CM Yogi Adityanath :उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के सात बस स्टेशनों को पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत विकसित करने का निर्णय लिया गया है। इनमें बस स्टेशन कौशांबी (गाजियाबाद), बस स्टेशन (गाजियाबाद), डिपो कार्यशाला अमौसी (लखनऊ), बस स्टेशन बुलंदशहर (नई भूमि), बस स्टेशन डिपो कार्यशाला, टायर शॉप व रिक्त भूमि साहिबाबाद (गाजियाबाद), नोएडा बस स्टेशन और फाउंड्रीनगर बस स्टेशन/डिपो कार्यशाला (आगरा) शामिल हैं।
इन बस स्टेशनों की भूमि विभिन्न विभागों से परिवहन निगम को लीज पर मिली हुई है, और इनका विकास पीपीपी मॉडल के तहत किया जाएगा। संबंधित विभागों से 90 वर्षों की कंसेशन राइट अवधि विकासकर्ताओं को प्रदान किए जाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, मंत्रिपरिषद ने निर्णय लिया है कि चयनित विकासकर्ता के साथ अनुबंध की तिथि से इन भूमियों की पट्टा अवधि 90 वर्षों तक बढ़ाई जाएगी।
इस योजना के तहत, बिना किसी सरकारी या निगम द्वारा पूंजी निवेश के, इन बस स्टेशनों का आधुनिकीकरण संभव होगा। इसके अलावा, यात्रियों और स्थानीय निवासियों को बस स्टेशन परिसर के भीतर अत्याधुनिक शॉपिंग मॉल, सिनेमाघर और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
उत्तर प्रदेश अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण नियमावली, 2025 के प्रख्यापन को स्वीकृति
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण नियमावली, 2025 के प्रख्यापन को मंजूरी दे दी है। यह नियमावली सरकारी गजट में प्रकाशित होने की तिथि से प्रभावी होगी।
गौरतलब है कि अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1985 के तहत भारतीय अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) का गठन किया गया था। भारत सरकार ने इसके कार्यों के सुचारु संचालन के लिए भारतीय अन्तर्देशीय जलमार्ग नियमावली, 1986 को लागू किया था। इसी को ध्यान में रखते हुए, उत्तर प्रदेश में जल परिवहन और जल पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश अन्तर्देशीय जलमार्ग अधिनियम, 2023 को अधिसूचित किया गया, जिसके तहत प्रदेश में एक नया उत्तर प्रदेश अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण गठित किया जाना है। इस नवगठित प्राधिकरण के कार्यों को सुव्यवस्थित ढंग से संचालित करने हेतु उत्तर प्रदेश अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण नियमावली, 2025 के प्रख्यापन का निर्णय लिया गया है।
राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के तहत भारत सरकार ने 111 राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किए हैं, जो विभिन्न राज्यों में स्थित हैं। उत्तर प्रदेश में गंगा, यमुना और अन्य प्रमुख नदियों के माध्यम से कुल 11 राष्ट्रीय जलमार्ग मौजूद हैं। इन जलमार्गों के माध्यम से सस्ती परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने और जल परिवहन एवं जल पर्यटन के विकास में उत्तर प्रदेश अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण की अहम भूमिका होगी। इस नियमावली के लागू होने से उत्तर प्रदेश में जल परिवहन को संगठित रूप से विकसित करने और जल पर्यटन को प्रोत्साहन देने में सहायता मिलेगी।
राही पर्यटक आवास गृहों को पीपीपी मोड पर विकसित और संचालित करने का निर्णय
मंत्रिपरिषद ने राही पर्यटक आवास गृह—सुमेर सिंह किला (इटावा), कपिलवस्तु (सिद्धार्थनगर), विन्ध्याचल (मीरजापुर), गोपीगंज (भदोही), झील महल रेस्टोरेंट (मऊ), शिकोहाबाद (फिरोजाबाद), बस्ती और वृन्दावन—को पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत विकसित व संचालित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत, इन आवास गृहों के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए निविदाकर्ताओं से प्राप्त वित्तीय निविदाओं को स्वीकार किया गया है। साथ ही, बस्ती और वृन्दावन के लिए प्रकाशित RFQ (रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन) के तहत पात्र निविदाकर्ताओं को शॉर्टलिस्ट किया गया है, और उनके बीच RFP (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) आमंत्रित करने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया गया है। इस संबंध में आवश्यकतानुसार आगे के निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया है।
पर्यटन उद्योग को मिलेगा बढ़ावा
वर्तमान में पर्यटन उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है, और इन आवास गृहों के निर्माण व संचालन में विशेषज्ञ संस्थाओं एवं प्रशिक्षित निवेशकों की आवश्यकता है। निजी निवेशकों के माध्यम से इनकी बेहतर देखभाल और संचालन किया जाना पर्यटन उद्योग के लिए लाभकारी होगा।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम बंद, घाटे में चल रहे या असंचालित पर्यटक आवास गृहों को जनोपयोगी बनाने, पर्यटकों को उच्चस्तरीय सुविधाएं प्रदान करने और प्रदेश में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
यूपी में पर्यटन की अपार संभावनाएं
उत्तर प्रदेश अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों के कारण देश का सबसे प्रमुख पर्यटन केंद्र है। इसके अलावा, प्रदेश में समृद्ध प्राकृतिक वन संपदा भी पर्यटन की अपार संभावनाओं को दर्शाती है।
इस पहल से उत्तर प्रदेश में पर्यटन को आधुनिक स्वरूप देने और अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं विकसित करने में सहायता मिलेगी।
प्रदेश के प्राचीन धरोहर भवनों का हेरिटेज पर्यटन इकाइयों के रूप में विकास
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश के प्राचीन धरोहर भवनों को एडाप्टिव री-यूज (अनुकूली पुनः उपयोग) के तहत सार्वजनिक-निजी सहभागिता (PPP) मॉडल पर हेरिटेज पर्यटन इकाइयों के रूप में विकसित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस निर्णय के अंतर्गत 13 ऐतिहासिक धरोहरों/किलों को पर्यटन विभाग को नि:शुल्क हस्तांतरित किया जाएगा, जिससे इनका संरक्षण और पर्यटन के लिहाज से पुनर्विकास किया जा सके।
हेरिटेज स्थलों का नए रूप में उपयोग
इन धरोहरों को हेरिटेज होटल, रिसॉर्ट, म्यूजियम और अन्य पर्यटन इकाइयों के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है। इस योजना को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए RFQ-cum-RFP (रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन एवं रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) मॉडल दस्तावेज को भी मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दे दी है। इसके अलावा, प्रस्तावित प्रोजेक्ट रिव्यू कमेटी के गठन का निर्णय लिया गया है, जिसकी अध्यक्षता प्रमुख सचिव, पर्यटन करेंगे। साथ ही, इस परियोजना से जुड़े आवश्यक निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया है।
उत्तर प्रदेश: सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों का केंद्र
उत्तर प्रदेश भारत के सबसे समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत वाले राज्यों में से एक है। यहां की ऐतिहासिक धरोहरें भारत के गौरवशाली अतीत को दर्शाती हैं और पर्यटन की असीम संभावनाएं रखती हैं।
पुरानी धरोहरों के संरक्षण की आवश्यकता
प्रदेश की कई विरासत संपत्तियाँ, जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और राज्य पुरातत्व निदेशालय के अंतर्गत संरक्षित घोषित हैं, उचित देखभाल के अभाव में क्षतिग्रस्त हो रही हैं। वर्तमान में इनसे राज्य सरकार को कोई राजस्व प्राप्त नहीं होता और स्थानीय नागरिकों एवं पर्यटकों के लिए भी ये अधिक उपयोगी नहीं हैं। इस योजना के तहत, ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित और पुनर्जीवित कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के साथ-साथ आर्थिक विकास को भी बल मिलेगा।