान करने वाले लगभग 3 लाख से अधिक चिकित्सक, ऐसे कुल मिलाकर लगभग 4 लाख 73 हजार लोग इस अभियान में स्वयं सेवक के रूप में प्रकृति परीक्षण का कार्य संपादित कराएंगे। इनके माध्यम से एक माह में एक करोड़ से अधिक नागरिकों का प्रकृति परीक्षण किया जा सकेगा। इस अभियान के माध्यम से शोध क्षेत्र का सबसे बड़ा रिसर्च सैंपल साइज़ प्राप्त होगा जिससे यह सामान्य भ्रांति दूर की जा सकेगी कि आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध कार्य नहीं होते।
इस कार्यक्रम में माननीय आयुष मंत्री जी के साथ लोकसभा सांसद श्री अनुराग शर्मा, सचिव आयुष मंत्रालय वैद्य राजेश कोटेचा, एनसीआईएसएम अध्यक्ष वैद्य जयंत देव पुजारी, अध्यक्ष पतंजलि आयुर्वेद आचार्य बालकृष्ण और अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के अध्यक्ष वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा ने अपनी सहभागिता दर्ज की।
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AYUSH Minister Prataprao Jadhav ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत आंवला का पौधा लगाया
AYUSH Minister Prataprao Jadhav ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत औषधीय पौधे लगाने की अपील की
केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय अभियान ‘एक पेड़ माँ के नाम’ के तहत आयुष भवन, नई दिल्ली में अपनी पूज्य माता स्वर्गीय श्रीमती सिंधुताई गणपतराव जाधव की स्मृति में ‘आंवला’ का पौधा लगाया।
पत्रकारों को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस अभियान के माध्यम से लोगों को माताओं के प्रति अपना स्नेह व्यक्त करने का अवसर मिलता है। यह अभियान माताओं और मातृभूमि के प्रति सम्मान व्यक्त करने का एक तरीका है। इस अभियान से जुड़कर लोग अपनी मां और धरती मां दोनों के लिए कुछ खास करने में सक्षम महसूस करेंगे। उन्होंने देश भर के लोगों से इस अभियान के तहत अपने आस-पास औषधीय पौधे लगाने और ‘सेल्फी’ लेकर सोशल मीडिया पर शेयर करने की अपील की। इससे अन्य लोगों को भी इस अभियान का हिस्सा बनने का अवसर मिलेगा। श्री प्रतापराव जाधव ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा 5 जून 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस पर शुरू किया गया अभियान #एक_पेड़_मां_के_नाम #Plant4Mother एक वैश्विक अभियान का रूप ले रहा है जिसका उद्देश्य हमारे पर्यावरण के संरक्षण और सतत विकास के लिए जागरूकता पैदा करना है। मंत्री के साथ आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, सीईओ राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड डॉ. महेश दधीचि और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। ।
आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की इस अभियान में प्रमुख भूमिका है, जिसने इस अभियान के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ आसानी से उपलब्ध औषधीय पौधों के नाम भी सार्वजनिक किए हैं। वृक्षारोपण के साथ-साथ औषधीय पौधों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए आयुष मंत्रालय की यह एक विशेष पहल है, जो प्रधानमंत्री के संकल्प को भी स्वास्थ्य से जोड़ेगी।
SOURCE: https://pib.gov.in
Tourism Administration Secretary Ravi Jain एवं आरटीडीसी एमडी सुषमा अरोड़ा ने किया निगम इकाइयों का सघन निरीक्षण
Tourism Administration Secretary Ravi Jain
Energy Minister Hiralal Nagar: अतिवृष्टि से हुए फसलों के नुकसान की गिरदावरी का कार्य समय पर पूर्ण करें
Energy Minister Hiralal Nagar
शीघ्र तैयार करें गिरदावरी रिपोर्ट
सड़कों का रिपेयर कार्य शुरू करें
Poha Cheela: यह चीला बेसन के चीले से भी स्वादिष्ट है, बस इन चीजों का करना होगा इस्तेमाल
Poha Cheela: आप इस विशिष्ट रेसिपी को अपना सकते हैं अगर आप भी कुछ खास और स्वादिष्ट बनाना चाहते हैं। यह जल्दी बन जाता है और आसानी से तैयार हो जाता है।
Poha Cheela: यदि आप भी समान भोजन से बोर हो गए हैं और कुछ अलग और स्वादिष्ट खाना चाहते हैं, तो आपको अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। आज हम आपको कुछ नए और स्वादिष्ट भोजन की रेसिपी बताएंगे। आइए जानते हैं उस खास रेसिपी के बारे में.
पोहे का चीला
हम पोहे के चीले की बात कर रहे हैं। पोहे का चीला स्वादिष्ट होने के साथ-साथ हेल्दी नाश्ता भी माना गया है। यह नाश्ता विटामिन, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर है। यही नहीं, अगर आप मोटापे से परेशान हैं, तो पोहे का चीला एक अच्छा विकल्प होगा। यह भी बहुत आसानी से बनाया जा सकता है और कम समय में बनकर जल्दी तैयार हो जाता है।
पोहे का चीला बनाने के लिए सामग्री
चीला बनाने के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की जरूरत होगी: एक कप पोहा, आधा कप दही, एक कप बारीक कटा हुआ प्याज, गाजर, हरी धनिया पत्ती, बारीक कटी हरी मिर्च, कद्दूकस किया हुआ अदरक, एक चम्मच हल्दी पाउडर, एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर, एक चम्मच धनिया पाउडर, स्वाद अनुसार नमक और तेल चाहिए। आप इन सभी सामग्री को घर पर आसानी से पोहे का चीला बना सकते हैं।
पोहे का चीला बनाने का तरीका
चीला बनाने के लिए पहले पोहे को दो से तीन बार धो लेना चाहिए. फिर इन्हें पानी में 15 मिनट के लिए भिगो दें। पानी से पोहे को निकालकर एक प्लेट में रख दें। अब एक बड़े बाउल में भिगोए हुए पोहे, दही, प्याज, गाजर, हरा धनिया, हरी मिर्च, अदरक का पेस्ट, हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर और नमक को अच्छी तरह मिलाएं।
अब एक नॉन-स्टिक पैन को मध्यम आंच पर गर्म करें। पैन में थोड़ा सा तेल लगाएं और फिर इस मिश्रण का एक चम्मच में डालकर फैलाएं. जब यह दोनों तरफ से सुनहरा हो जाए और अच्छी तरह पक जाएं, तो इसे एक प्लेट में निकाल कर गरमा गरम पोहे का चीला हरी चटनी या दही के साथ सर्व करें.
आप चाहें तो इस चीले को शिमला मिर्च, मटर या अन्य सब्जियां मिलाकर इसका स्वाद बढ़ा सकते हैं। अगर आप कम कैलोरी वाला चीला बनाना चाहते हैं तो तेल की जगह पानी डालकर भी इसे पका सकते हैं।
Ganpati Visarjan: आज भगवान गणेश विदा होने वाले हैं, इसलिए जानिए विसर्जन के सभी शुभ मुहूर्त।
Ganesh Visarjan Shubh Muhurt: यदि आप भी आज गणपति को विदा करना चाहते हैं, तो जानिए कौनसा मुहूर्त शुभ है।
Ganpati Visarjan वर्ष 2024: गणेश चतुर्थी विघ्नहर्ता श्री गणेश का जन्मोत्सव है। गणेश चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक यह पर्व चलता रहता है। यह उत्सव लगभग दस दिनों तक मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी पर, सभी श्रद्धालु भगवान गणपति बप्पा को अपने घर लाकर उनकी पूजा करते हैं। बाद में, कुछ भक्त बप्पा को डेढ़ दिन, तीसरे दिन और सातवें दिन, यानी अनंत चतुर्दशी, खुशी-खुशी विदा करते हैं। अगर आपने भी भगवान श्री गणेश को अपने घर में स्थापित किया है और 13 सितंबर को उनका विदाई करने वाले हैं, तो जानिए उनके विसर्जन का शुभ मुहूर्त क्या है।
13 सितंबर को विसर्जन के शुभ मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, 13 सितंबर, शुक्रवार को भगवान श्री गणेश का विसर्जन (Ganesh Visarjan) सुबह 6:04 बजे से सुबह 10:45 बजे तक चलेगा। यह मुहूर्त दोपहर 12:16 से 1:49 बजे तक रहेगा। साथ ही, शाम का शुभ मुहूर्त 4:54 से 6:27 तक चलेगा।
विसर्जन से पहले पूजा करना आवश्यक है
गणेशोत्सव के दसवीं दिन, अनंत चतुर्दशी को गणपति बप्पा की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है। विसर्जन से पहले भगवान श्री गणेश पूजा की जाती है। फल-फूल चढ़ाए जाते हैं। गणेश चतुर्थी के अंतिम दिन को अनंत चतुर्थी या गणेश जी के विसर्जन के नाम से जाना जाता है। विसर्जन के दिन बहुत से लोग भगवान श्री गणेश को जयकारे लगाते हैं, ढोल बजाते हैं और नाचते-गाते हैं।
आप चाहें तो गणपति बप्पा की प्रतिमा को टब या बाल्टी में भी विसर्जित कर सकते हैं। जब भगवान की मूर्ति पूरी तरह से पानी में घुल जाए, तो आप उसे अपने घर के पेड़-पौधों में या किसी स्वच्छ स्थान पर प्रवाहित कर सकते हैं।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी का त्योहार ज्ञान और बुद्धि की उपासना के लिए मनाया जाता है। भगवान गणेश को ज्ञान और बुद्धि का देवता मानते हैं, और लोगों को उनकी पूजा करने से ज्ञान और बुद्धि मिलती है। गणेश चतुर्थी परिवार और समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह त्योहार लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें अपने परिवार और समाज के साथ जुड़ने का अवसर देता है
Pitru Paksha 2024: इस साल का पितृपक्ष शुभ नहीं है, ये दो बड़ी घटनाएं ब्रह्मांड में घटेंगी
Pitru Paksha 2024: पितृपक्ष या श्राद्ध शुरू होने वाले हैं। हिंदू धर्म में अशुभ मानने वाले पितृपक्ष में इस वर्ष ब्रह्मांड में चंद्र और सूर्य ग्रहण (Grahan) जैसी बड़ी घटनाएं होंगी।
Pitru Paksha 2024: पितृपक्ष, या श्राद्ध पक्ष, 16 दिनों (भाद्रपद पूर्णिमा, 2024) से आश्विन अमावस्या (Amavasya) तक चलता है, पितृदोष से मुक्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। पितृपक्ष की 16 तिथियों में पूर्वजों को श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का महत्व है।
इस वर्ष 17 सितंबर से पितृपक्ष शुरू होगा। लेकिन 18 सितंबर 2024 को पहला श्राद्ध होगा। वहीं पितृपक्ष 2 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगा। ऐसा मानना है कि पितृपक्ष के दौरान मृत पूर्वज अपने परिजनों से मिलने आते हैं। यदि पितृपक्ष में उनके परिजन कुछ भी करते हैं, तो पितृ तृप्त होते हैं और उनका ऋण उतरता है।
हालांकि इस साल का पितृपक्ष शुभ नहीं बताया जा रहा है। इसका कारण ग्रहण (2024) पितृपक्ष की शुरुआत और समाप्ति के दिन ग्रहण का साया रहेगा। यही कारण है कि पितृ ग्रहणकाल में किए गए कर्मों को स्वीकार करेंगे या नहीं।
ये दो घटनाएं ब्रह्मांड में पितृपक्ष के दौरान घटेंगी
18 सितंबर, भाद्रपद पूर्णिमा पर वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण (Lunar Eclispe, 2024) होगा। यह ग्रहण भारत में देखा नहीं जा सकेगा। 2 अक्टूबर, पितृपक्ष के अंतिम दिन, साल का अंतिम सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse 2024) आश्विन अमावस्या पर होगा, जो भारत में नहीं दिखाई देगा। सूतक भारत में मान्य नहीं होगा क्योंकि दोनों का ग्रहण अदृश्य होगा।
लेकिन हिंदू धर्म (Hindu Dharm) में ग्रहण लगने की घटना को शुभ नहीं माना जाता। जब दो ग्रहण 15 दिनों के अंतराल में होते हैं, तो यह और भी बुरा माना जाता है। ऐसे में पितृपक्ष के पहले और अंतिम दिन पिंडदान या पितृपक्ष का श्राद्ध करते समय आपको बहुत सावधान रहना होगा।
मोक्षकाल पितृपक्ष के पहले दिन समाप्त होने के बाद प्रतिपदा श्राद्ध की शुरुआत करें। वहीं, अंतिम दिन सूर्य ग्रहण रात में होगा, और पितृपक्ष की क्रियाएं दिन में पूरी की जाएंगी। यही कारण है कि पितृपक्ष पर सूर्य ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं रहेगा।