Home धर्म Ashwin Masik Shivratri 2024: आज मासिक शिवरात्रि-सोमवार है, इस मुहूर्त में जलाभिषेक करें, शिवजी प्रसन्न होंगे

Ashwin Masik Shivratri 2024: आज मासिक शिवरात्रि-सोमवार है, इस मुहूर्त में जलाभिषेक करें, शिवजी प्रसन्न होंगे

by ekta
Ashwin Masik Shivratri 2024: आज मासिक शिवरात्रि-सोमवार है, इस मुहूर्त में जलाभिषेक करें, शिवजी प्रसन्न होंगे

Ashwin Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि व्रत शिव को प्रसन्न करता है। यह दिन है जब व्रत करने वालों की हर इच्छा पूरी होगी। 2024 में अश्विन मासिक शिवरात्रि व्रत की तारीख और तिथि जानें

Ashwin Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाई जाती है। शिवरात्रि, मासिक पर्व, भगवान शंकर को समर्पित है। इस व्रत में रात्रि में शिव और शक्ति की पूजा का खास महत्व है। मासिक शिवरात्रि का व्रत हर मनोकामना पूरी करने वाला है।

यह व्रत अविवाहित महिलाओं को शादी करने के लिए और विवाहित महिलाओं को अपने विवाहित जीवन में सुख और शान्ति बनाए रखने के लिए किया जाता है। 2024 में अश्विन मासिक शिवरात्रि कब होगी? तारीख, तिथि, पूजा समय

2024 की अश्विन मासिक शिवरात्रि की तिथि

30 सितंबर 2024 को मासिक शिवरात्रि है। सोमवार होने से आज भोलेनाथ की पूजा का शुभ संयोग है। चतुर्दशी भगवान को बहुत प्रिय है। इस दिन भोलेनाथ रात्रि में शिवलिंग में रहते हैं। कहते हैं कि इस रात शिवलिंग को छूने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

अश्विन मासिक शिवरात्रि पर पूजा मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, 30 सितंबर 2024 को कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि होगी, जो 1 अक्टूबर को रात 09 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी।

शिव पूजा: 1 अक्टूबर को रात 11:47 से प्रातः 12:35

मासिक शिवरात्रि व्रत पूजा विधि

मासिक शिवरात्रि पर शिव पूजा में दुग्ध, गुलाब जल, चन्दन का लेप, दही, शहद, घी, चीनी तथा जल शामिल हैं। जो भक्तगण चार प्रहर की पूजा करते हैं, उन्हें प्रथम प्रहार में जलाभिषेक, द्वितीय प्रहार में दधि (दही) अभिषेक, तृतीय प्रहर में घृत (घी) अभिषेक और चतुर्थ प्रहर में शहद से अभिषेक करना चाहिये। शिवलिङ्ग को बिल्व पत्र की माला से सुसज्जित किया जाता है. पूजा के समय ॐ नमः शिवाय मन्त्र का जप करना चाहिये. फिर आरती करें.

शिव पूजा के मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

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