Up Lok Sabha Election: राहुल गांधी ने अमेठी छोड़कर रायबरेली क्यों गए? आवश्यकता या मजबूरी? क्या है कांग्रेस की रणनीति

Up Lok Sabha Election: राहुल गांधी ने अमेठी छोड़कर रायबरेली क्यों गए? आवश्यकता या मजबूरी? क्या है कांग्रेस की रणनीति

Up Lok Sabha Election: राहुल गांधी ने रायबरेली में अपना नामांकन दाखिल किया है। गांधी परिवार ने हमेशा यह सीट रखी है। राहुल से पहले उनकी मां सोनिया गांधी लगातार 20 सालों तक यहां से MP रही हैं

Uttar Pradesh Politics: पिछले कुछ दिनों से अमेठी और रायबरेली सीटों पर उम्मीदवारी को लेकर काफी चर्चा हुई है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को हल्का किया है, लेकिन रायबरेली चुनाव जीतने के बाद क्या राहुल इस सीट को खाली करेंगे? यहाँ से बहन प्रियंका को उपचुनाव में जिताकर संसद भेजेंगे? पार्टी महासचिव जयराम रमेश के ट्वीट से भी यही संकेत निकल रहे हैं।

हालाँकि, राहुल गांधी ने रायबरेली में अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। गांधी परिवार ने हमेशा यह सीट रखी है। राहुल से पहले उनकी मां सोनिया गांधी दो दशक तक यहां से सांसद थीं। अब वह राज्यसभा में हैं। यही कारण है कि अगर राहुल रायबरेली चुनाव जीतते हैं, तो वह अपनी मां से सियासी विरासत प्राप्त करेंगे। 2004 में भी वह अपनी मां की सिसासी विरासत के साथ अमेठी से पहली बार संसद भवन पहुंचे थे।

रायबरेली सीट पर सोनिया से पहले दो चुनाव जीत चुके हैं: उनकी सास और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, उनके पति और राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी। इंदिरा गांधी ने 1977 में आपातकाल के बाद हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की, लेकिन 1980 में फिर से चुनाव में उन्होंने बड़ी जीत हासिल की।

कांग्रेस की रणनीति क्या

वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में, राहुल को अमेठी छोड़कर फिर से मां की विरासत की राजनीति में प्रवेश करने के लिए कांग्रेस की रणनीति क्या है? विशेषज्ञों का कहना है कि राहुल गांधी और कांग्रेस ने ऐसा करके दो महत्वपूर्ण और सुरक्षित अवसरों को हासिल किया है. दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल को चेतावनी दी है कि वे भयभीत नहीं हों।

छीन लिया स्मृति ईरानी और भाजपा का सुनहरा मुद्दा

भाजपा की फायर ब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अमेठी में राहुल गांधी को हराया है, जो उनकी राजनीतिक लोकप्रियता का एक हिस्सा है। दूसरी बात यह है कि वह हर बार राहुल गांधी पर दोगुनी शक्ति से हमला करती रही हैं, लेकिन कांग्रेस ने भाजपा और स्मृति ईरानी का गोल्डन दांव 2024 के अमेठी चुनाव में विफल कर दिया है।

यदि राहुल गांधी इस सीट से फिर चुनाव लड़ते और हार जाते, तो भाजपा और ईरानी को लगता है कि उन्होंने लगातार दूसरी बार गांधी परिवार और राहुल गांधी को हराया है। इससे कांग्रेस और गांधी परिवार के खिलाफ देश में भी गलत संदेश जाता। किशोरी लाल शर्मा को हराने से स्मृति ईरानी को अब ख्याति और प्रसिद्धि नहीं मिल सकेगी और न ही राजनीतिक माइलेज मिल सकेगा।

कार्यकर्ताों को नया संदेश देने की कोशिश

किशोरी लाल शर्मा की अमेठी सीट की जीत भाजपा और देश को दिखाएगी कि कांग्रेस के एक छोटे से कार्यकर्ता ने भाजपा की कद्दावर मंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करीबी स्मृति ईरानी को हराया है। दूसरी बात, कांग्रेसियों को स्पष्ट रूप से पता चला है कि गांधी परिवार अपने गढ़ में भी एक आम कार्यकर्ता और पार्टी के निष्ठावान को अपनी विरासत की कुंजी दे सकता है। अमेठी के कांग्रेसियों में शर्मा के उतरने से पहले कुछ निराशा थी, लेकिन पार्टी ने अब उन्हें एक नया और सकारात्मक संदेश दिया है।

विरासत और गढ़ बरकरार 

कांग्रेस ने गांधी परिवार की संपत्ति को अमेठी से किशोरी लाल शर्मा जैसे विश्वासपात्र से बचाया है। याद रखें कि पंजाब से आने वाले किशोरी लाल शर्मा पहले राजीव गांधी और फिर सोनिया गांधी के लिए उनके संसदीय क्षेत्र का कार्यभार संभालते रहे हैं। वह अमेठी और रायबरेली दोनों स्थानों पर समान प्रभाव रखता है। वह गांधी परिवार के प्रति बहुत विश्वस्त हैं। दूसरी ओर, राहुल ने खुद रायबरेली सीट पर उतरकर पारिवारिक विरासत को बचाने की कोशिश की है और गांधी परिवार के लिए इस पद का महत्व बताया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मत है कि राहुल गांधी की जीत से दो फायदे हुए: एक सीट और विरासत की सुरक्षा। तीसरी बात यह हो सकती है कि राहुल गांधी यहां से इस्तीफा देकर अपनी बहन प्रियंका को विरासत सौंप दें। अभी ऐसा करने से भाजपा उन्हें वंशवादी बताती। भाजपा का वह दांव, जो अभी आम चुनाव के दौरान काम कर सकता था, प्रियंका को वायनाड से उप चुनाव में उतारने पर तब काम नहीं करेगा। कांग्रेस ने भाजपा की इस चाल को भी कम करने का प्रयास किया है।

केरल का गढ़ भी किया सुरक्षित

कांग्रेस का ध्यान 2026 में होने वाले केरल विधानसभा चुनाव पर है, इसलिए अगर राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली दोनों सीटों पर जीत हासिल करते हैं तो वे वायनाड सीट को बरकरार रखेंगे। 2019 के केरल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने का लाभ उठाया है। कांग्रेस ने केरल की 20 सीटों में से 15 पर जीत हासिल की, जबकि उसके यूडीएफ गठबंधन के अन्य सहयोगियों ने चार सीटें जीतीं। यानी ने 20 में से 19 सीट जीतीं।

इंडिया गठबंधन के लिए प्राण वायु

इसके अलावा, राहुल गांधी के यूपी में चुनाव लड़ने से भारत गठबंधन की ओर संकेत गया है। अब भी चुनाव के पांच चरण बाकी हैं, इसलिए अगर राहुल अमेठी या रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ते तो पूरे हिन्दी क्षेत्र में इंडिया अलायंस को कमजोर करने का सियासी संदेश जाता। उत्तर प्रदेश में ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार राहुल गांधी और कांग्रेस पर दबाव डाल रहे थे कि वे इन दो सीटों में से किसी एक पर चुनाव लड़ें।

 

 

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