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डार्कनेस हार्मोन मेलाटोनिन का नैनो-फॉर्मूलेशन पार्किंसंस रोग (PD) के लिए चिकित्सीय समाधान हो सकता है

by editor
Nano-formulation of darkness hormone melatonin could be a therapeutic solution for Parkinson's disease (PD)

वैज्ञानिकों ने साबित कर दिया है कि अंधेरे के प्रति मस्तिष्क द्वारा उत्पादित हार्मोन मेलाटोनिन के नैनो-फार्मूलेशन से इसके एंटीऑक्सीडेंट और न्यूरोप्रोटेक्टिव गुणों में सुधार हुआ है और यह पार्किंसंस रोग (PD) के लिए एक संभावित चिकित्सीय समाधान हो सकता है।

नैनोफॉर्मूलेशन को दवाओं के ऐसे फॉर्मूलेशन या संयोजन के रूप में परिभाषित किया जाता है जो अपनी चिकित्सीय प्रभावकारिता को बढ़ाने के लिए नैनो तकनीक का उपयोग करते हैं। वे विशेष रूप से विषाक्तता को कम करके, घुलनशीलता में सुधार करके और जैव उपलब्धता को बढ़ाकर मौजूदा दवाओं के वितरण और प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

पार्किंसंस रोग (PD) सबसे आम न्यूरोलॉजिकल विकारों में से एक है जो मस्तिष्क में डोपामाइन को स्रावित करने वाले न्यूरॉन्स की मृत्यु के कारण होता है। न्‍यूरांस के नष्‍ट होने की प्रक्रिया इनके भीतर सिन्यूक्लिन प्रोटीन के एकत्रीकरण के कारण होती है। पीडी के उपचार के लिए उपलब्ध दवाएं केवल लक्षणों को कम कर सकती हैं, लेकिन बीमारी को ठीक नहीं कर सकती हैं और यह खोज इस बीमारी के लिए बेहतर चिकित्सीय समाधान विकसित करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

पिछले दशक में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि PD से संबंधित जीन “माइटोफैगी” नामक गुणवत्ता नियंत्रण तंत्र को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो निष्क्रिय माइटोकॉन्ड्रिया की पहचान करता है और उन्हें हटाता है तथा ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है। कई एंटीऑक्सीडेंट में से, मेलाटोनिन, मस्तिष्क में मौजूद एक अंतःस्रावी ग्रंथि पीनियल ग्रंथि से स्रावित एक न्यूरोहोर्मोन है, जो नींद और जागने के चक्र को नियंत्रित करता है और अनिद्रा के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। यह पीडी को कम करने के लिए माइटोफैगी का एक संभावित प्रेरक हो सकता है।

माइटोफैगी स्‍वत: भक्षण द्वारा माइटोकॉन्ड्रिया का चयनात्‍मक क्षरण है। यह अक्‍सर क्षति या तनाव के बाद दोषपूर्ण माइटोकॉन्ड्रिया में होता है और कोशिका को स्‍वस्‍थ रखने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मेलाटोनिन एक PD प्रतिपक्षी के रूप में जिन आणविक मार्गों का अनुसरण करता है, वे अभी भी अपर्याप्त रूप से स्पष्ट हैं, जबकि यह एक सुरक्षित और संभावित न्यूरोथेराप्यूटिक दवा है, जिसकी कुछ सीमाएं हैं, जैसे कम जैव उपलब्धता, समय से पहले ऑक्सीकरण, मस्तिष्क में वितरण, आदि।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी) मोहाली के शोधकर्ताओं के एक समूह ने मस्तिष्क तक दवा पहुंचाने के लिए मानव सीरम एल्ब्यूमिन नैनो-सूत्रीकरण का उपयोग किया और मेलाटोनिन-मध्यस्थ ऑक्सीडेटिव तनाव नियंत्रण के पीछे आणविक प्रणाली का अध्ययन किया।

मस्तिष्क तक मेलाटोनिन पहुंचाने के लिए जैवसंगत प्रोटीन (एचएसए) नैनोकैरियर का उपयोग करते हुए, डॉ. सुरजीत करमाकर और उनकी टीम ने साबित किया है कि नैनो-मेलाटोनिन के परिणामस्वरूप मेलाटोनिन का निरंतर स्राव होता है और जैव उपलब्धता में सुधार होता है।

उन्होंने पाया कि नैनो-मेलाटोनिन ने एंटीऑक्सीडेंट और न्यूरोप्रोटेक्टिव गुणों को बढ़ाया। इसने न केवल अस्वस्थ माइटोकॉन्ड्रिया को हटाने के लिए माइटोफैगी में सुधार किया, बल्कि इन विट्रो पीडी मॉडल में कीटनाशक (रोटेनोन) प्रेरित विषाक्तता का मुकाबला करने के लिए माइटोकॉन्ड्रिया की जैव उत्‍पति प्रक्रिया में भी सुधार किया।

इस सुधार का श्रेय मेलाटोनिन के निरंतर स्राव और मस्तिष्क तक इसके लक्षित वितरण को दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप केवल मेलाटोनिन की तुलना में चिकित्सीय प्रभावकारिता में वृद्धि होती है।

बढ़ा हुआ एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव बीएमआई1 नामक एक महत्वपूर्ण एपिजेनेटिक रेगुलेटर के अपरेगुलेशन के माध्यम से माइटोफैगी प्रेरण का परिणाम है जो जीन अभिव्यक्ति को नियंत्रित करता है। ऑक्सीडेटिव तनाव में कमी पार्किंसंस रोग के लक्षणों को कम करने में योगदान देती है।

एसीएस एप्लाइड मैटेरियल्स एंड इंटरफेसेस पत्रिका में प्रकाशित उनके निष्कर्षों ने नैनो-मेलाटोनिन के इन-विट्रो और इन-विवो न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव के साथ-साथ माइटोफैगी को नियंत्रित करने के लिए इसके द्वारा प्रभावित आणविक/सेलुलर गतिशीलता पर भी प्रकाश डाला।

प्रयोगों से पता चला कि मेलाटोनिन के नैनो-फ़ॉर्मूलेशन ने चूहों के मस्तिष्क में टीएच-पॉज़िटिव न्यूरॉन्स को रोटेनोन-मध्यस्थ विषाक्तता से भी बचाया। इसके अतिरिक्त, अध्ययन ने पहली बार खुलासा किया कि पॉलीकॉम्ब रिप्रेसिव कॉम्प्लेक्स 1 का एक सदस्य बीएमआई1, एपिजेनेटिक नियं‍त्रण के लिए ज़िम्मेदार प्रोटीन का सबसे ज़रूरी घटक है, जो नैनो-फ़ॉर्मूलेशन उपचार के बाद अत्यधिक देखा गया था। यह अति अभिव्यक्ति प्रेरित माइटोफ़ैजी न्यूरॉन्स को अध:पतन से बचाने में मदद कर सकती है।

यह अध्ययन मेलाटोनिन-मध्यस्थ माइटोफैगी नियंत्रण के पीछे आणविक तंत्र को उजागर करता है। पार्किंसंस रोग मॉडल में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने के लिए बढ़ी हुई माइटोफैगी महत्वपूर्ण थी।

मेलाटोनिन-मध्यस्थ बीएमआई1 नियंत्रण और ऑक्सीडेटिव तनाव को रोकने के लिए माइटोफैगी को प्रेरित करने में इसकी भूमिका, मेलाटोनिन को पार्किंसंस रोग के लिए उम्‍मीद की एक किरण के रूप में स्थापित करने का मार्ग प्रशस्‍त कर सकती है।

इसका उपयोग अन्य बीमारियों के इलाज के लिए भी किया जा सकता है, जहाँ रोग संबंधी परिणामों के लिए अनियमित माइटोफैगी महत्वपूर्ण है। निरंतर शोध के साथ, यह रोगियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक सुरक्षित दवा के रूप में कारगर साबित हो सकती है।

इस प्रक्रिया का ग्राफिकल सार

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