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राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क एक परिणाम और योग्यता-आधारित फ्रेमवर्क है

by ekta
राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क एक परिणाम और योग्यता-आधारित फ्रेमवर्क है

राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क ज्ञान, कौशल, अभिरूचि और जिम्मेदारी के स्तरों के अनुसार योग्यताओं को व्यवस्थित करता है, जिसे सीखने के परिणामों की दृष्टि से परिभाषित किया जाता है

केंद्र सरकार ने दिसंबर 2013 में राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) की शुरूआत की थी और इसे जून, 2023 में युक्तिसंगत और अधिसूचित किया गया। एनएसक्यूएफ एक परिणाम और योग्यता-आधारित फ्रेमवर्क है, जो ज्ञान, कौशल, अभिरूचि और जिम्मेदारी के स्तरों की एक श्रृंखला के अनुसार योग्यताओं को व्यवस्थित करता है, जिसे सीखने के परिणामों के लिहाज से परिभाषित किया जाता है, जिसे शिक्षार्थी को औपचारिक, अनौपचारिक या अनौपचारिक शिक्षा के माध्यम से हासिल करना चाहिए, जिसमें शैक्षणिक, व्यावसायिक शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल तथा प्रयोगात्मक शिक्षा शामिल हो सकती है, जिसमें अर्जित प्रासंगिक अनुभव और दक्षता/पेशेवर स्तर शामिल हैं, जो मूल्यांकन के अधीन हैं। एनएसक्यूएफ को स्तर 1 से 8 तक अलग किया गया है, प्रत्येक स्तर कौशल, जटिलता, ज्ञान, जिम्मेदारी और स्वायत्तता के एक अलग स्तर का प्रतिनिधित्व करता है। एनएसक्यूएफ की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  1. मूल्यांकन के अधीन अर्जित प्रासंगिक अनुभव और प्रवीणता/पेशेवर स्तर सहित शैक्षणिक, कौशल और प्रयोगात्मक शिक्षा के विभिन्न आयामों में व्यावसायिक शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल सीखने को एकीकृत और श्रेय देने का प्रावधान करना;
  2. पूर्व-परिभाषित एनएसक्यूएफ/एनसीआरएफ स्तर निर्दिष्ट करते हुए पाठ्यक्रम/योग्यता प्राप्त करने के बाद अपेक्षित ज्ञान, कौशल, योग्यता, जिम्मेदारी और सीखने के परिणामों के लिहाज से वांछित योग्यता स्तरों को स्पष्ट रूप से निर्धारित करना;
  3. स्कूल और उच्च शिक्षा सहित व्यावसायिक शिक्षा/कौशल विकास में सीखने के घंटों/वर्षों की संचयी संख्या के आधार पर क्रेडिट स्तर निर्धारित करने की सुविधा प्रदान करना;
  4. व्यावसायिक एवं सामान्य शिक्षा के बीच शैक्षिक समतुल्यता स्थापित करना तथा साथ ही उनके भीतर एवं उनके बीच मोबिलिटी को सक्षम बनाना;
  5. स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास और जॉब मार्केट्स के भीतर और इनके बीच बहु-विषयकता, बहु प्रवेश-बहु निकास (एमई-एमई) और प्रगति पथ को सक्षम बनाना;
  6. छात्रों/शिक्षार्थियों को अपने सीखने के मार्ग और कैरियर विकल्प चुनने के लिए फ्लेक्सबिलिटी प्रदान करना, जिसमें बीच में अपने लिए गए निर्णय में सुधार का विकल्प भी शामिल है;
  7. सभी क्षेत्रों में इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप और कार्यस्थल पर प्रशिक्षण के माध्यम से उद्योग और नियोक्ताओं के साथ घनिष्ठ साझेदारी के माध्यम से सीखने को मान्यता देना;
  8. एक विश्वसनीय मूल्यांकन प्रक्रिया के माध्यम से पूर्व शिक्षण (आरपीएल) को मान्यता प्रदान करना;
  9. एनएसक्यूएफ आजीवन सीखने और कौशल विकास को सक्षम बनाता है और इसे बढ़ावा देता है।

केंद्र सरकार के कौशल भारत मिशन (एसआईएम) के अंतर्गत, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) विभिन्न योजनाओं के तहत कौशल विकास केंद्रों/महाविद्यालयों/संस्थानों आदि के व्यापक नेटवर्क के माध्यम से कौशल, पुनः कौशल और कौशल-उन्नयन प्रशिक्षण प्रदान करता है, जैसे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस), राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रोत्साहन योजना (एनएपीएस), शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस)  और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) आदि के माध्यम से देश भर में युवाओं सहित समाज के सभी वर्गों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

प्रशिक्षण संस्थानों का समुचित संचालन सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय द्वारा निगरानी हेतु उठाए गए कदम/उपाय इस प्रकार हैं:

  1. मंत्रालय ने विशेष रूप से डिजाइन किए गए वेब पोर्टल, स्किल इंडिया डिजिटल हब (एसआईडीएच) के माध्यम से प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है, जिसका उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही लाना तथा कौशल इको-सिस्टम के सभी हितधारकों को गुणवत्तापूर्ण और समय पर जानकारी प्रदान करना है।
  2. पीएमकेवीवाई के अंतर्गत, पैनलबद्ध प्रशिक्षण केंद्रों की निगरानी स्व-लेखा परीक्षा रिपोर्टिंग, कॉल सत्यापन, औचक दौरे और स्किल इंडिया डिजिटल (एसआईडी), कौशल प्रबंधन और प्रशिक्षण केंद्रों के प्रत्यायन (स्मार्ट), आधार सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (एईबीएएस) आदि के माध्यम से की जा रही है। पीएमकेवीवाई निगरानी समिति हितधारकों के निगरानी मुद्दों से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों की समीक्षा करती है और इसकी एक रूपरेखा तैयार करती है।
  3. जेएसएस के अंतर्गत, जन शिक्षण संस्थान निदेशालय समीक्षा बैठकों और ऑनलाइन वेब पोर्टल (jss.gov.in) के माध्यम से जेएसएस योजना की निगरानी करता है। ऐसे मामलों में, जहां मूल संस्था/जेएसएस दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है या योजना के कार्यान्वयन में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं/निरंतर खराब प्रदर्शन में शामिल पाया जाता है, वहां अनुदान सहायता बंद कर दी जाती है और मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है।
  4. एनएपीएस के तहत, प्रशिक्षुओं के लिए वजीफा सहायता प्रतिपूर्ति के रूप में जारी की गई थी, जो उम्मीदवार और प्रतिष्ठानों के बीच किए गए प्रशिक्षुता अनुबंधों और प्रतिष्ठान द्वारा भुगतान किए गए वजीफे के प्रमाण प्रस्तुत करने के आधार पर थी। 2023-24 (जुलाई 2023) से, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से प्रशिक्षुओं के बैंक खातों में सीधे वजीफा सहायता जारी की जा रही है।
  5. औद्योगिक मूल्य संवर्धन के लिए कौशल सुदृढ़ीकरण (स्ट्राइव) परियोजना के अंतर्गत, केंद्र सरकार द्वारा आईटीआई की प्रयोगशालाओं, उपकरणों और औजारों के उन्नयन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, ताकि गुणवत्ता में सुधार हो और प्रशिक्षण की उद्योग प्रासंगिकता बढ़े। वित्तीय सहायता उनके प्रदर्शन संकेतकों को हासिल करने के आधार पर प्रदान की जाती है और भौतिक लक्ष्यों की निगरानी एमआईएस पोर्टल, नियमित बैठकों और अनुवर्ती कार्रवाई के माध्यम से की जाती है।
  6. आजीविका संवर्धन के लिए कौशल अर्जन एवं ज्ञान जागरूकता (संकल्प) के तहत, प्रशिक्षण एवं उद्यमिता कार्यक्रमों की निगरानी एसआईडीएच प्लेटफॉर्म के माध्यम से की जाती है।

यह जानकारी कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयंत चौधरी ने आज (5 अगस्त 2024) लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

source: https://pib.gov.in

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