Home भारत राष्ट्रीय सुशासन केंद्र ने श्रीलंका के सिविल सेवकों के लिए चौथे क्षमता निर्माण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन किया

राष्ट्रीय सुशासन केंद्र ने श्रीलंका के सिविल सेवकों के लिए चौथे क्षमता निर्माण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन किया

by ekta
राष्ट्रीय सुशासन केंद्र ने श्रीलंका के सिविल सेवकों के लिए चौथे क्षमता निर्माण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन किया

कार्यक्रम में सहायक सचिव, मंडल सचिव, सहायक जिला सचिव, उप निदेशक के रूप में कार्यरत 40 सिविल सेवकों ने भाग लिया

एनसीजीजी ने श्रीलंका के वरिष्ठ और मध्यम स्तरीय 135 सिविल सेवक अधिकारियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया है

राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) ने आज नई दिल्ली में श्रीलंका के सिविल सेवकों के लिए चौथे क्षमता निर्माण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन किया।

कार्यक्रम में श्रीलंका के 40 वरिष्ठ सिविल सेवक अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें सहायक मंडल सचिव, सहायक सचिव, उप सचिव, निदेशक, वरिष्ठ सहायक सचिव, सहायक निदेशक और उप निदेशक शामिल थे। इन सिविल सेवकों ने श्रीलंका के प्रमुख मंत्रालयों जैसे स्थानीय सरकार का आयोग, लोक प्रशासन, गृह मामले, प्रांतीय परिषद और स्थानीय सरकार, प्रांतीय परिषद और स्थानीय सरकार मंत्रालय, तथा न्याय, कारागार मामले और संवैधानिक सुधार मंत्रालय आदि का प्रतिनिधित्व किया।

राष्ट्रीय सुशासन केंद्र के महानिदेशक तथा प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के सचिव श्री वी. श्रीनिवास ने समापन सत्र को संबोधित किया। उन्होंने श्रीलंका में भारत के प्रतिनिधिमंडल के दौरे की उपलब्धियों को साझा किया व शासन में श्रीलंका की प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ज्ञान के पारस्परिक आदान-प्रदान से दोनों देश शासन को सुचारू रुप से चलाने और महत्वपूर्ण लक्ष्य-प्राप्ति में सक्षम होंगे।

इस सत्र में प्रतिभागियों द्वारा विभिन्न प्रभावशाली विषयों पर चार समूह प्रस्तुतियां दी गईं। इनमें श्रीलंका में जियोगोविया कार्यक्रम शामिल था, जो कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए भौगोलिक सूचना प्रणालियों के उपयोग पर केंद्रित है; कृषि आधुनिकीकरण परियोजना, जिसका उद्देश्य नवीन प्रणालियों और महत्वपूर्ण प्रभावों के माध्यम से श्रीलंका की कृषि में बदलाव लाना है; अश्वसुमा कार्यक्रम, एक कल्याणकारी लाभ पहल जिसे श्रीलंका के लोगों को व्यापक सामाजिक सुरक्षा सहायता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अंत में “भारत में पीपीपी की सफलता: श्रीलंका में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को बढ़ाना” पर एक प्रस्तुति द्वारा इस विषय पर प्रकाश डाला गया कि भारत के सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल की सफलता और यह श्रीलंका में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में कैसे सहायता कर सकता है।

कार्यक्रम के दौरान, एसोसिएट प्रोफेसर और पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. एपी सिंह ने कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण का अवलोकन प्रदान किया। इसमें मुख्य फोकस अत्यधिक इंटरैक्टिव सत्रों के माध्यम से भारत के सफल शासन मॉडल को साझा करने पर था। प्रतिभागियों ने कार्यक्रम के दूसरे चरण के दौरान इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, वन अनुसंधान संस्थान, पंचकूला में जिला प्रशासन, चंडीगढ़ में साइबर अपराध केंद्र, राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, प्रधानमंत्री संग्रहालय और ताजमहल सहित विभिन्न संस्थानों और स्थलों का दौरा भी किया।

इस अवसर पर राष्ट्रीय सुशासन केंद्र की सलाहकार और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्रीमती प्रिस्का पॉली मैथ्यू भी उपस्थित थीं। क्षमता निर्माण कार्यक्रम का संचालन एनसीजीजी के एसोसिएट प्रोफेसर और पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. ए.पी. सिंह, एसोसिएट पाठ्यक्रम समन्वयक और संकाय, डॉ. एम.के. भंडारी ने किया, जिसमें श्री संजय दत्त पंत और उनकी टीम ने सहयोग किया।

SOURCE: https://pib.gov.in

You may also like

Leave a Comment