Latest national News in Hindi : Get national news today in Hindi (देश) समाचार. पढ़ें देश से जुड़ी ताजा खबरें हिंदी में on dainiknewsindia.com
Union Health Minister JP Nadda: भारत ने ‘विकसित भारत 2047’ के मार्ग पर स्वास्थ्य सेवा नवाचारों, महामारी की तैयारी और स्वदेशी चिकित्सा प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए परिवर्तनकारी कदम उठाए हैं
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जेपी नड्डा ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) के 100 दिवसीय कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन की घोषणा की। श्री नड्डा ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में यह एक मील का पत्थर साबित हुआ। उन्होंने कहा, “ये पहल स्वास्थ्य सेवा नवाचार, महामारी की तैयारी और स्वदेशी चिकित्सा समाधानों के विकास में परिवर्तनकारी कदम हैं, जो एक स्वस्थ, अधिक लचीले और आत्मनिर्भर भारत में योगदान करते हैं।”
पिछले 100 दिनों में स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग द्वारा की गई कुछ प्रमुख उपलब्धियां और पहल निम्नलिखित हैं:
- मेड-टेक मित्र : यह भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की संयुक्त पहल है। इस मंच के माध्यम से 250 से अधिक नवप्रवर्तक, स्टार्ट-अप और उद्योग भागीदार जुड़े हुए हैं, जो विनियमन अनुरूप उत्पादों को विकसित करने, उनके नैदानिक सत्यापन और स्केलिंग-अप की प्रक्रिया में चुनौतियों को दूर करने में उनकी मदद कर रहे हैं।
- महामारी की तैयारी के लिए राष्ट्रीय एक स्वास्थ्य मिशन (एनओएचएम) : एनओएचएम मानव स्वास्थ्य के लिए पशु और पर्यावरण के कारण होने वाली बीमारियों से निपटने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण है। यह मिशन जूनोटिक बीमारियों और महामारियों के प्रबंधन के लिए भारत की क्षमता के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल सभी के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण बनाकर भारत की दीर्घकालिक स्वास्थ्य सुरक्षा में सहायक है। सरकार के पहले 100 दिनों में इस मिशन के तहत ‘एक स्वास्थ्य’ दृष्टिकोण के साथ विभिन्न गतिविधियाँ शुरू की गई हैं, जिन्हें नीचे सूचीबद्ध किया गया है:
- बीएसएल-3 प्रयोगशालाओं का राष्ट्रीय नेटवर्क स्थापित किया गया है, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों की 20 से अधिक प्रयोगशालाएं जुड़ गई हैं।
- राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) पुणे और आईसीएआर-राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (एनआईएचएसएडी), भोपाल में प्रशिक्षण आयोजित किए गए।
- भविष्य की महामारियों के लिए राष्ट्र की तैयारियों को मजबूत करते हुए, राजस्थान के अजमेर जिले में 27 से 31 अगस्त तक विभिन्न हितधारकों के साथ एच5एन1 “विष्णु युद्ध अभ्यास” का मॉक ड्रिल सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा एक राष्ट्रीय संयुक्त प्रकोप प्रतिक्रिया दल को अधिसूचित किया गया है। इससे संक्रमण के उभरते हॉटस्पॉट का पता लगाने और रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए समय पर जांच करने में मदद मिलेगी।
- आईसीएमआर द्वारा अपशिष्ट जल निगरानी उपकरण विकसित किए गए तथा बूचड़खानों के लिए भी एक निगरानी मॉडल बनाया गया है।
- निजी क्षेत्र और उद्योग भागीदारों की साझेदारी से एवियन फ्लू, क्यासनूर वन रोग (केएफडी) और एमपीओएक्स टीकों का विकास शुरू किया गया है। निपाह मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का भी विकास किया जा रहा है।
- मिशन की कार्यकारी और वैज्ञानिक संचालन समितियों ने देश की महामारी संबंधी तैयारियों की समीक्षा करने तथा आगे की कार्रवाई के सुझाव देने के लिए बैठकें आयोजित कीं।
- जैव-सुरक्षा स्तर (बीएसएल-3) प्रयोगशालाओं की स्थापना और प्रमाणन के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के दिशानिर्देशों को एक राष्ट्रीय दस्तावेज में समेकित कर दिया गया है।
- एकीकृत अनुसंधान एवं निदान प्रयोगशालाएँ (आईआरडीएल): देश भर में वायरल अनुसंधान एवं निदान प्रयोगशालाओं (वीआरडीएल) को वित्त पोषण सहायता के माध्यम से मजबूत बनाने का काम शुरू किया गया है। इनमें से छह वीआरडीएल को संक्रामक रोगों के बड़े क्षेत्र को कवर करने वाली एकीकृत अनुसंधान एवं निदान प्रयोगशालाओं (आईआरडीएल) में परिवर्तित किया जा रहा है। राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) की क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं का निर्माण भी शुरू किया गया है।
- दुर्लभ बीमारियों के लिए स्वदेशी दवाओं के विकास का कार्यक्रम : किफायती स्वास्थ्य सेवा में वैश्विक नेता बनने की दिशा में भारत के अभियान के हिस्से के रूप में, डीएचआर 8 दुर्लभ बीमारियों के लिए 12 स्वदेशी दवाओं को विकसित करने का कार्यक्रम शुरू करने के लिए तैयार है। इस पहल का उद्देश्य मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और गौचर रोग जैसी स्थितियों के लिए उपचार की लागत को काफी कम करना होगा, जिससे जीवन रक्षक उपचार आम जनता के लिए सुलभ और किफायती हो सकें।
- “विश्व में प्रथम” चुनौती : भारत के ऐतिहासिक चंद्रयान-3 मिशन से प्रेरित होकर, “विश्व में प्रथम” चुनौती बायोमेडिकल अनुसंधान में 50 उच्च-जोखिम, उच्च-पुरस्कार वाले नवाचारों को वित्तपोषित करेगी। यह पहल भारत की नवाचार और उत्कृष्टता की भावना का प्रतीक है, जो वैश्विक स्वास्थ्य सेवा समाधानों में अग्रणी बनने की दिशा में इसके कदम को तेज़ करती है।
- साक्ष्य आधारित दिशा-निर्देशों के लिए केंद्र : उद्घाटन के लिए तैयार साक्ष्य आधारित दिशा-निर्देशों के लिए केंद्र, देश भर में चिकित्सा पद्धतियों को मानकीकृत करने में मदद करेगा। इससे देखभाल के उच्चतम मानक सुनिश्चित होंगे। यह केंद्र विश्व स्तरीय साक्ष्य आधारित राष्ट्रीय स्वास्थ्य दिशा-निर्देश विकसित करने में सहायक होगा। इसे देश के विभिन्न भागों में व्यवस्थित समीक्षा केंद्रों द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी।
- अनुसंधान से कार्रवाई तक कार्यक्षेत्र : डीएचआर में “अनुसंधान से कार्रवाई तक” कार्यक्षेत्र की स्थापना से यह सुनिश्चित होगा कि अत्याधुनिक स्वास्थ्य अनुसंधान नीति और व्यवहार में सहज रूप से एकीकृत हो। यह विभिन्न राज्यों में अनुसंधान निष्कर्षों को कार्रवाई योग्य नीतियों में बदलने में मदद करेगा और इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य में ठोस सुधार होगा।
- अनुसंधान क्षमता निर्माण: चिकित्सा अनुसंधान संकाय (एफएमआर) के पहले बैच में विभिन्न आईसीएमआर संस्थानों में चिकित्सा अनुसंधान में पीएचडी के लिए अब तक कुल 93 फेलो नामांकित हुए हैं। इसके अलावा, 63 युवा मेडिकल कॉलेज संकाय सदस्यों को पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने के लिए फेलोशिप दी गई है। यह देश में चिकित्सक वैज्ञानिक आधार को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसके अलावा, 58 महिला वैज्ञानिकों को स्वास्थ्य अनुसंधान करने के लिए फेलोशिप प्रदान की गई है।
उपरोक्त पहलों को अक्टूबर 2024 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा लॉन्च किया जाने वाला है। डीएचआर के सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि यह प्रयास और हालिया उपलब्धियाँ नवाचार और अनुसंधान के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि ये कदम देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को बदलने और इसे भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
source: https://pib.gov.in