World Tuberculosis Day : यदि किसी व्यक्ति को डायबिटीज और TB दोनों हो जाएं, तो स्थिति गंभीर हो सकती है, लेकिन उचित इलाज और सावधानियों के जरिए इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यदि आपको डायबिटीज है और लगातार खांसी, कमजोरी, वजन घटने या बुखार जैसे लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
TB (क्षय रोग) और डायबिटीज (मधुमेह) दोनों ही गंभीर बीमारियां हैं, लेकिन जब कोई व्यक्ति इन दोनों से एक साथ प्रभावित होता है, तो स्थिति और अधिक जटिल हो सकती है। डायबिटीज से ग्रसित लोगों में टीबी होने का खतरा अधिक होता है, और उनके लिए इसका उपचार भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। हर साल 24 मार्च को विश्व TB दिवस मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण, इसके बचाव के उपाय और खासतौर पर डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों को TB होने की स्थिति में क्या करना चाहिए।
डायबिटीज शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) को कमजोर कर देती है, जिससे संक्रमण से लड़ने की क्षमता घट जाती है। इसी कारण डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में TB होने की संभावना तीन गुना अधिक होती है।
विशेषज्ञों की राय
TB का उपचार लंबा चल सकता है, और इस दौरान मरीजों पर दवाओं का प्रभाव कम हो सकता है, जिससे बीमारी के दोबारा होने का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज के कारण TB की समस्या और गंभीर हो सकती है। शोध बताते हैं कि डायबिटीज के मरीजों में TB होने का खतरा लगभग तीन गुना बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, TB के इलाज के दौरान डायबिटीज से ग्रसित मरीजों में मृत्यु दर भी दोगुनी तक हो सकती है, जिससे उपचार की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
यदि डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति TB के बैक्टीरिया से संक्रमित होता है, तो उसमें एक्टिव TB विकसित होने का खतरा अन्य लोगों की तुलना में अधिक होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरकुलोसिस एंड लंग डिसीज (IUATLD) ने TB और डायबिटीज के संयुक्त प्रबंधन के लिए एक नीति पैकेज तैयार किया है।
TB और डायबिटीज का खतरा
डायबिटीज से इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे TB के बैक्टीरिया के लिए फेफड़ों में प्रवेश करना आसान हो जाता है। इसके अलावा, डायबिटीज से होने वाली क्रोनिक सूजन (इन्फ्लेमेशन) और हाइपरग्लाइसेमिया भी TB के खतरे को बढ़ा सकते हैं। शुगर लेवल में असंतुलन के कारण भी TB की आशंका अधिक हो जाती है। डायबिटीज फेफड़ों की छोटी रक्त वाहिकाओं (माइक्रोवास्कुलेचर) में बदलाव ला सकती है, जिससे टीबी का संक्रमण आसानी से हो सकता है। यदि किसी व्यक्ति को दोनों बीमारियां हो जाएं, तो उसे निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:
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टीबी की दवाएं ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे डायबिटीज नियंत्रित रखना मुश्किल हो सकता है।
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कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के कारण इलाज में अधिक समय लग सकता है।
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फेफड़ों को अधिक नुकसान पहुंच सकता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत बढ़ सकती है।
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कई मामलों में TB का उपचार पूरा होने के बावजूद बीमारी दोबारा हो सकती है।
बचाव के उपाय
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नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करवाएं, खासकर यदि आप TB से पीड़ित हैं।
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संतुलित आहार लें, जिसमें फल, सब्जियां और प्रोटीन भरपूर मात्रा में हों।
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नियमित व्यायाम करें ताकि ब्लड शुगर नियंत्रित रहे।
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डॉक्टर की सलाह के बिना टीबी या डायबिटीज की कोई भी दवा न छोड़ें।
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धूम्रपान और शराब से बचें, क्योंकि ये दोनों स्थितियों को और अधिक गंभीर बना सकते हैं।