Ministry of Law and Justice कल से गुवाहाटी में असम सरकार के सहयोग से ‘आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन में भारत का प्रगतिशील पथ’ सम्मेलन का आयोजन करेगा

Ministry of Law and Justice कल से गुवाहाटी में असम सरकार के सहयोग से 'आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन में भारत का प्रगतिशील पथ' सम्मेलन का आयोजन करेगा

Ministry of Law and Justice राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अर्जुन राम मेघवाल इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे

हाल के वर्षों में, भारत सरकार ने पुराने औपनिवेशिक कानूनों को निरस्त करने तथा नागरिक केंद्रित और जीवंत लोकतंत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले कानून लाने की दिशा में अनेक कदम उठाए हैं। इसके अंतर्गत, हाल ही में देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार लाने के लिए तीन नए कानून बनाए गए हैं। ये नए कानून अर्थात भारतीय न्याय संहिता, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023, पहले के आपराधिक कानूनों अर्थात् भारतीय दंड संहिता 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का स्थान लेंगे। जैसा कि अधिसूचित किया गया है, ये आपराधिक कानून 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी होंगे।

इन नए कानूनों के बारे में विशेष रूप से हितधारकों और कानूनी बिरादरी के बीच जागरूकता फैलाने के लिए विधि और न्याय मंत्रालय असम सरकार के सहयोग से भूपेन हजारिका ऑडिटोरियमआईआईटी गुवाहाटी नमाति जलाहगुवाहाटी में 18-19 मई 2024 को आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन में भारत का प्रगतिशील पथ‘ नामक सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। असम के माननीय मुख्यमंत्री डॉहिमंत बिस्वा सरमा ने मुख्य अतिथि के रूप में इस अवसर की शोभा बढ़ाने पर सहमति दी है। माननीय न्यायमूर्ति श्री हृषिकेश रॉय न्यायाधीशभारतीय उच्‍चतम न्यायालयमाननीय न्यायमूर्ति श्री विजय बिश्नोई मुख्य न्यायाधीशगौहाटी उच्च न्यायालय और माननीय न्यायमूर्ति श्री बिश्वनाथ सोमद्दरमुख्य न्यायाधीश सिक्किम उच्च न्यायालय सम्मानित अतिथि होंगे। इस अवसर पर उपस्थित होने वाले अन्य गणमान्य व्यक्तियों में माननीय विधि और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभारभारत सरकारश्री अर्जुन राम मेघवाल और डॉरीता वशिष्ठसदस्य सचिवभारतीय विधि आयोग शामिल हैं।

इस सम्मेलन का उद्देश्य तीनों नए आपराधिक कानूनों के मुख्य बिंदुओं को सामने लाना तथा तकनीकी और प्रश्नोत्तर सत्रों के माध्यम से उनके बारे में सार्थक विचार विमर्श करना है। इसके अलावाइस सम्मेलन में विभिन्न अदालतों के न्यायाधीशअधिवक्ताशिक्षाविदकानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधिपुलिस अधिकारीलोक अभियोजकजिला प्रशासन के अधिकारी और पूर्वोत्तर राज्यों के कानून के छात्र भाग लेंगे। उल्लेखनीय है कि इस श्रृंखला का पहला सम्मेलन 20 अप्रैल 2024 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया था।

18 मई, 2024 को सम्मेलन का उद्घाटन सत्र भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली की संरचना को नए सिरे से परिभाषित करने वाले और नागरिकों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालने इन तीनों नए आपराधिक कानूनों के व्यापक उद्देश्यों पर प्रकाश डालेगा। उद्घाटन दिवस के विचार विमर्श के अलावा, सम्मेलन का दूसरा दिन तीन तकनीकी सत्रों के लिए समर्पित होगा, प्रत्येक सत्र एक –एक कानून के लिए होगा, जिनका विवरण निम्नलिखित है:

19 मई 2024 को तकनीकी सत्र -1 भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) के कार्यान्वयन का आकलन करने के लिए तुलनात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए गहन चर्चा पर केंद्रित होगा। सत्र की अध्यक्षता माननीय न्यायमूर्ति श्री सौमित्र सैकिया, न्यायाधीश, गौहाटी उच्च न्यायालय करेंगे। सत्र के अन्य पैनलिस्टों में सुश्री संगीता प्रधान, डिप्टी सॉलिसिटर जनरल, सिक्किम उच्च न्यायालय, सुश्री इप्सिता बोरठाकुर, विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो), नागांव, असम और श्री अमोल देव चौहान, एसोसिएट प्रोफेसर,एनएलयूजेए, असम शामिल हैं।

19 मई 2024 को तकनीकी सत्र – 2 में भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (बीएसए) के मुख्य पहलुओं अर्थात  अपराध का निर्णय करने के आधार-साक्ष्य के बारे में चर्चा की जाएगी। यह चर्चा “दस्तावेज़ों” और “सबूत” के विस्तृत दायरे पर केंद्रित होंगी जिन्हें परिभाषाएं शामिल कर सुगम बनाया गया है। इस सत्र की अध्यक्षता माननीय श्री न्यायमूर्ति देवाशीष बरुआ, न्यायाधीश, गुवाहाटी उच्च न्यायालय द्वारा की जाएगी। सत्र के अन्य पैनलिस्टों में श्री रंजीत कुमार देव चौधरी, डिप्टी सॉलिसिटर जनरल, गौहाटी उच्च न्यायालय, डॉ. नितेश मोज़िका, डिप्टी सॉलिसिटर जनरल, मेघालय उच्च न्यायालय, श्री रौशन लाल, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, कार्बी आंगलोंग, असम और सुश्री मोनिका शर्मा, विशेष निदेशक (प्रवर्तन), प्रवर्तन निदेशालय शामिल हैं।

19 मई 2024 को तकनीकी सत्र- 3 में पुलिस अधिकारियों द्वारा अपराध की जांच पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) द्वारा शुरू किए गए प्रक्रियात्मक परिवर्तनों के प्रभाव और न्यायपालिका और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के कामकाज पर व्यावहारिक प्रभाव डालने वाले आईसीटी उपकरणों के समावेशन पर चर्चा की जाएगी। सत्र की अध्यक्षता माननीय न्यायमूर्ति श्री अरुण देव चौधरी, न्यायाधीश, गौहाटी उच्च न्यायालय, श्री खोमद्रम समरजीत सिंह, डिप्टी  सॉलिसिटर जनरल, मणिपुर उच्च न्यायालय, श्री ई. चंद्रशेखरन, अधिवक्ता, मद्रास उच्च न्यायालय और श्री नीरज तिवारी सहायक प्रोफेसर, एनएलयू दिल्ली करेंगे।

यह सम्मेलन हितधारकों और नागरिकों के बीच जागरूकता फैलाकर तीनों आपराधिक कानूनों को समझ और उनके लागू करने में योगदान देगा।

SOURCEhttps://pib.gov.in/

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