Jagbir Singh: हॉकी इंडिया के पूर्व कोच को दिल का दौरा , अपोलो हॉस्पिटल में ICU में भर्ती

Jagbir Singh: Former Hockey India coach suffers heart attack, admitted to ICU at Apollo Hospital

Jagbir Singh: भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कोच जगबीर सिंह की तबियत खराब है। उनकी हालत अब भी गंभीर है, इसलिए उनको अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया है और आईसीयू में हैं।

Apollo Hospital Admits Jagbir Singh: खेल जगत को बुरी खबर मिली है। हॉकी इंडिया के पूर्व कोच जगबीर सिंह अस्पताल में भर्ती है। दिल का दौरा पड़ा है, इसलिए वे दिलली में अपोलो हॉस्पिटल के ICU में भर्ती हैं। वे इस समय चिकित्सकों की देखभाल में हैं और चिकित्सक उनकी निरंतर स्वास्थ्य जानकारी देते हैं। हालाँकि, उनकी हालत अभी भी खराब है और उनके परिजनों को भी उनकी तबियत बिगड़ने की खबर दे दी गई है।

दो बार के ओलंपियन जगबीर सिंह हॉकी इंडिया लीग (HIL) के लिए टीम गोनासिका के साथ दिल्ली पहुंचे, सूत्रों ने बताया। ट्रेनिंग सेशन के दौरान उनकी तबियत बिगड़ी। उन्हें अपोलो हॉस्पिटल में तुरंत भर्ती कराया गया जब उन्हें सांस लेने और सीने में जकड़न की शिकायत हुई। यहां, जांच से पता चला कि उनकी आर्टरी टूट गई है और सर्जरी की आवश्यकता है। सर्जरी के दौरान जगबीर को दिल का दौरा पड़ा, इसलिए उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया।

दो बार जगबीर सिंह ने देश के लिए ओलंपिक खेले।

ध्यान दें कि 59 वर्षीय जगबीर सिंह उत्तर प्रदेश के आगरा में एक सिख परिवार में जन्मे हैं और पूर्व ओलंपियन हैं। दर्शन सिंह उनके पिता भी देश के लिए हॉकी खेलते थे। उनके शहर में सबसे बड़ा ध्यानचंद टूर्नामेंट हुआ था। वहीं, जगबीर सिंह ने 1988 के सियोल ओलंपिक में और 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया। 1985 से 1996 तक वे देश के लिए खेले।

वह 1986 के एशियाई खेलों में सियोल में कांस्य पदक जीता था। 1990 के एशियाई खेलों में बीजिंग में सिल्वर मेडल जीतकर नाम रोशन किया था। उन्होंने 16 साल के करियर में 175 इंटरनेशनल कैप जीतीं। वे अपने समय के सर्वश्रेष्ठ फॉरवर्ड थे। उन्होंने हॉकी खेलना छोड़ दिया और हॉकी सिखाने का फैसला लिया। वे कोच बन गए और 2004 के एथेंस ओलंपिक में भारत की पुरुष हॉकी टीम को बनाया।

1990 के दशक में जगबीर सिंह ने भी हॉकी कमेंट्री की थी। 1990 में भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार देकर सम्मानित किया था। 2004 में उन्हें लक्ष्मण अवार्ड दिया गया था। 2015-16 के लिए उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान यश भारती अवार्ड भी मिला। उन्हें मार्च 2017 में भारत सरकार के खेल और युवा मामले मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुपरवाइजर बनाया।

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