राजस्थान में विजेता कौन होगा? सचिन पायलट या अशोक गहलोत?

राजस्थान में विजेता कौन होगा? सचिन पायलट या अशोक गहलोत?

कांग्रेस ने राजस्थान में बीजेपी को 10 साल बाद 11 सीटों पर मात दी है। सचिन पायलट के छह प्रत्याशी में से पांचों ने चुनाव जीता है। इस जीत से सचिन पायलट की लोकप्रियता कांग्रेस में बढ़ी है।

कांग्रेस ने राजस्थान में बीजेपी को 10 साल बाद 11 सीटों पर मात दी है। यह जीत इसलिए महत्वपूर्ण है कि कांग्रेस के प्रसिद्ध प्रचारक स्वयं प्रत्याशी थे। अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने प्रदेश में प्रचार का पूरा जिम्मा संभाला। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दस साल बाद कांग्रेस की वापसी और 8 प्रतिशत वोटों की बढ़ोतरी अच्छी खबर है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सचिन पायलट ने टिकट वितरण में अच्छा प्रदर्शन किया। पायलट के प्रशंसक हरीश मीणा ने चुनाव जीता है। किन्तु जयपुर ग्रामीण से अनिल चौपड़ा चुनाव हार गया है। श्रीगंगानगर में कुलदीप इंदौरा ने जीत हासिल की है। सियासी विश्लेषकों का कहना है कि एकजुट चुनाव अभियान और टिकट वितरण में पादर्शिता कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा कारण हैं।

पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस ने पांच में से चार सीटें जीतीं

कांग्रेस ने पूर्वी राजस्थान में अपनी जगह खोली है। जो कांग्रेस ने छह महीने पहले विधानसभा चुनाव में खो दिया था। कांग्रेस ने पूर्वी राजस्थान के दौसा, भरतपुर, करौली-धौलपुर और टोंक-सवाई माधोपुर सीटों पर बड़ी जीत हासिल की है। कांग्रेस अलवर में किनारे पर आकर हार गई है। कांग्रेस नेता ललित यादव अलवर में लगभग 48 हजार से अधिक वोटों से पराजित हो गए हैं। बता दें कि बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अलवर से एक लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार बीजेपी का 10 प्रतिशत वोट घट गया है। नतीजतन, बीजेपी 25 में से 14 में आकर सिमट गई है। पूर्वी राजस्थान की दो प्रमुख जातियों, गुर्जर और मीणा, कांग्रेस को बहुत अधिक वोट देते हैं, सियासी विश्लेषकों का कहना है। कांग्रेस पार्टी में सचिन पायलट का विस्तार माना जाता है। यही कारण है कि एक बार गुर्जर वोटर्स ने कांग्रेस को चुना है। जबकि एससी और मीणा मतदाताओं को संविधान को बदलने का भय था। यही कारण है कि कांग्रेस ने सबसे अधिक एससी-एसटी सीटें जीती हैं।

चुनाव में पायलट समर्थकों की जीत

भरतपुर से सचिन पायलट के समर्थक संजना जाटव ने चुनाव जीता है। पूर्वी राजस्थान में बीजेपी को इस बार कांग्रेस ने हराया है। सचिन पायलट को इसकी सबसे बड़ी वजह बताया जाता है। भरतपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने संजना जाटव को चुना। वे भी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की प्रत्याशी रही हैं। माना जाता है कि सचिन पायलट ने उन्हें टिकट दिलवाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कांग्रेस की इस सीट पर जीत से भी सचिन पायलट का सियासी दबदबा बढ़ने की संभावना है। ऐसे ही भजनलाल जाटव ने कांग्रेस के टिकट पर करौली-धौलपुर सीट पर चुनाव लड़ा है, जहां गुर्जर मतदाताओं की अधिकता है।जयपुर ग्रामीण सीट से कांग्रेस ने अनिल चोपड़ा को चुना। सचिन पायलट के करीबी दोस्त अनिल चोपड़ा हैं और पायलट ने उन्हें टिकट दिलवाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सचिन पायलट ने भी अनिल चोपड़ा के समर्थन में प्रचार अभियान में काफी मेहनत की। लेकिन 1600 से अधिक वोटों से हार गए।

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