Uttarakhand: प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट में उत्तराखंड का एक मंत्री शामिल हो गया है। इस बार उत्तराखंड के दलितों को मोदी मंत्रिमंडल में स्थान मिला है। अब अल्मोड़ा सांसद अजय टम्टा मंत्री हैं।
एक बार फिर, अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ से सांसद अजय टम्टा छिपे रुस्तम हैं। दरअसल, टम्टा ने मंत्री पद की दौड़ में बहुत से बड़े नामों और उम्मीदवारों को पीछे छोड़ दिया, इसके चार कारणों से।
1.भाजपा अध्यक्ष ने उत्तराखंड से दलित सांसद
Uttarakhand:अजय टम्टा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान देकर जातीय समीकरणों को साधने का प्रयास किया है। भाजपा देश भर में दलित और पिछड़े वर्गों का वोट पाना चाहती है।
संविधान और आरक्षण के मुद्दों को लेकर इस लोकसभा चुनाव में भाजपा पर निशाना साधा गया था, जिसमें कांग्रेस भी शामिल थी। भाजपा ने टम्टा को मंत्री बनाकर अपनी “मंशा” फैलाने का भरसक प्रयास किया है।
2. जीत की हैट्रिक और लगातार तीसरी बार आम चुनाव जीतने वाले अजय टम्टा,
उत्तराखंड के पांचों सांसदों में से एक हैं, जिनके मतों का अंतर पिछली बार से अधिक है। इसके विपरीत, इस बार अन्य सांसदों की जीत का अंतर घट गया है।
3. मुख्यमंत्री धामी और टम्टा के अच्छे संबंध
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अजय टम्टा के बीच काफी संबंध हैं, जो किसी से छिपा नहीं है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में भी उनकी मजबूत पकड़ है। मुख्यमंत्री धामी ने लोकसभा चुनाव में टम्टा को जीत दिलाने के लिए पूरी कोशिश की थी।
4. सौम्यता के चलते भाजपा हाईकमान की गुडबुक में शामिल
होकर दूसरी बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले टम्टा हाईकमान के विश्वसनीय नेताओं में से एक हैं। सौम्य व्यवहार की पहचान रखने वाले टम्टा, चुनाव पूर्व भाजपा के अनुशासित सिपाही होने का ही दावा करते रहे।
पार्टी अध्यक्ष के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि वह जीत के लिए पूरा दमखम लगाएंगे जो उम्मीदवार पार्टी चुनेगी।