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CM Yogi Adityanath ने गीता वाटिका, गोरखपुर में भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार की 132वीं जयन्ती पर श्रद्धासुमन अर्पित किए

by ekta
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CM Yogi Adityanath ने गीता वाटिका, गोरखपुर में भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार की 132वीं जयन्ती पर श्रद्धासुमन अर्पित किए

CM Yogi Adityanath

  • CM Yogi Adityanath: गीता प्रेस के माध्यम से भाई जी ने सनातन धर्म से सम्बन्धित वैदिक साहित्य का प्रकाशन एवं उसका प्रचार-प्रसार कर,
    उसे प्रत्येक घर में पहुंचाने का कार्य किया
  • महापुरुषों का व्यक्तित्व शाश्वत सत्य पर आधारित होता
  • गीता प्रेस न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में वैदिक साहित्य का प्रचार-प्रसार का सबसे बड़ा केन्द्र, यह भाई जी की साधना का ही परिणाम
  • आजादी की लड़ाई में अपनी साहित्य साधना के माध्यम से भाई जी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया
    कल्याण पत्रिका के माध्यम से भाई जी ने भारत के भविष्य निर्माण के चिंतन कार्य को आगे बढ़ाया

CM Yogi Adityanath ने आज गीता वाटिका, गोरखपुर में भाई जी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार की 132वीं जयन्ती पर उनकी समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने गीता वाटिका सभागार में युगदृष्टा महामानव भाई जी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार: जीवन एवं अवदान विषयक संगोष्ठी में लोगांे को सम्बोधित करते हुए कहा कि भाई जी ने अपने 70 वर्ष के लम्बे कालखण्ड में भारत के धार्मिक जगत के लिए ऐसा कोई कार्य नहीं था, जो नहीं किया। ऐसा कोई अभियान या आन्दोलन नहीं था, जिसमें भाई जी की प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भागीदारी न रही हो।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने गोरखपुर को अपनी साहित्य साधना का केन्द्र बनाया था। गीता प्रेस के माध्यम से उन्होंने सनातन धर्म से सम्बन्धित सभी वैदिक साहित्य का प्रकाशन एवं उसका प्रचार-प्रसार कर, प्रत्येक घर में पहुंचाने का कार्य किया। वर्ष 1927 में कल्याण पत्रिका का प्रकाशन गोरखपुर से शुरू किया गया था। कल्याण पत्रिका केवल आध्यात्मिक एवं धार्मिक ग्रन्थ ही नहीं, बल्कि पारिवारिक जीवन का पवित्र ग्रन्थ भी बन गया। गत शताब्दी में ऐसा कोई भी सनातन धर्मावलम्बी नहीं था, जिसके घर में कल्याण पत्रिका नहीं पढ़ी जाती थी। इसका श्रेय भाई जी की साहित्य साधना को जाता है। साधना का एक पक्ष यह है कि जिस भाव में साधना की जाती है, उसके परिणाम भी उसी प्रकार प्राप्त होते हैं। लोक कल्याण एवं राष्ट्र कल्याण का भाव भाई जी के अंदर भरा हुआ दिखाई देता है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन में भी भाई जी ने बढ़चढ़ कर भाग लिया था। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें अनेक यातनाएं दी थीं। उनके मार्ग में अनेक बाधाएं भी आयीं। उनकी कल्याण पत्रिका को भी जब्त कर लिया गया था। स्वाधीनता आंदोलन में सभी प्रमुख नेताओं एवं क्रान्तिकारियों से भाई जी कासम्पर्क रहा था। आजादी की लड़ाई में अपनी साहित्य साधना के माध्यम से उन्होंने
महत्वपूर्ण योगदान दिया था। वे इस ध्येय के साथ निरंतर कार्यरत रहे कि जीवन केवल जीने के लिए नहीं होता। मनुष्य जीवन, ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है। यह एक बड़े लक्ष्य को ध्यान में रखकर अग्रसर होता है और अपने आचरण व व्यक्तित्व को उसके अनुरूप धारण करने का सर्वश्रेष्ठ प्रयास करता है। उसके परिणाम भी उसी रूप में हमें दिखायी देते हैं।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भाई जी ने आजादी की लड़ाई के उपरान्त भारत के संस्कारयुक्त परिवारों की परम्परा को अपनी लेखनी के माध्यम से आगे बढ़ाया। कल्याण पत्रिका के माध्यम से उन्होंने भारत के भविष्य निर्माण के चिंतन कार्य को भी आगे बढ़ाया। गीता प्रेस न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में वैदिक साहित्य का प्रचार-प्रसार का सबसे बड़ा केन्द्र है। यह भाई जी की साधना का ही परिणाम है। इस कालखण्ड में जिस प्रकार की साधना को भाई जी ने आगे बढ़ाया, उसके परिणाम हम सबको देखने को मिले हैं।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत का वैदिक साहित्य आज हम सबके सामने है। वह किसी के चिंतन की ही देन है। भारत की ऋषि परम्परा की देन है। इस परम्परा को हमारे ऋषियों ने श्रवण परम्परा के माध्यम से आगे नहीं बढ़ाया होता तो देश की गुलामी के दौर में यह नष्ट हो गयी होती। आत्म विस्मृति का दौर और आत्म गौरव तिरोहित करने का भाव हमें आज इस कालखण्ड में भी दिखाई देता, यदि हमारे पास इतनी उत्कृष्ट कोटि का वैदिक साहित्य न होता। गुलामी के कालखण्ड में भी आत्म विस्मृति के दौर से हम गुजर रहे थे, किन्तु उस कालखण्ड में भारत के वैदिक साहित्य को लेकर दुनिया के अनेक देशों ने अनेक शोध करके अनेक उपलब्धियां हासिल की।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अपनी उद्यमिता एवं रिसर्च डेवलपमेंट के लिए विख्यात जर्मनी देश, भारत के वैदिक साहित्य के प्रति गम्भीरता से शोध कर रहा है। इस कालखण्ड में जब हम आत्म विस्मृति में खोए हुए थे तथा अपने आत्म गौरव के भाव को हम लोगों ने तिरोहित कर दिया था, उस समय भारत के वैदिक साहित्य से प्रेरणा लेकर यूरोप का यह देश खड़ा हो रहा था। उसने अपने देश में नवाचार एवं उद्यमिता को बढ़ावा देकर खुद को दुनिया में एक ताकत के रूप में प्रस्तुत किया। हमने अपनी विरासत को विस्मृत किया, जिसके परिणाम हमारे सामने हैं। इसी कारण से गुलामी ने हमारा पीछा नहीं छोड़ा और हमारा देश लम्बे समय तक गुलाम बना
रहा।

मुख्यमंत्री जी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद और समापन समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का आगमन हुआ। उस समय प्रत्येक व्यक्ति के मुख में एक ही बात थी कि गीता प्रेस की स्थापना श्री जय दयाल गोयन्दका ने की, लेकिन उसे साहित्य साधना की स्थली भाई जी ने बनायी। गीता प्रेस को गीता प्रेस बनाने का कार्य उन्होंने ही किया था। विगत वर्ष गीता प्रेस की उपलब्धियों के लिए इसे गांधी शान्ति पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसी महापुरुष ने कहा है कि कोई व्यक्ति तब महान होता है, जब 50 से 100 वर्ष बाद भी उसे श्रद्धा के साथ याद कर स्नेह किया जाये। लम्बी अवधि के बाद भी यदि किसी का स्मरण किया जा रहा है तो वह जरूर अपने अन्दर महानता का गुण रखता होगा। आज भी भगवान श्रीराम एवं भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण हर सनातन धर्मावलम्बी करता है। उनका व्यक्तित्व धर्म, देश व समाज के कल्याण के अनुरूप था। भाई जी पिछले 53 वर्ष से हमारे बीच नहीं हैं, फिर भी भारत की संस्कृति को आगे बढ़ाने तथा गाय को कृषि और ऋषि व्यवस्था में सेतु के रूप में बढ़ाने के लिए उन्हें याद किया जाता है। भारत में आज कोई भी आध्यात्मिक आयोजन होता है तो भाई जी का स्मरण अवश्य किया जाता है। महापुरुषों का व्यक्तित्व शाश्वत सत्य पर आधारित होता है। वह देश, काल और परिस्थिति से अविभाजित होता है। उसकी प्रासंगिकता जितनी भूत में होती है, उतनी ही वर्तमान में भी।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज हम डिजिटल युग की तरफ बढ़ रहे हैं। आज हर हाथ में स्मार्ट फोन, टैबलेट और हर घर में टेलीविजन उपलब्ध है। यह सब भाई जी के समय में नहीं था। इतनी तरक्की के बाद हमारी स्थिति क्या है, इस पर चिंतन होना चाहिए। आज मूल्यों का अवमूल्यन हुआ है। साहित्य साधना कमजोर होती दिखाई दे रही है। राष्ट्रीय आंदोलन के स्वर सामाजिक व सांस्कृतिक मूल्यों को लेकर जिस मजबूती के साथ आगे बढ़ने चाहिए, वे मंदित होते दिखाई दे रहे हैं। लोक कल्याण का भाव सरकार में तो है, लेकिन यह समाज में कमजोर होता दिखायी दे रहा है। इसके बारे में चिंतन होना चाहिए। साहित्य साधना कहती है कि यदि आप सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं और आपके पास वाला व्यक्ति भूख तथा बिना इलाज के कारण कष्ट में है, तो उसकी वेदना आपको जरूर लगेगी। आज हमारे सामने हमारा सबसे बड़ा धर्म यह है कि जो हमारे पास में है, उसकी सेवा सबसे पहले करें। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज लोक कल्याण का चिंतन तिरोहित हो रहा है।

इस पर विचार एवं कार्य करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री जी ने भी सबके सामने यह लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र की श्रेणी में खड़ा करने का है। भारत के पास इस प्रकार की सम्भावना है। आज दुनिया में एक पक्षीय ध्रुवीकरण नहीं हो सकता है। किसी एक देश का एकाधिकार नहीं चल सकता, अब यह सम्भव नहीं है। आज विश्व में यह सत्य स्थापित हो चुका है कि भारत के बिना कोई भी धु्रव मजबूत नहीं है। आज एक नया भारत मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है। हमारा दायित्व है कि हम सभी अपने कार्य क्षेत्र में सिद्धि प्राप्ति केे लिए कार्य करें। यदि ऐसा होता है तो सबसे ज्यादा संतुष्टि
हमारे महापुरुषों को होगी, भाई जी को होगी।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भाई जी ने अपना पूरा जीवन लोक कल्याण तथा समाज कल्याण में दिया, ताकि उसके अनुरूप तत्कालीन समाज को चलाया जाये। श्रद्धेय भाई जी की स्मृति में निर्मित हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मारक समिति भाई जी के जीवन मूल्यों और विचारों को प्रवचनों एवं कथा प्रसंगों के माध्यम से आगे बढ़ा रही है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर अस्पताल भाई जी के रचनात्मक सामाजिक कार्य को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है। उनका जीवन लोक कल्याण, राष्ट्र कल्याण तथा सनातन धर्म की अभिवृद्धि के लिए समर्पित था। कार्यक्रम को प्रो0 (डॉ0) सच्चिदानन्द जोशी, संत श्री नरहरिद ास जी महाराज, डॉ0 बालमुकुन्द पाण्डेय एवं डॉ0 ओम उपाध्याय ने भी सम्बोधित किया।

source: https://information.up.gov.in/h

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