महाराष्ट्र का कानून दिल्ली में क्यों लागू हुआ? AAP विधायक नरेश बाल्यान की समस्याएं बढ़ेंगी

महाराष्ट्र का कानून दिल्ली में क्यों लागू हुआ? AAP विधायक नरेश बाल्यान की समस्याएं बढ़ेंगी

Naresh Balyan, AAP विधायक, MCOCA: आम आदमी पार्टी के विधायक नरेश बाल्यान पर अवैध वसूली में गैंगस्टर की सहायता करने का आरोप लगाया गया है। उन पर मकोका  लगाया गया है।

Naresh Balyan, AAP विधायक, MCOCA: हाल ही में आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक नरेश बाल्यान को दस दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया। उन पर गैंगस्टर से बातचीत कर वसूली करने का आरोप लगाया गया है। उन्हें गैंगस्टर कपिल सांगवान की एक व्यापारी से की गई जबरन वसूली की मांग को हल करने में मदद की गई थी। इस मामले में बाल्यान की चुनौती बढ़ती नजर आती है। महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) के तहत उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। अब सवाल ये है कि दिल्ली में महाराष्ट्र का कानून क्यों लागू किया गया और बाल्यान की समस्याएं किस तरह बढ़ सकती हैं?

शिवसेना-बीजेपी सरकार ने पहली बार मकोका लाया।

आपको बता दें कि 1999 में शिवसेना और बीजेपी की गठबंधन सरकार ने महाराष्ट्र में मकोका लागू किया था। भारत में संगठित अपराध पर नकेल कसने वाला पहला राज्य कानून था मकोका। इसी कानून से मुंबई में अंतरराष्ट्रीय और संगठित अपराध को खत्म करने की कोशिश की गई।

2002 में दिल्ली में मकोका लागू हुआ

मकोका कानून इसके बाद कई राज्यों में लागू हुआ। राष्ट्रपति की मंजूरी न मिलने से इनमें से कई कानून लागू नहीं हो पाए। 2002 में दिल्ली में मकोका लागू किया गया था। यहां, सरकार कानून-व्यवस्था का नियंत्रण करती है। बता दें कि कर्नाटक और गुजरात में भी ऐसे कानून लागू हैं। गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (GSTOC) और कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (KCOCA) उनके नाम हैं। वहीं, राजस्थान और हरियाणा में संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक, 2023 पेश किया गया है। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश में 1986 का गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम है। यह शॉर्ट में गैंगस्टर एक्ट कहलाता है।

मकोका की शर्तें क्या हैं?

मकोका ने “संगठित अपराध” का अर्थ बताया है। इसके तहत हिंसा, धमकी या अन्य गैरकानूनी तरीकों का उपयोग कर अनुचित आर्थिक लाभ या उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले अपराध आते हैं। खास बात यह है कि भारत में आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए भी ये कानून बनाए गए हैं। मकोका में भी इसी तरह के प्रावधान हैं। टाडा, पोटा और मकोका के दौरान पुलिस हिरासत में दिए गए बयान सबूत के तौर पर मान्यता प्राप्त हैं। अपराधियों को इसके तहत 3 से 10 साल की जेल हो सकती है। वहीं एक लाख रुपये तक की सजा भी हो सकती है। मकोका संपत्ति को कुर्क कर सकता है।

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