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Department of Telecommunications and National Telecom संस्थान द्वारा लगभग 20 राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों के 220 से अधिक संचार मित्रों के लिए कार्यशाला का आयोजन

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Department of Telecommunications and National Telecom संस्थान द्वारा लगभग 20 राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों के 220 से अधिक संचार मित्रों के लिए कार्यशाला का आयोजन

Department of Telecommunications and National Telecom: विभाग की विभिन्न नागरिक केंद्रित सेवाओं के बारे में जागरूकता का प्रसार करने में छात्रों को स्वेच्छा से काम करने के लिए ‘संचार मित्र’ प्‍लेटफार्म

“संचार मित्र- बदलाव का वाहक, सरकारी पहल और नागरिकों के बीच अंतर को पाट रहा है”: श्रीमती मधु अरोड़ा, सदस्य (दूरसंचार), डिजिटल संचार आयोग

दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने राष्ट्रीय दूरसंचार संस्थान, गाजियाबाद (एनटीआईपीआरआईटी) के सहयोग से आज संचार मित्रों के लिए एक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया। विभाग की विभिन्न नागरिक केंद्रित सेवाओं और साइबर धोखाधड़ी के खतरों के बारे में जागरूकता का प्रसार करके डिजिटल वर्ल्‍ड में उनकी सुरक्षा और सहज यात्रा के संबंध में नागरिकों को सशक्‍त बनाने के लिए छात्र संचार मित्र कार्यक्रम के तहत स्वयंसेवकों के रूप में कार्य कर रहे हैं।

श्रीमती मधु अरोड़ासदस्य (दूरसंचार)डिजिटल संचार आयोगकार्यशाला के दौरान संचार मित्रों को संबोधित करते हुए

संचार मित्रों का चयन प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों में से किया गया है, जिनमें 100 5जी यूज़ केस लैब हैं। पूरे भारत से 250 से अधिक संचार मित्र, छात्र स्वयंसेवकों का चयन किया गया है।

कार्यशाला में 20 से अधिक  राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों के 220 से अधिक संचार मित्रों ने भाग लिया

डिजिटल संचार आयोग की सदस्य (दूरसंचार) श्रीमती मधु अरोड़ा ने कार्यशाला के उद्घाटन के दौरान संचार मित्रों के साथ बातचीत की। उन्होंने कहा, “आज की डिजिटल दुनिया में दूरसंचार एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए यह आवश्‍यक है कि सभी नागरिक आज के डिजिटल रुझानों और विकास से भलीभांति अवगत हों।  इस प्रकार, संचार मित्र जागरूकता को बढ़ाने और नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए उठाए गए हमारे प्रयासों की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम है।

श्रीमती अरोड़ा ने उनका समाज में ‘बदलाव का वाहक’ के रूप में वर्णन किया, जो विभाग की पहलों और नागरिकों के बीच अंतर को पाटने में मदद करते हैं, ये पहल उन नागरिकों की सेवा करने का इरादा रखती है, जो विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्र में रहते हैं और जहां सूचना तक सीमित पहुंच है। उन्‍होंने एक फीडबैक तंत्र के रूप में संचार मित्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए संचार के महत्व पर दो-तरफा बात की। उन्‍होंने विभाग को बेहतर रणनीति बनाने में मदद करने के लिए नागरिकों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बहुमूल्य जानकारी दी। उन्होंने दूरसंचार और संबंधित क्षेत्रों में भविष्य के अवसरों को तलाश करने के लिए इस अद्वितीय मंच का उपयोग करने का भी आग्रह किया।

उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं के समय में नागरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और संचार साथी जैसे नवीन समाधानों के माध्यम से दूरसंचार विभाग के प्रयासों की सराहना की। इस कार्यशाला के दौरान 4जी और 5जी स्वदेशी स्टैक बनाने की उपलब्धि की सराहना करते हुए भारत की तकनीकी विनिर्माण क्षमता पर भी प्रकाश डाला गया।

एनटीआईपीआरआईटी के महानिदेशक श्री देब कुमार चक्रवर्ती ने नागरिकों और दूरसंचार विभाग के बीच संचार संबंधी अंतर को पाटने में संचार मित्र की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने सभी के लिए किफायती कनेक्टिविटी प्रदान करना, शिकायत निवारण, साइबर खतरों से निपटना, सुरक्षित नागरिक केंद्रित समाधान, डीओटी के प्राथमिक कर्तव्यों के रूप में सूचीबद्ध किया। उन्‍होंने संचार मित्र कार्यक्रम के विस्तार पर बहुमूल्य सुझाव दिए।

कार्यशाला के दौरान संचार मित्रों को संबोधित करते हुए एनटीआईपीआरआईटी के महानिदेशक श्री देब कुमार चक्रवर्ती

इस कार्यक्रम में संचार मित्रों की भूमिकाओं में कई गुना वृद्धि होंगी। वे संचार साथी जैसी विभिन्न दूरसंचार संबंधी नागरिक केंद्रित सेवाओं पर जागरूकता बढ़ाने, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने और साइबर धोखाधड़ी के खतरों के बारे में शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ- साथ मुद्दों की रिपोर्टिंग, फीडबैक एकत्र करना और क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ समन्वय करने में भी योगदान देंगे।

संचार मित्र के लिए एनटीआईपीआरआईटी द्वारा आयोजित इस कार्यशाला ने एक प्रेरक कार्यक्रम के रूप में काम किया, जिससे स्वयंसेवकों की क्षमता/समझ और प्रभावशीलता में वृद्धि हुई। इस उद्देश्‍य के साथ दूरसंचार मुद्दों के बारे में समग्र जागरूकता, संवादमूलक कार्यशाला ने संचार कौशल पर ध्यान केंद्रित किया और प्रमुख नागरिक-केंद्रित सेवाओं के बारे में अवलोकन-सह-प्रदर्शन उपलब्‍ध कराया।

पृष्ठभूमि-संचार मित्र कार्यक्रम

संचार मित्र ऐसे विश्वविद्यालयों से चुने गए छात्र हैं जिन्हें 100 5जी यूज केस लैब प्रदान की गई हैं। यह 28 राज्यों और 4 केंद्र-शासित प्रदेशों के शैक्षणिक संस्थानों में फैला हुआ है।

संचार मित्र कार्यक्रम का उद्देश्य मोबाइल उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा बढ़ाना; विकिरण मिथकों पर स्पष्टता; दूरसंचार विभाग की पहलों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और मोबाइल से संबंधित धोखाधड़ी को रोकना है। चूंकि नागरिक समर्थन विभाग के प्रयासों की प्रभावशीलता को बढ़ाता है, इसलिए  विभिन्न राज्यों से संचार मित्र की भागीदारी से मोबाइल उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा बढ़ाने, दूरसंचार विभाग की पहल के बारे में जागरूकता में बढ़ोतरी करने और एक सुरक्षित डिजिटल इकोसिस्‍टम को बढ़ावा देने के विभाग के प्रयासों में मूल्यवान योगदान उपलब्‍ध होगा।

यह कार्यक्रम दूरसंचार और संचार मुद्दों के प्रति सहयोगात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देकर दूरसंचार विभाग और नागरिकों के बीच एक तालमेल स्थापित करना चाहता है।

संचार मित्र की भूमिकाएं:

  1. संचार साथी पोर्टल, ईएमएफ जागरूकता के लिए तरंग संचार पोर्टल, स्थानीय नंबरों के साथ अंतर्राष्ट्रीय नंबरों की रिपोर्ट करने के लिए टोल फ्री नंबर, स्पैम और संदिग्ध धोखाधड़ी संचार आदि जैसी व्यापक नागरिक केंद्रित सेवाओं पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
  2. जमीनी स्तर पर उनकी मूल भाषाओं में व्यापक पहुंच और जागरूकता नागरिकों के साथ अधिक भरोसेमंद व प्रभावी संबंध स्थापित करती है, जिससे की गई पहलों का प्रभाव बढ़ता है। इसके लिए कॉलेजों, गैर सरकारी संगठनों, ग्राम स्तर के उद्यमियों आदि के साथ समन्वय किया जाएगा।
  3. रिपोर्टिंग और प्रसार- स्वयंसेवक नागरिकों और दूरसंचार विभाग के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करेंगे। वे जाली या नकली मोबाइल कनेक्शन, खोए हुए उपकरणों और अन्य संबंधित मामलों की रिपोर्ट करने में नागरिकों की सहायता करेंगे। स्वयंसेवक नागरिकों को संचार साथी पोर्टल पर नेविगेट करने में मदद कर सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर मामलों को उचित अधिकारियों तक पहुंचाने में मदद करेंगे।
  4. फील्ड कार्यालयों और राज्य पुलिस के साथ समन्वय: स्वयंसेवक विभाग के फील्ड कार्यालयों और स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। वे जानकारी को सत्यापित करने, आवश्यक दस्तावेज़ उपलब्‍ध कराने और धोखाधड़ी या दुरुपयोग के मामलों को प्रभावी ढंग से निपटाने के लिए उचित सहयोग सुविधा उपलब्ध कराएंगे।
  5. डेटा संग्रह और अभिज्ञान: स्वयंसेवक मोबाइल सुरक्षा से संबंधित स्थानीय रुझानों और चुनौतियों के बारे में महत्‍वपूर्ण अभिज्ञान एकत्र कर सकते हैं। यह डेटा विभाग को विभिन्न राज्यों और समुदायों के सामने आने वाले विशिष्ट मुद्दों के समाधान के लिए अपनी रणनीतियों और नीतियों को तैयार करने में मदद कर सकता है।
  6. फीडबैक तंत्र: स्वयंसेवक एक फीडबैक तंत्र के रूप में कार्य कर सकते हैं, जो नागरिकों की चिंताओं, सुझावों और अनुभवों को विभाग तक पहुंचा सकते हैं। यह मौजूदा फीडबैक लूप संचार साथी पहल को परिष्कृत करने और इसे उभरती जरूरतों के अनुरूप ढालने में सहायता कर सकता है।

SOURCEhttps://pib.gov.in/

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