Union Minister : श्री धर्मेंद्र प्रधान ने महिला नेताओं के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया

Union Minister : श्री धर्मेंद्र प्रधान ने महिला नेताओं के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया


Union Minister : यह कार्यशाला, राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दृष्टिकोण के अनुरूप, शिक्षा के हर स्तर पर महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर देती है

  • नारी शक्ति क्षमता, दृढता और आशा का प्रतीक है-श्री धर्मेंद्र प्रधान
  • महिलाएं तमाम बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ रही है और एसटीईएम सहित सभी क्षेत्रों में उनकी भागीदारी बढ़ रही है-श्री धर्मेंद्र प्रधान

Union Minister धर्मेंद्र प्रधान ने आज नई दिल्ली में यूजीसी द्वारा महिला नेतृत्‍व पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस कार्यशाला का विषय-‘महिला नेतृत्व: 2047 तक भारत को विकासशील बनाने के लिए शैक्षणिक उत्कृष्टता को आकार देना’ है। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार भी उपस्थित थे। शिक्षा मंत्रालय के सचिव श्री संजय कुमार, यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार, डीआरडीओ में एयरोनॉटिकल सिस्टम की महानिदेशक डॉ. राजलक्ष्मी मेनन, यूजीसी के उपाध्यक्ष प्रो. दीपक कुमार श्रीवास्तव, आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रंगन बनर्जी और देश भर से आए गणमान्य व्यक्ति भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

 

Union Minister धर्मेंद्र प्रधान ने अपने संबोधन में कहा कि यह कार्यशाला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दृष्टिकोण के अनुरूप शिक्षा के हर स्तर पर महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर देती है। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य यह दिखाना है कि कैसे महिलाएं उच्च शिक्षा में शैक्षिक मानकों को उन्‍नत रूप दे रही हैं और साथ ही उन्हें नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए तैयार और प्रेरित भी कर रही हैं।

Union Minister  प्रधान ने यह भी कहा कि नारी शक्ति क्षमता, दृढ़ता और आशा का प्रतीक है और महिलाओं के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करना भारतीय सभ्यता का एक अंतर्निहित मूल्य है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में सरकार ने किस तरह से महिलाओं के विकास से महिलाओं के नेतृत्व में विकास की ओर एक परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिए आगे बढ़कर नेतृत्व किया है।

मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि उभरती हुई नई विश्व व्यवस्था ज्ञान से प्रेरित होगी और महिलाएं तमाम चुनौतियों को तोड़कर निरंतर आगे बढ़ रही हैं, लैंगिक भूमिकाओं को चुनौती दे रही हैं और एसटीईएम सहित सभी क्षेत्रों में उनकी भागीदारी बढ़ रही है।Union Minister धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सभी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए समान अवसर स्थापित करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें विश्वास है कि कार्यशाला में विचार-विमर्श, संवाद और अनुभव साझा करने से इसके लिए एक रोडमैप मिलेगा।

श्री प्रधान ने इस बात पर जोर दिया कि महिला सशक्तिकरण का एक भारतीय मॉडल बनाया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि महिलाएं सभी निर्णय लेने वाली संरचनाओं और जीवन विकल्पों में शामिल हों।Union Minister ने कहा कि जैसे-जैसे हम विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे, नारी शक्ति अधिक निर्णय लेने वाली भूमिकाएं निभाएगी।

मंत्री महोदय ने कहा कि महिलाओं की समानता और सशक्तिकरण से ही हमारा समाज और राष्ट्र सशक्त हो सकता है।

अपने संबोधन में डॉ. सुकांत मजूमदार ने विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शिक्षा में महिला नेतृत्व के महत्व पर जोर दिया। मैत्रेयी और गार्गी जैसी प्राचीन अग्रणी महिलाओं के साथ-साथ डॉ. सौम्या स्वामीनाथन जैसी वर्तमान वैज्ञानिकों का जिक्र करते हुए  उन्होंने बताया कि कैसे महिलाएं अकादमिक उत्कृष्टता को आकार देने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। महिला सकल नामांकन अनुपात का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भविष्य में इसमें और वृद्धि होने की संभावना है। उन्होंने प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम-यूएसएचए) जैसी पहलों के महत्व का भी उल्लेख किया जो नीतियों में लैंगिक समावेशिता पर ध्यान केंद्रित करती है। उन्‍होंने यह भी कहा कि सरकार की वाइज-किरण और दीक्षा (ज्ञान साझा करने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचा) पहल ने महिलाओं को शिक्षा और अनुसंधान में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाया है। समाज की तुलना एक पक्षी से करते हुए उन्होंने देश के सर्वांगीण विकास और विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इसके दोनों पंखों-पुरुषों और महिलाओं को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।

श्री संजय कुमार ने अपने संबोधन में नेतृत्व विकसित करने के लिए विविधता के महत्व पर जोर दिया और देश भर में जीवन के सभी क्षेत्रों और मुख्य रूप से विज्ञान में महिलाओं को शामिल करके नेतृत्व में अधिक विविधता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। भारत में एसटीईएम शिक्षा में महिलाओं की सबसे अधिक भागीदारी को देखते हुए उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि को इसकी स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए नीति द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के विकसित भारत के दृष्टिकोण को दोहराते हुए उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत महिलाओं के नेतृत्व में एक विकसित राष्ट्र बनेगा।

पूरे दिन प्रतिभागियों के साथ जुड़कर महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा का नेतृत्व करने वाले प्रतिष्ठित लोगों में शामिल हैं: श्रीमती लक्ष्मी अय्यर, लार्सन एंड टुब्रो में संयुक्त महाप्रबंधक (उद्योग-अकादमिक साझेदारी का महत्व और उच्च शिक्षा में नेतृत्व को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका); श्रीमती वंदना भटनागर, आईआईएम जम्मू में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की सदस्य (संस्थागत विकास और विकास में नेतृत्व अनुभव और योगदान); श्रीमती गीता सिंह राठौर, महानिदेशक, राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (शिक्षा में डेटा संचालित नेतृत्व और नीतियों को आकार देने पर इसका प्रभाव); डॉ. सोनल मानसिंह, पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता और संसद सदस्य, राज्यसभा (2018-2024); डॉ. राजलक्ष्मी मेनन, महानिदेशक, एयरोनॉटिकल सिस्टम, डीआरडीओ, डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता (2047 तक विकसित भारत के लिए उच्च शिक्षा नेतृत्व में महिलाओं का भविष्य); आईआईटी मद्रास, जंजीबार परिसर की प्रभारी निदेशक प्रो. प्रीति अघालयम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में महिला नेतृत्व-एसटीईएम); आईबीएम इनोवेशन सेंटर फॉर एजुकेशन में सलाहकार और कार्यक्रम विकास प्रमुख श्री संजीव मेहता (स्वस्थ कार्य-जीवन संतुलन के साथ नेतृत्व जिम्मेदारियों को संतुलित करने की रणनीति); और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य डॉ. शमिका रवि (नेतृत्व भूमिकाओं में महिलाओं के लिए परामर्श और नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म का सृजन करना)।

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