Home भारत NHRC ने ‘व्यक्तियों की गरिमा और स्वतंत्रता – ‘मैनुअल स्कैवेंजरों के अधिकार’ विषयपर खुली चर्चा का आयोजन किया

NHRC ने ‘व्यक्तियों की गरिमा और स्वतंत्रता – ‘मैनुअल स्कैवेंजरों के अधिकार’ विषयपर खुली चर्चा का आयोजन किया

by editor
National Human Rights Commission CPHEEO, Shri Devendra Kumar Nim presented a report on ‘Septic in India

NHRC ने सीवेज और खतरनाक अपशिष्ट की मैनुअल सफाई बंद करने के कानूनी प्रावधानों के बावजूद सफाई कर्मचारियों की मौतों की निरंतर घटनाओं पर चिंता जताई

  • सीवर लाइनों और सेप्टिक टैंकों की सफाई के लिए प्रौद्योगिकी/रोबोट का उपयोग करके पायलट परियोजना चलाने की आवश्यकता पर बल दिया, जिसे एक राज्य से शुरू किया जाएगा और बाद में देश के दूसरे हिस्सों में भी लागू किया जाएगा
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के महासचिव श्री भरत लाल ने कहा कि आयोग विभिन्न राज्यों द्वारा मशीनो के उपयोग से सफाई कार्यान्वयन अपनाये जाने का अनुसरण कर रहा है
  • विभिन्न सुझावों द्वारा एसबीएम और नमस्ते योजनाओं के तहत जागरूकता अभियानों और बजट विश्लेषण, मैनुअल स्कैवेंजिंग डेटा तथा सीवर मृत्यु रिपोर्टिंग में पारदर्शिता पर जोर दिया गया।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC ) ने नई दिल्ली  स्थित अपने कार्यालय परिसर में ‘व्यक्तियों की गरिमा और स्वतंत्रता- मैनुअल स्कैवेंजरों के अधिकार’  पर हाइब्रिड मोड में खुली चर्चा का आयोजन किया। इस चर्चा की अध्यक्षता राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री वी. रामसुब्रमण्यन ने की। आयोग की सदस्य श्रीमती विजया भारती सयानी और न्यायमूर्ति (डॉ) बिद्युत रंजन सारंगी, महासचिव श्री भरत लाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर  उपस्थिति रहें। विभिन्न मंत्रालयों और राज्य सरकारों, गैर सरकारी संगठनों, मानवाधिकार रक्षकों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, निजी संगठनों और शोध विद्वानों के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में शामिल हुए और उन्होंने मैनुअल स्कैवेंजरों के अधिकारों और उनकी गरिमा सुनिश्चित करने से सम्बंधित प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा में योगदान दिया।

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NHRC  ,राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष ने कहा कि मैनुअल स्कैवेंजिंग एक ऐसा क्षेत्र है जिसे कानूनी रूप से निपटाया जा रहा है,  इस काम को प्रबंधित किया जा रहा है और इसे बंद कराने के लिए न्यायिक रूप से निगरानी की जा रही है। हालांकि, यह चिंताजनक है कि सीवेज और खतरनाक कचरे की मैनुअल सफाई को बंद किये जाने के कानूनी प्रावधानों के बावजूद अभी भी सफाई कर्मचारियों की मौतें हो रही हैं।

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न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यन ने कहा कि इस समस्या के निपटने के उपाय सुझाने के लिए इसके कारणों का अध्ययन और उन्हें समझना आवश्यक है। उन्होंने सीवर लाइनों और सेप्टिक टैंकों की सफाई के लिए प्रौद्योगिकी/रोबोट का उपयोग करके एक पायलट परियोजना चलाने की आवश्यकता पर भी बल दिया, जिसकी शुरुआत एक राज्य से की जानी चाहिए ताकि इसके परिणाम देखे जा सकें और देश के अन्य हिस्सों में भी इसे लागू किया जा सके।

इससे पहले, चर्चा का एजेंडा तय करते हुए, आयोग के महासचिव, श्री भरत लाल ने कहा कि आयोग ने विभिन्न राज्यों द्वारा मशीनीकृत सफाई प्रक्रियाओं के कार्यान्वयन और इस सम्बंध में उनके द्वारा किये जा रहे उपायों के मुद्दे को उठाया है। विभिन्न राज्यों ने डॉ. बलराम सिंह बनाम भारत संघ और अन्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी शहरी स्थानीय निकायों के लिए तीन साल का कार्यक्रम तैयार किया है। उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार और कैसे केवल कुछ जातियां और समुदाय इस मैला ढोने की प्रथा से असंगत रूप से प्रभावित हैं।

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इससे पहले, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के संयुक्त सचिव, श्री देवेन्द्र कुमार निम ने ‘भारत में सेप्टिक और वेअर टैंकों में होने वाली मौतों के मुद्दे पर ध्यान देना’, ‘मैनुअल स्कैवेंजिंग पर पूर्ण प्रतिबंध की आवश्यकता’ और ‘मैनुअल स्कैवेंजरों के लिए पुनर्वास उपाय: सम्मान और सशक्तीकरण की दिशा में रास्ता और आगे का रास्ता’ तीन तकनीकी सत्रों –के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मैनुअल स्कैवेंजिंग समाज के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, जिसे सामूहिक प्रयासों से खत्म करने की आवश्यकता है।

चर्चा में, राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम के प्रबंध निदेशक श्री प्रभात कुमार सिंह, नई दिल्ली के सफाई कर्मचारी आंदोलनके राष्ट्रीय संयोजक श्री बेजवाड़ा विल्सन, यूनिसेफ इंडिया के वरिष्ठ धुलाई विशेषज्ञ श्री सुजॉय मजूमदार, भारत मे यूनिसेफ के जल स्वच्छता और स्वास्थ्य विशेषज्ञ श्री यूसुफ कबीर, सीपीएचईईओ रोहित कक्कड़, केरल के जेनरोबोटिक्स इनोवेशन, निदेशक श्री राशिद करिंबनक्कल, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की बैशाली लाहिड़ी, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में मानवाधिकार और सबाल्टर्न अध्ययन केंद्र के विधि एवं निदेशक डॉ. विनोद कुमार,  वेव फाउंडेशन की मंजुला प्रदीप, तमिलनाडु की सोलिनास इंटीग्रिटी प्राइवेट लिमिटेड की सुश्री राज कुमारी, पुणे की फ्लेम यूनिवर्सिटी की प्रो. शीवा दुबे, काम-एविडा एनवायरो इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री एम. कृष्णा, नीति आयोगसलाहकारसुश्री स्मृति पांडेऔर अन्यवक्ताओं ने अपने विचार रखें।

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चर्चा में निकले कुछ सुझाव इस प्रकार हैं;

प्रभावी कल्याण कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए बेहतर प्रतिनिधित्व और जमीनी स्तर पर निगरानी की आवश्यकता;

पुनर्वास कार्यक्रमों और न्यूनतम मजदूरी के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सर्वेक्षण आयोजित करना;

2013 अधिनियम में सफाई कर्मचारियों और मैनुअल स्कैवेंजरों के बीच अंतर आवश्यक है;

स्थायी आजीविका के लिए महिलाओं के नेतृत्व वाले एसएचजीको सशक्त बनाने के लिए सफाई के मशीनीकरण और प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करना;

एसबीएम और नमस्ते योजनाओं के तहत मैनुअल स्कैवेंजिंग डेटा और सीवर मृत्यु रिपोर्टिंग, बजट विश्लेषण और जागरूकता अभियानों में पारदर्शिता की आवश्यकता है;

मैनुअल स्कैवेंजिंग और सीवर सफाई में शामिल लोगों के लिए क्षमता निर्माण प्रशिक्षण;

खतरनाक अपशिष्ट सफाई के लिए तकनीकी नवाचार लाने वालों को वित्तीय सहायता देना;

डी-स्लेजिंग बाजार का पैनल बनाना और इसके संचालन को विनियमित करना;

सुरक्षा गियर उपलब्ध कराना और जागरूकता कार्यशालाओं का संचालन करना;

स्वास्थ्य बीमा, शिक्षा, आदि के लिए डेटाबेस बनाने के लिए हाथ से मैला ढोने में शामिल व्यक्तियों की पहचान करने के लिए निगरानी तंत्र की आवश्यकता;

आयोग, कानूनी और नीतिगत प्रावधानों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए इन सुझावों पर आगे विचार-विमर्श करेगा तथा खतरनाक और सीवेज अपशिष्ट की मैन्युअल सफाई को प्रभावी रूप से समाप्त करने के साथ-साथ ऐसे कार्यों में शामिल लोगों के उचित पुनर्वास के लिए इनमें मौजूद खामियों को दूर करेगा।

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