PM Kisan Registry की अगली किस्त पाने के लिए किसान रजिस्ट्री से जरूर संपर्क करें, नहीं तो पैसा नहीं मिलेगा।

PM Kisan Registry की अगली किस्त पाने के लिए किसान रजिस्ट्री से जरूर संपर्क करें, नहीं तो पैसा नहीं मिलेगा।

 Kisan Registry: यदि आप चाहते हैं कि आपके खाते में पीएम किसान की अगली किस्त क्रेडिट हो, तो आपको इस महीने किसान रजिस्ट्री करनी पड़ेगी। इसके बिना आपको पीएम किसान का पैसा नहीं मिलेगा।

 Kisan Registry: यह खबर है कि उत्तर प्रदेश में करीब 1.87 करोड़ पीएम किसानों के लाभार्थियों को काम मिल गया है। यदि आप चाहते हैं कि आपके खाते में पीएम किसान की अगली किस्त क्रेडिट हो, तो आपको इस महीने किसान रजिस्ट्री करनी पड़ेगी। इसके बिना आपको पीएम किसान का पैसा नहीं मिलेगा। अगली किस्त अगस्त से नवंबर तक चलेगी। PM Farmers पोर्टल पर 12 करोड़ से अधिक कृषक पंजीकृत हैं। मोदी सरकार इस योजना के तहत किसानों को तीन समान 2000-2000 रुपये की किस्तों में कुल 6000 रुपये देती है।

किसान रजिस्ट्री के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है: किसान का आधार नंबर खतौनी मोबाइल नंबर, जो आधार से लिंक है, फार्मर रजिस्ट्री के लिए आवश्यक है। सभी प्रक्रियाएं पूरी होने पर किसान को एक विशिष्ट नंबर दिया जाएगा। रजिस्ट्रेशन कंप्लीट होने के बाद किसान गोल्डन कार्ड बनेगा।

किसान रजिस्ट्री कैंप लगाकर होगी: वास्तव में, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सभी सरकारी योजनाओं को किसानों को एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग कर रही है। 1 जुलाई से किसान रजिस्ट्री अभियान पूरे राज्य में शुरू हो गया है। प्रदेश में कैम्प लगाकर किसानों को एक अलग ID दी जाएगी।

हर खेत की एक यूनिक ID बनेगी

यह हर किसान के खेत का एक आईडी बनाएगा। हर किसान के परिवार का विवरण इसमें होगा। जिससे किसानों को किसी भी सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए कभी कोई जांच नहीं करनी होगी। अगर कोई भी किसान और उसके परिवार का नाम दर्ज नहीं होगा, तो उसे पीएम किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त से वंचित कर दिया जाएगा। यह भी किसान रजिस्ट्री से सरकार को पता चलेगा कि किस किसान के खेत में फसल नहीं बोई गई है।

कृषि रजिस्ट्री के लाभ

इसके माध्यम से सरकार के डिजिटल तंत्र में यह दर्ज होगा कि किस किसान ने किस सीजन में कौन सी फसल कितने रकबे में बोई है और कब बोई गई है। इससे किसान कभी भी सरकार के माध्यम से कृषि वैज्ञानिकों से यह जानकारी ले सकेंगे कि उन्हें फसल में कब कितना खाद, पानी और दवा आदि देनी है। इससे सरकार को किसी गांव में विभ‍िन्न फसलों के संभावित उत्पादन एवं वास्तविक उत्पादन के सटीक आंकड़ें मिल सकेंगे।

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