Petroleum Minister Hardeep Puri ने कहा कि सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी बढ़ाने के लिए व्यापक सुधार लागू किए
- सरकार ने वर्जित क्षेत्रों (नो-गो) को लगभग 99% तक कम कर दिया है, जिससे अन्वेषण के लिए नए व्यापक क्षेत्र खुल गए हैं: श्री पुरी
- श्री पुरी ने कहा कि भारत 2025 तक तलछटी बेसिन अन्वेषण को 16 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए तैयार है, 2030 तक 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर का लक्ष्य
Petroleum Minister Hardeep Puri ने आज ग्रेटर नोएडा में भारत के प्रमुख ‘दक्षिण एशियाई भूविज्ञान सम्मेलन एवं प्रदर्शनी जियो इंडिया 2024’ के उद्घाटन समारोह के दौरान कहा, “ऊर्जा आज आर्थिक वृद्धि एवं विकास का आधार स्तम्भ बन गई है।” श्री पुरी ने आर्थिक प्रगति को गति देने में ऊर्जा के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत जैसे विशाल देश में, बढ़ती अर्थव्यवस्था के अनुरूप ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ रही है।
केन्द्रीय मंत्री ने इस आयोजन का हिस्सा बनने पर प्रसन्नता व्यक्त की, जिसमें भारत और विदेश से अन्वेषण और उत्पादन (ईएंडपी) क्षेत्र के अग्रणी विशेषज्ञ एक साथ आ रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ पेट्रोलियम जियोलॉजिस्ट्स, इंडिया द्वारा आयोजित जीईओ इंडिया 2024, सम्मेलन और प्रदर्शनी का छठा आयोजन है और इसका विषय “ऊर्जा गतिशीलता के नए आयामों की खोज” है।
भारत में ईंधन की मांग वैश्विक औसत से तीन गुना बढ़ोतरी के मद्देनजर, श्री पुरी ने कहा कि भारत में प्रतिदिन 67 मिलियन लोग पेट्रोल पंपों पर जाते हैं। इस बढ़ती मांग से अगले दो दशकों में ऊर्जा की खपत में वैश्विक स्तर पर 25 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है। उन्होंने कहा, “उपलब्धता, सामर्थ्य और स्थिरता के संतुलन को बनाए रखना न केवल प्राथमिकता है, बल्कि एक प्रतिबद्धता भी है जिसे हम अन्वेषण, उत्पादन और ऊर्जा सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित कर पूरा कर रहे हैं।”
भारत का ऊर्जा क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है, देश के तलछटी बेसिनों में 651.8 मिलियन मीट्रिक टन कच्चे तेल के भंडार और 1,138.6 बिलियन क्यूबिक प्राकृतिक गैस के भंडार हैं, जिनका अभी तक अन्वेषण नहीं किया गया है। इन प्रचुर संसाधनों के बावजूद, भारत अपनी अन्वेषण क्षमता का पूर्ण रुप से दोहन नहीं कर पाया है। श्री पुरी ने बताया कि जब 2014 में वर्तमान सरकार सत्ता में आई, तब भारत के केवल 6 प्रतिशत तलछटी बेसिनों का ही अन्वेषण किया गया था। आज, यह आँकड़ा बढ़कर 10 प्रतिशत हो गया है, और खुला रकबा लाइसेंसिंग नीति (ओएएलपी) दौर के तहत आगे की अन्वेषण गतिविधि के साथ, यह 2025 तक बढ़कर 16 प्रतिशत हो जाएगा। वर्ष 2030 तक, सरकार का लक्ष्य देश के अन्वेषण क्षेत्र को 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर तक विस्तारित करना है, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा को और मजबूती मिलेगी।
केन्द्रीय मंत्री ने भारत के ऊर्जा क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए वर्तमान सरकार के कई महत्वपूर्ण सुधारों का भी जिक्र किया। इन प्रमुख सुधारों में अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों के लिए अनुमोदन प्रक्रिया को सरल बनाना, 37 अनुमोदन प्रक्रियाओं को घटाकर केवल 18 करना शामिल है, जिनमें से नौ अब स्व-प्रमाणन के लिए उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त, 2024 में तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक की शुरूआत तेल और गैस उत्पादकों के लिए नीति स्थिरता सुनिश्चित करती है, अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता की अनुमति देती है, और पट्टे की अवधि बढ़ाती है। इसके अलावा, सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में वर्जित क्षेत्रो (नो-गो) को लगभग 99 प्रतिशत तक कम कर दिया है, जिससे अन्वेषण के लिए विशाल नए क्षेत्र खुल गए हैं।
श्री पुरी ने पिछली व्यवस्था के उत्पादन साझाकरण अनुबंधों (पीएससी) से नए राजस्व साझाकरण अनुबंधों (आरएससी) में बदलाव पर भी प्रकाश डाला, जो निवेशकों के लिए अधिक स्पष्टता और पूर्वानुमान प्रदान करते हैं। उन्होंने उद्योग की चिंताओं को दूर करने और व्यापार करने में आसानी में सुधार करने के लिए निजी ईएंडपी कंपनियों, राष्ट्रीय तेल कंपनियों, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी) और हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) के हितधारकों को शामिल करते हुए एक संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) के गठन पर भी जोर दिया।
भारत के तलछटी बेसिनों से संबंधित डेटा तक पहुंच में सुधार करने पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सरकार ने तटवर्ती क्षेत्रों के लिए राष्ट्रीय भूकंपीय कार्यक्रम (एनएसपी), अपतटीय क्षेत्रों के लिए ईईजेड सर्वेक्षण और अंडमान बेसिन जैसे बिना पहुंच एवं अन्वेषण क्षेत्रों को खोलने जैसी पहलों के माध्यम से डेटा उपलब्धता को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। श्री पुरी ने कहा कि सरकार ह्यूस्टन विश्वविद्यालय में एक नया डेटा सेंटर स्थापित कर अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए डेटा को और अधिक सुलभ बना रही है, जिससे विदेशी फर्म महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक डेटा के बारे में आसानी से जानकारी हासिल कर सकेंगी।
ओएएलपी की हाल ही में नौवें दौर की बोली प्रक्रिया ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। जिसमें 8 तलछटी घाटियों में 28 ब्लॉकों में 136,596 वर्ग किलोमीटर अन्वेषण क्षेत्र की पेशकश की गई। उल्लेखनीय रूप से, इस दौर में पेश किए गए 38 प्रतिशत क्षेत्र को पहले वर्जित क्षेत्रों (नो-गो) के रूप में वर्गीकृत किया गया था। इस दौर में 28 ब्लॉकों के लिए कुल 60 बोलियाँ प्राप्त हुईं, जो भारतीय और विदेशी दोनों कंपनियों की बढ़ी हुई रुचि को दर्शाता है। पिछले दौर में प्रति ब्लॉक बोलियों की औसत संख्या केवल 1.3 प्रति ब्लॉक की तुलना में अब बढ़कर 2.4 हो गई है।
श्री पुरी ने भारत के ऊर्जा क्षेत्र, विशेष रूप से हरित हाइड्रोजन के क्षेत्र में भविष्य में प्रगति होने की आशा व्यक्त की। प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों में हाइड्रोजन मिश्रण, इलेक्ट्रोलाइज़र प्रौद्योगिकियों के स्थानीयकरण और हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए जैव-मार्गों को बढ़ावा देने पर केंद्रित परियोजनाओं के साथ, भारत भविष्य में हरित हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात में विश्व स्तर पर खुद को अग्रणी देश के रुप में स्थापित कर रहा है। केन्द्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हरित हाइड्रोजन को भविष्य के ईंधन के रूप में देखा जाता है, और भारत इसके उत्पादन के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने के लिए प्रतिबद्ध है।
जीईओ इंडिया 2024 में लगभग 2,000 प्रतिभागियों के भाग लेने की उम्मीद है और इसमें 20 से अधिक सम्मेलन सत्र, 4 पूर्ण चर्चाएँ, 200 से अधिक तकनीकी शोधपत्र और 50 से अधिक प्रदर्शनी सत्र होंगे। श्री पुरी ने कहा, “मुझे भू-वैज्ञानिकों के नवोन्मेषी विचारों पर पूरा भरोसा है कि वे भारत में ऊर्जा क्रांति का नेतृत्व करेंगे, हर नागरिक के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे और भविष्य की चुनौतियों का सामना करेंगे।”
श्री पुरी ने जीईओ इंडिया 2024 के प्रतिभागियों को नवाचार को बढ़ावा देने, स्थिरता को अपनाने और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग करने के लिए भी प्रोत्साहित किया।