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Punjab Politics: जालंधर विधानसभा उपचुनाव के परिणामों ने कांग्रेस को “खतरे की घंटी” में डाल दिया, चरणजीत चन्नी पर भारी पड़ गए भगवंत मान

by editor
Punjab Politics: जालंधर विधानसभा उपचुनाव के परिणामों ने कांग्रेस को "खतरे की घंटी" में डाल दिया, चरणजीत चन्नी पर भारी पड़ गए भगवंत मान

Punjab Politics: कांग्रेस को पंजाब की जालंधर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे में बड़ा झटका लगा है।

Punjab Politics: हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में सात सीटें जीतने वाली कांग्रेस, जालंधर उपचुनाव में तीसरे स्थान पर रही। आम आदमी पार्टी से सीएम भगवंत मान ने तो वहीं कांग्रेस से चरणजीत सिंह चन्नी ने मोर्चा संभाला हुआ था।

कैलाश नाथ, चंडीगढ़ कांग्रेस को जालंधर पश्चिम सीट पर विधानसभा उपचुनाव का परिणाम बहुत चौंकाने वाला रहा। वह भी एक “खतरे की घंटी” है। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में सात सीटों की जीत के बाद उपचुनाव में तीसरी जगह हासिल की।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उपचुनाव को लेकर अपना निवास जालंधर स्थानांतरित कर दिया, जो पहले से ही आम आदमी पार्टी की जीत का संकेत था।

चुनाव की जिम्मेदारी चरणजीत सिंह चन्नी पर थी

कांग्रेस ने उपचुनाव में अपना पूरा प्रयास किया था। जालंधर के सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने चुनाव की पूरी जिम्मेदारी उठाई।

कांग्रेस भी चिंतित है क्योंकि उसे अब चार अतिरिक्त उपचुनाव और पांच नगर निगम चुनाव लड़ने हैं। दोआबा की दलित राजनीति में चौधरी परिवार के विलय के बाद चरणजीत सिंह चन्नी नए नेता बन गए।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने मारी थी बाजी

चन्नी ने लोकसभा चुनाव में जालंधर पश्चिमी में 44,394 वोट जीते थे। भाजपा नेता सुशील रिंकू ने 42,837 वोट पाए।

इस विधानसभा में रिंकू चन्नी 1,557 वोटों से पीछे रहे थे। कांग्रेस ने उपचुनाव के परिणामों के चार दशक के भीतर पहले से तीसरे स्थान पर खिसक गया।

तीसरे नंबर रही थीं कांग्रेस की प्रत्याशी

आप के मोहिंदर भगत ने चुनाव जीता, भाजपा के शीतल अंगुराल 17,921 वोटों से दूसरे स्थान पर रहे, जबकि कांग्रेस की महिला उम्मीदवार सुरिंदर कौर 16,757 वोटों से तीसरे स्थान पर आईं। नाव सीधे चन्नी के चेहरे पर लड़ा गया था।

पार्टी ने चन्नी को प्रत्याशी के चयन से लेकर चुनाव की रणनीति की पूरी जिम्मेदारी दी थी। लोकसभा और विधानसभा के उपचुनावों के चार दशक के भीतर चन्नी का राज समाप्त हो गया। 2021 में मुख्यमंत्री बनने के बाद, चन्नी अपने आप को बहुत दलित साबित करने में लगे हुए हैं।

नहीं चल पाया चन्नी का जादू

2022 का विधानसभा चुनाव भी चन्नी के ही चेहरे पर लड़ा गया। लोकसभा चुनाव में जब चन्नी ने जीत हासिल की तो वह दलितों के बड़े नेता के रूप में उभरे, लेकिन सुरक्षित सीट पर चन्नी का जादू चल नहीं पाया जबकि चन्नी पूरे चुनाव में जालंधर पश्चिमी में सक्रिय रहे। अब उन्हें इस पर मंथन करना होगा।

 

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