<meta name="description" content="दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के सामने कई बड़ी चुनौतियां होंगी। दिल्ली में कई बड़ी योजनाएं पिछले सालों में ठप पड़ी हैं। इनमें पेयजल की पर्याप्त उपलब्धता मजबूत स्वास्थ्य ढांचा प्रदूषण कम करना पर्यटन को बढ़ावा देना सड़कों की दशा सुधारना नए फ्लाईओवर और कॉरिडोर बनाना शामिल है। क्या रेखा गुप्ता इन चुनौतियों का सामना कर पाएंगी?">

CM Rekha Gupta के सामने कौन-कौन सी चुनौतियां? दिल्ली में कई अहम योजनाएं रुकी हुई हैं

by editor
What are the challenges before CM Rekha Gupta? Many important schemes are stalled in Delhi

CM Rekha Gupta के सामने बड़ी चुनौतियां, दिल्ली की ठप योजनाओं को फिर से गति देने की जरूरत

दिल्ली की नई CM Rekha Gupta के सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियां खड़ी हैं। राजधानी में बीते कुछ वर्षों से कई अहम योजनाएं रुकी हुई हैं, जिनमें पेयजल आपूर्ति को सुचारू बनाना, स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करना, प्रदूषण नियंत्रण, पर्यटन को बढ़ावा देना, सड़कों की मरम्मत, नए फ्लाईओवर और कॉरिडोर का निर्माण शामिल है। अब देखना होगा कि रेखा गुप्ता इन चुनौतियों से कैसे निपटेंगी।

CM Rekha Gupta के सामने कई चुनौतियां, ठप पड़ी योजनाओं को पटरी पर लाने की जरूरत

दिल्ली की नई CM Rekha Gupta ने बृहस्पतिवार को अपनी कैबिनेट के साथ कार्यभार संभाल लिया और पहली बैठक भी आयोजित की। हालांकि, इसके साथ ही वर्षों से रुकी पड़ी योजनाओं का मुद्दा भी चर्चा में आ गया है। कई परियोजनाएं अधूरी रह गई हैं, जबकि कुछ पर अब तक काम शुरू नहीं हो पाया है। भाजपा सरकार के सामने इन योजनाओं को गति देने की बड़ी चुनौती होगी। इनमें पेयजल आपूर्ति, स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाना, प्रदूषण नियंत्रण, पर्यटन को बढ़ावा देना, सड़कों का सुधार और नए फ्लाईओवर व कॉरिडोर का निर्माण शामिल हैं।

सार्वजनिक परिवहन

दिल्ली में बसों की संख्या में बढ़ोतरी के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है। नई बसों के आने के साथ ही पुरानी बसें हटाई जा रही हैं, जिससे लोगों को बसों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। शहर की यातायात व्यवस्था पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

इसके अलावा, फूड ट्रक योजना की शुरुआत होनी थी, जिससे देर रात तक चौक-चौराहों पर स्ट्रीट फूड उपलब्ध कराया जा सके, लेकिन यह योजना अब तक अमल में नहीं आ पाई। इसी तरह, दिल्ली में 2,000 क्लाउड किचन स्थापित करने और डबल डेकर बसों को शुरू करने की योजना भी अभी तक कागजों में ही सिमटी हुई है।

दिल्ली शहरी सुधार एवं विकास बोर्ड (डूसिब)

दिल्ली में 36,000 फ्लैट वर्षों से तैयार पड़े हैं, लेकिन पिछली सरकार इन्हें गरीबों को आवंटित करने में असफल रही। प्रधानमंत्री आवास योजना भी दिल्ली में लागू नहीं की गई थी, जिससे झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग अपने पक्के घर पाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

स्वास्थ्य सेवाएं

दिल्ली में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) अब तक लागू नहीं हो पाई है, जिससे लगभग 10 लाख गरीब परिवार पांच लाख रुपये तक के स्वास्थ्य बीमा के लाभ से वंचित हैं। 2025 में इस योजना में 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को शामिल किया गया था, लेकिन योजना लागू न होने के कारण उन्हें भी कोई लाभ नहीं मिल पाया।

इसके अलावा, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना योजना भी दिल्ली में लागू नहीं हो सकी। यदि इसे लागू किया जाता है, तो राजधानी में 1,139 आयुष्मान आरोग्य केंद्र बनाए जा सकते हैं।

दिल्ली जल बोर्ड

दिल्ली सरकार ने 2015 तक 24 घंटे स्वच्छ जल आपूर्ति का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक यह हकीकत नहीं बन पाया है। कई अनधिकृत कॉलोनियों, झुग्गी बस्तियों और नियमित कॉलोनियों में रहने वाले लोग अभी भी टैंकरों से पानी खरीदने को मजबूर हैं।

वर्तमान में दिल्ली में 1,000 मिलियन गैलन (MGD) पानी उपलब्ध है, जबकि जरूरत 1,200 MGD की है। उपचारित अपशिष्ट जल का भी सही उपयोग नहीं हो पा रहा है—550 MGD में से सिर्फ 89 MGD का ही पुनः उपयोग हो रहा है। यमुना नदी की सफाई के लिए भी जल बोर्ड की मौजूदा योजनाओं को गति देने की जरूरत है।

लोक निर्माण विभाग (PWD)

दिल्ली में कई प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट अटके हुए हैं।

  • ईस्ट-वेस्ट सिग्नल फ्री एलिवेटेड कॉरिडोर की लंबाई 39 किलोमीटर से घटाकर 19 किलोमीटर कर दी गई है, लेकिन इसका निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो सका है।
  • नॉर्थ-साउथ सिग्नल फ्री कॉरिडोर को जखीरा से धौलाकुआं तक बनाने की योजना है, लेकिन इसे भी गति देने की जरूरत है।
  • मां आनंदमयी मार्ग पर सिग्नल फ्री एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण से इस मार्ग पर ट्रैफिक जाम से राहत मिल सकती है, लेकिन योजना अभी भी अधर में लटकी हुई है।

अस्पतालों के निर्माण में देरी

दिल्ली सरकार द्वारा चार नए अस्पतालों का निर्माण दिसंबर 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 80% काम होने के बावजूद यह प्रोजेक्ट अब तक पूरा नहीं हो सका है।

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