UP News: संसदीय कार्य व वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि नजूल भूमि को स्वतंत्र कराने के लिए धन जुटाया गया है और उन्हें 30 वर्ष के लिए नवीनीकरण का अवसर भी मिलेगा। सदस्यों को नियमों के तहत इसका प्रबंध करने का भरोसा दिलाया। इस दौरान, विपक्षी सदस्य सभापति के आसन के सामने धरने पर बैठ गए और नारेबाजी की।
UP News: विधानसभा में उप्र नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध व उपयोग) विधेयक-2024 विपक्ष के कड़े विरोध व हंगामे के बीच पारित हुआ। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की मांग पर सरकार ने नजूल जमीन के उन पट्टाधारकों के 30 वर्ष के नवीनीकरण की अनुमति दी, जो शर्तों का पालन नहीं करते हैं।
संसदीय कार्य व वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि नजूल भूमि को स्वतंत्र कराने के लिए धन जुटाया गया है और उन्हें 30 वर्ष के लिए नवीनीकरण का अवसर मिलेगा। सदस्यों को नियमों के तहत इसका प्रबंध करने का भरोसा दिलाया। इस दौरान, विपक्षी सदस्य सभापति के आसन के सामने धरने पर बैठ गए और नारेबाजी की। विरोधी कानून वापस लो और काला कानून वापस लो के नारे लगाते रहे।
नए कानून का लक्ष्य विकास कार्यों में नजूल भूमि का उपयोग करना है।
विकास और सार्वजनिक कार्यों में नजूल भूमि का उपयोग करने के लिए सरकार यह विधेयक लाई है, जैसा कि संसदीय कार्य मंत्री ने पहले कहा था। नजूल भूमि का विचित्र इतिहास है। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह करने वालों की संपत्ति जब्त कर ली गई। नजूल जमीन भी कहा जाता है। नए कानून का लक्ष्य है कि विकास कार्यों में नजूल भूमि का उपयोग किया जाए।
निजी व्यक्ति या संस्था को पूर्ण स्वामित्व नहीं मिलेगा
बताया कि अब किसी निजी व्यक्ति या संस्था को नजूल भूमि का पूरा स्वामित्व नहीं मिलेगा। नजूल भूमि का पूरा स्वामित्व बदलने के लिए पहले से कोर्ट या अधिकारी के समक्ष लंबित आवेदन अस्वीकृत होगा। नजूल जमीन को स्वतंत्र करने के लिए जो धन जमा किया गया है, वह भारतीय स्टेट बैंक की ब्याज दर पर वापस किया जाएगा। आगे कोई नजूल भू-भाग फ्रीहोल्ड नहीं होगा।
बताया गया है कि लीज की अवधि वर्ष 2025 से समाप्त होने के बाद, पट्टाधारक उस पर कितने दिन रहेगा, डीएम को किराया निर्धारित कर वसूलने का अधिकार होगा। नजूल भूमि पर किसी भी निर्माण के मुआवजे भी निर्धारित हैं। शर्तों का उल्लंघन करने पर डीएम की सिफारिश पर पट्टा अवधि और क्षेत्रफल दोनों को कम करने या हटाने का प्रविधान भी होगा। निर्णय पूर्व पट्टाधारक को भी पक्ष रखने का अवसर देगा। पट्टाधारक भी डीएम के फैसले के खिलाफ 30 दिन के भीतर सरकार में अपील कर सकेंगे।
सपा सदस्यों ने प्रदर्शन किया
विधेयक का विरोध कमाल अख्तर और डॉ. आरके वर्मा ने किया। यह कहने से कई विसंगतियां उत्पन्न होंगी। नजूल भूमि पर व्यापक विवाद कोर्ट में चल रहे हैं। संवैधानिक व्यवस्था इससे अलग है। कई प्रशासनिक भवन और धार्मिक स्थान भी नजूल भूमि पर हैं। सरकार बताए कि उनका क्या होगा। कांग्रेस सदस्य ने इसे पूंजीपतियों को लाभ देने वाला कानून बताया। कहा, भूमि अधिग्रहण नीति भी है। इस अधिनियम से गरीब परिवार बर्बाद हो जाएंगे।
भाजपा सांसद सिद्धार्थनाथ सिंह ने कानून में पीढ़ी दर पीढ़ी नजूल भूमि पर रहते चले आ रहे परिवारों को नवीनीकरण की सुविधा देने का सुझाव दिया। फ्रीहोल्ड के लिए जो किश्ते दे रहे हैं, उनमें भी भेदभाव नहीं होना चाहिए। भी राहत दी जाए। भाजपा सांसद हर्षवर्धन वाजपेई ने प्रयागराज में नजूल भूमि पर पीढ़ियों से रह रहे लोगों को राहत देने की मांग की।
इस कानून के गंभीर परिणाम होंगे: गुरुराज प्रताप साहब
इस विधेयक के गंभीर परिणाम होंगे, जनसत्ता पार्टी लोकतांत्रिक के सदस्य रघुराज प्रताप सिंह ने कहा। सरकार लीज भुगतान नहीं कर रही है। किश्त जमा होने पर कोई व्यक्ति अपनी जमीन या घर नहीं छीन सकता। नजूल की जमीन पर इलाहाबाद हाई कोर्ट और अन्य प्रशासनिक भवन हैं।
“कानून का व्यापक दुरुपयोग किया जाएगा”
कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि यह कानून गरीबों के घरों को उजाड़ता है। कानून बहुत दुरुपयोग होगा। जिन लोगों ने नजूल जमीन को मुक्त कर लिया है या जो लोग धन जमा कर चुके हैं लेकिन उनकी जमीन मुक्त नहीं हो पाई है उनकी स्थिति विधेयक में स्पष्ट नहीं की गई है।
माता प्रसाद पांडेय, नेता प्रतिपक्ष, ने कानून में गरीब शब्द को परिभाषित करने की मांग की। संसदीय कार्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि कानून का अधिकार है कि वह नियम बनाए। इसे नियम में स्पष्ट किया जाएगा। कहा, किसी गरीब को नहीं उजाड़ेंगे। कोर्ट, शैक्षणिक व मेडिकल संस्थान यथावत रहेंगे।