Haryana News: सार में लोकसभा निर्णय के बाद हरियाणा की राजनीति भी बदल गई है। ऐसे में सत्ताधारियों के खिलाफ जाने से इनकार नहीं किया जा सकता। हालाँकि, यह सब सिर्फ सदन में बहुमत सिद्ध होने पर ही संभव है।
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इस बार हरियाणा में पांच विधायकों ने भाग्य आजमाया। इनमें से चारों चुनाव हार गए, सिर्फ एक विधायक वरुण चौधरी ने जीत हासिल की। संसद बनने पर वरुण मुलाना को अगले चौबीस दिनों के भीतर सदस्यता से इस्तीफा देना होगा।
CM नायब सिंह सैनी भी जीतकर विधानसभा सदस्य बन गए हैं। चौधरी के इस्तीफे और सैनी के विधायक बनने के बाद हरियाणा विधानसभा में सिर्फ 87 सदस्य रहेंगे। इसलिए बहुमत की संख्या 44 होगी।
41 भाजपा विधायक बने
CM नायब सिंह सैनी की जीत से भाजपा के विधायकों की संख्या 41 हो गई। भाजपा को हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा और निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत का समर्थन मिल गया है। इससे भाजपा के पास 43 विधायक हैं। सिर्फ एक विधायक का उनका समर्थन चाहिए। हालाँकि, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दावा किया है कि जजपा के विधायकों का उनका समर्थन है
पिछले दिनों मनोहर लाल ने जजपा के दो विधायकों का नाम लेकर कहा कि वे भाजपा का समर्थन करते हैं। ऐसे में सैनी सरकार फिलहाल खतरे में नहीं है। हरियाणा विधानसभा में 90 सदस्यों थे। मनोहर लाल और रणजीत चौटाला ने लोकसभा चुनाव के दौरान इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद की मौत हो गई। इसलिए, कुल 90 सीटों में से 87 सीट सदस्य शेष हैं।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने कहा कि सदन ही सरकार के बहुमत या अल्पमत को निर्धारित करेगा। ऐसा होने पर विपक्ष को 44 विधायकों का समर्थन भी दिखाना होगा। कांग्रेस के पास 29 विधायक हैं क्योंकि वरुण चौधरी ने इस्तीफा दिया है।
वहीं, जजपा के दस विधायक, इनेलो के अभय सिंह चौटाला और चार निर्दलीय विधायक हैं। वर्तमान समय में कांग्रेस के अलावा अन्य विधायक किसके समर्थन में जाते हैं, यह स्पष्ट नहीं है। लेकिन यदि ऐसा होता है, तो भाजपा विपक्ष के विधायकों को तोड़ सकती है और अपनी संख्या बढ़ा सकती है।