Evidence Breath Analyzers: उपभोक्ता मामले विभाग ने विधिक माप विज्ञान (सामान्य) नियम, 2011 के अंतर्गत सांस में अल्कोहल की मात्रा मापने और इन्हें प्रदर्शित करने के लिए साक्ष्य श्वास विश्लेषक हेतु मसौदा नियम पेश किए

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Evidence Breath Analyzers: उपभोक्ता मामले विभाग ने विधिक माप विज्ञान (सामान्य) नियम, 2011 के अंतर्गत सांस में अल्कोहल की मात्रा मापने और इन्हें प्रदर्शित करने के लिए साक्ष्य श्वास विश्लेषक हेतु मसौदा नियम पेश किए

Evidence Breath Analyzers: दोषपूर्ण उपकरण के कारण गलत दंड से व्यक्तियों को बचाने के लिए एक वर्ष के भीतर साक्ष्य श्वास विश्लेषक का मुद्रण और सत्यापन करना

Evidence Breath Analyzers: भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग के विधिक मापविज्ञान प्रभाग ने विधिक मापविज्ञान (सामान्य) नियम, 2011 के अंतर्गत साक्ष्य श्वास विश्लेषकों के लिए नए मसौदा नियमों का शुभारंभ किया है। इस पहल का उद्देश्य कानून प्रवर्तन और कार्यस्थलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले श्वास विश्लेषक परीक्षणों की सटीकता और विश्वसनीयता को सुनिश्चित करना है, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा और विश्वास को बढ़ाया जा सके।

सत्यापित और मानकीकृत साक्ष्य श्वास विश्लेषक सांस के नमूनों से रक्त में अल्कोहल की मात्रा को सटीक रूप से मापेंगे, जिससे नशे में धुत व्यक्तियों की पहचान शीघ्रता से और प्रभावी ढंग से की जा सकेगी। इससे सड़क पर शराब से संबंधित घटनाओं को रोकने में सहायता मिलने के साथ-साथ सभी के लिए सुरक्षित यात्रा में योगदान मिलता है।

नए नियमों के अनुसार, साक्ष्य श्वास विश्लेषकों को मानकीकृत परीक्षण प्रक्रियाओं का पालन करना होगा, जिससे विभिन्न उपकरणों पर सुसंगत और विश्वसनीय परिणाम सुनिश्चित होंगे। यह मानकीकरण प्रवर्तन कार्रवाइयों की निष्पक्षता और सटीकता में जनता का विश्वास बढ़ाता है।

साक्ष्य श्वास विश्लेषकों को उनकी सटीकता सुनिश्चित करने के लिए कानूनी माप विज्ञान अधिनियम, 2009 के अनुसार सत्यापित और मुहरबंद किया जाना चाहिए। यह सत्यापन व्यक्तियों को न सिर्फ दोषपूर्ण उपकरणों के कारण गलत दंड से बचाता है बल्कि कानूनी और कार्यस्थल नीतियों की अखंडता को बनाए रखने में मदद करता है।

साक्ष्य श्वास विश्लेषकोम की सहायता से रक्त में अल्कोहल की मात्रा को बिना किसी आक्रामक तरीके को अपनाए मापा जा सकता है, साथ ही यह शीघ्र और दर्द रहित सैम्पल संग्रह प्रदान करते हैं। शीघ्रता से की गई विश्लेषण क्षमताएँ कानून प्रवर्तन अधिकारियों को त्वरित, सूचित निर्णय लेने में सहायता प्रदान करती हैं, जिससे सड़क के किनारे जाँच की प्रभावशीलता बढती है।

जनता के लिए मुहरबंद और सत्यापित साक्ष्य श्वास विश्लेषक की उपलब्धता शराब के नुकसान पर पड़ने वाले प्रभावों और वाहनों एवं गाड़ियों के सुरक्षित संचालन की कानूनी सीमाओं के बारे में जागरूकता बढ़ा सकती है। इसके साथ ही यह जिम्मेदार व्यवहार और सूचित निर्णय लेने को भी प्रोत्साहन देता है।

मसौदा नियमों में “साक्ष्य श्वास विश्लेषक” को एक ऐसे उपकरण के रूप में परिभाषित किया गया है जो निर्दिष्ट त्रुटि सीमाओं के भीतर छोड़ी गई मानव साँस में अल्कोहल की मात्रा को मापता है और प्रदर्शित करता है और यह उन साक्ष्य श्वास विश्लेषकों पर भी लागू होता है जो साँस के नमूने के लिए माउथपीस का उपयोग करते हैं। उपकरण की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए यह नियम विभिन्न प्रकार के परीक्षणों की भी सुविधा प्रदान करते हैं। वार्षिक सत्यापन उपयोग के दौरान इस उपकरण की सटीकता को सुनिश्चित किया जा सकेगा।

मसौदा नियमों में साक्ष्य श्वास विश्लेषकों के लिए कई तकनीकी आवश्यकताओं की रूपरेखा दी गई है, इनमें शामिल हैं:

  • केवल अंतिम माप परिणाम प्रदर्शित करना
  • इसमें परिणाम रिकॉर्ड करने के लिए प्रिंटर भी शामिल है तथा यह सुनिश्चित किया गया है कि उपकरण कागज के बिना काम न करे
  • रक्त में अल्कोहल मात्रा के परिणाम के साथ अतिरिक्त मुद्रित जानकारी प्रदान करना
  • परिणामों की रिपोर्टिंग विभिन्न प्रारूपों में की जाती है, जैसे रक्त में अल्कोहल की सांद्रता।

साक्ष्य श्वास विश्लेषकों के लिए नए मसौदा नियम, सड़क सुरक्षा और प्रवर्तन विश्वसनीयता में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम को दर्शाते हैं। यह सुनिश्चित करके कि साक्ष्य श्वास विश्लेषक सटीक, मानकीकृत और उपयोग में आसान हैं, ये नियम बेहतर प्रवर्तन, उन्नत सुरक्षा और कानूनी एवं कार्यस्थल पर शराब परीक्षण में बढ़े हुए विश्वास के माध्यम से जनता को लाभान्वित करेंगे। उपभोक्ता मामले विभाग कड़े मानकों और विश्वसनीय माप उपकरणों के माध्यम से जन कल्याण की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

मसौदा नियमों को 26.07.2024 तक सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए वेबसाइट पर इस लिंक पर पेश किया गया हैं: https://consumeraffairs.nic.in/sites/default/files/file-uploads/latestnews/Draft_Rule_Breath_Analyser.pdf

Source: https://pib.gov.in/

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