Vrat Savitri Shani Jayanti: शनिदेव का भोग, पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त जानने के लिए पंचग्रही योग में शनि जयंती, वट सावित्री व्रत

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Vrat Savitri Shani Jayanti: शनिदेव का भोग, पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त जानने के लिए पंचग्रही योग में शनि जयंती, वट सावित्री व्रत

Vrat Savitri Shani Jayanti: आज शनि जयंती और वट सावित्री व्रत है। सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत रखकर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। इसमें चार अलग-अलग योग बन रहे हैं।

आज शनि जयंती और वट सावित्री व्रत है। सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत रखकर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। इसमें चार अलग-अलग योग बन रहे हैं। पांच जून की रात 8 बजे से श्रीकृष्ण अमावस्या शुरू हुई और गुरुवार की सुबह 6:09 बजे तक चलेगी। सूर्योदय तिथि होने के कारण गुरुवार को ही वट सावित्री व्रत और शनि जयंती मनाई जाएगी।

लाइनपार कैल्टन स्कूल के पास स्थित हरि ज्योतिष संस्थान के ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि शनिदेव ने ज्येष्ठ अमावस्या को जन्म लिया था। इन्हें माता छाया और सूर्यदेव का पुत्र बताया जाता है। शनि देव इस बार स्वराशि कुंभ में रहेंगे क्योंकि इस दिन शनि जयंती है। इससे शश भी बनता है। चंद्रमा गुरु मेष राशि में होने से भी गजकेसरी योग बनेगा। शनि के जन्मदिन पर वृषभ राशि में बुध, सूर्य, शुक्र, गुरु और चंद्रमा मिलकर पंचग्रही योग बना रहे हैं।

शनिदेव का भोग:

ज्योतिर्विद ने कहा कि शनिदेव की जयंती पर काले तिल, इससे बनाई गई मिठाई, काली उड़द की दाल, इस दाल की खिचड़ी और अन्य काली चीजों का भोजन करना महत्वपूर्ण है। शनि की पूजा करने से साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा के बुरे प्रभाव कम होते हैं। शनिदेव प्रसन्न हो जाते हैं और कृपा करते हैं। इन उपायों को शुभ योग में करने से शनि दोष दूर होता है।

 यह पूजा करें:-अनुष्ठान

इस दिन शनि की पूजा, अनुष्ठान, पाठ और दान करने से शनि और पितृदोष की शांति मिलती है। शनि चालीसा, हनुमान चालीस और सुंदर कांड पढ़ना शनिदेव को प्रसन्न करता है।

मुहुर्त:—

अमृत काल सुबह 5:35 बजे से 7:16 बजे तक।

पूजन का शुभ मूहुर्त सुबह 8:56 बजे से 10:37 बजे तक।

 

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