दिल्ली सरकार ने चिटफंड कंपनियों द्वारा वित्तीय धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के लिए नए नियम लागू किए। यह कदम नागरिकों को धोखाधड़ी वाली निवेश योजनाओं से बचाने के लिए उठाया गया है।
दिल्ली सरकार ने निवेश पर अधिक लाभ देने वाली चिटफंड कंपनियों पर सख्ती बढ़ाने के लिए नियमों में बदलाव कर रहे हैं। अब धोखाधड़ी करने वालों के संपत्ति का अधिकार सरकार के पास होगा। इसके अलावा निवेश की सीमा को लेकर भी नए नियम बनाए हैं। मुख्यमंत्री आतिशी ने बुधवार को सुरक्षित निवेश को लेकर नए नियमों की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। नए नियम में अब सरकार के पास ऐसे मामलों पर कड़ी कार्रवाई करने के अधिकार होंगे। सीएम ने कहा कि धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस अपनाया जाएगा।
संपत्तियों की जांच और जब्त करने का होगा अधिकार
मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि लोगों को बहुत समय से उच्च रिटर्न की पेशकश करने वाली फर्जी योजनाओं से धोखा दिया गया है। आम लोग इससे पैसे खो चुके हैं। नए कानून अब हमें इन योजनाओं की सावधानी से निगरानी करने और धोखेबाजों को दंड देने की अनुमति देंगे। नए नियमों के अनुसार, दिल्ली सरकार को फर्जी हाई रिटर्न निवेश योजनाओं और चिटफंडों के माध्यम से धोखाधड़ी के मामलों से जुड़ी संपत्ति की जांच और जब्त करने का अधिकार है।
जांच में विशिष्ट एजेंसियां शामिल होंगी
दिल्ली सरकार ने आधिकारिक बयान में कहा कि फोरेंसिक और डिजिटल जांच करने के लिए अलग-अलग एजेंसियों को बनाया जाएगा। नए नियमों के अनुसार, धोखाधड़ी करने वालों की संपत्ति जब्त की जा सकेगी। पहले ऐसी संपत्तियां जब्त करने की अनुमति नहीं थी, जिससे धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ प्रभावी ढंग से कार्रवाई करने की सरकार की क्षमता सीमित हो गई थी।
नुकसान की भरपाई हो सकेगी
मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि लंबे समय से लोग ऐसे झूठे वादों में फंसते रहे हैं जो उन्हें बड़ा मुनाफा देने का दावा करते हैं, लेकिन अंत में उनका नुकसान होता है। इन नए नियमों के जरिए दिल्ली सरकार ऐसे धोखेबाजों पर कड़ी नजर रखेगी। उन्होंने कहा कि अभी तक धोखाधड़ी करने वालों की संपत्ति को जब्त करने का अधिकार नहीं था, लेकिन नए नियमों में यह अधिकार मिलेगा। जिसके जरिए हम निवेशकों के वित्तीय नुकसान की भरपाई कर पाएंगे। इसके अलावा सरकार के पास ऐसे निवेश और कंपनियों पर निगरानी का भी अधिकार होगा।
सहायता समूहों के लिए सीमा तय
बता दें कि सरकार ने नए कानूनों में खुद सहायता समूहों के काम को बाधित नहीं करने के लिए एक सीमा निर्धारित की है। अब किसी भी सदस्य द्वारा साल में पांच लाख रुपये या हर महीने पच्चीस हजार रुपये का योगदान करना नियमों से बाहर रहेगा। वास्तविक समूहों की गतिविधियां इसी तरह चलती रहेंगी। वहीं, सरकार जमा पूंजी पर नज़र रखेगी। इस सीमा से उनका काम प्रभावित नहीं होगा। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाएगा कि किसी के साथ गलत ना हो।
विशेष एजेंसियों को नियुक्त करने का अधिकार
नियमों में अब सरकार को धोखाधड़ी के मामलों में जांच और संपत्तियों की जब्ती के लिए विशेष एजेंसियों को नियुक्त करने का अधिकार होगा। इससे सरकार धोखाधड़ी का जल्दी पता लगा सकेगी और पीड़ितों के पैसे वापस दिला सकेगी। दिल्ली सरकार का कहना है कि वित्तीय लेनदेन को साफ-सुथरा रखने और नागरिकों के विश्वास को बढ़ाने की दिशा में यह अहम कदम है। नए नियम धोखाधड़ी वाली योजनाओं को खत्म करने और सुरक्षित वित्तीय माहौल बनाने में मदद करेंगे, खासकर उन छोटे स्वय सहायता समूहों के लिए जो ईमानदारी से काम कर रहे हैं।