प्रेग्नेंसी के दौरान Thyroid का बच्चे की सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है? जानें विस्तृत जानकारी।

प्रेग्नेंसी के दौरान Thyroid का बच्चे की सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है? जानें विस्तृत जानकारी।

प्रेग्नेंसी के दौरान Thyroid का बच्चे की सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है? जानें विस्तृत जानकारी।

गर्भावस्था के दौरान Thyroid की निगरानी बेहद जरूरी है, क्योंकि यह मां और बच्चे दोनों की सेहत को प्रभावित कर सकता है। यदि Thyroid की समस्या हो, तो समय पर जांच करवाकर उचित उपचार लेना आवश्यक है।

गर्भावस्था के दौरान Thyroid का संतुलित स्तर बनाए रखना आवश्यक है, क्योंकि यह बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास में अहम भूमिका निभाता है। अगर किसी गर्भवती महिला को Thyroid संबंधी समस्या होती है, तो यह शिशु के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। गले के सामने स्थित यह ग्रंथि हार्मोन का उत्पादन करती है, जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करते हैं। यदि ये हार्मोन अत्यधिक (हाइपरथायरॉइडिज्म) या बहुत कम (हाइपोथायरॉइडिज्म) मात्रा में बनते हैं, तो शरीर में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह असंतुलन नवजात के शारीरिक और मानसिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

यदि गर्भवती महिला को Thyroid की समस्या होती है, तो इसका प्रभाव शिशु पर पड़ सकता है। हालांकि, यदि इस समस्या का शुरुआती चरण में पता चल जाए, तो इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। Thyroid स्तर को संतुलित बनाए रखने पर नवजात पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से मासिक जांच करवाते रहना चाहिए, ताकि किसी भी शारीरिक समस्या का समय पर पता लगाया जा सके।

शिशु के स्वास्थ्य पर प्रभाव

 गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में Thyroid हार्मोन की उचित मात्रा शिशु के दिमागी विकास के लिए आवश्यक होती है। यदि Thyroid हार्मोन की कमी हो (हाइपोथायरॉइडिज्म), तो इससे मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है। वहीं, यदि महिला में यह स्तर बहुत कम हो, तो समय से पहले प्रसव (प्रीमैच्योर डिलीवरी) की संभावना बढ़ जाती है, जिससे शिशु के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

मिसकैरेज का खतरा

गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक थायरॉइड का स्तर गर्भपात (मिसकैरेज) की संभावना को बढ़ा सकता है। क्योंकि इस दौरान मां के शरीर में कई जैविक बदलाव होते हैं, और यदि थायरॉइड ग्रंथि अत्यधिक सक्रिय हो जाती है, तो इससे गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है।

शिशु में Thyroid की समस्या

यदि मां का थायरॉइड स्तर असंतुलित रहता है, तो यह बच्चे को भी प्रभावित कर सकता है और भविष्य में जेनेटिक समस्याओं की संभावना बढ़ सकती है। खासकर यदि गर्भावस्था के दौरान मां में कोई नई बीमारी विकसित हो रही हो, तो इसका प्रभाव शिशु पर पड़ना तय है। कुछ मामलों में, Thyroid असंतुलन के कारण नवजात का वजन सामान्य से कम हो सकता है।

Thyroid को कैसे नियंत्रित करें?

गर्भावस्था के दौरान Thyroid की समस्या होने पर घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि समय पर जांच और सही उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

  • नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह के अनुसार Thyroid टेस्ट करवाएं।
  • निर्धारित दवाइयों को सही समय और उचित मात्रा में लें।
  • आहार में आयोडीन युक्त और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें, क्योंकि ये थायरॉइड हार्मोन के संतुलन में सहायक होते हैं।
  • डॉक्टर के निर्देशानुसार नियमित व्यायाम करें, जिससे Thyroid का स्तर नियंत्रण में रहे।

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