Sharad Purnima पर लक्ष्मी पूजन बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन लाभ होगा। ऐसे में आइए जानते हैं, इस दिन लक्ष्मी पूजन और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त।
Sharad Purnima को कोजागरी और कौमुदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा के अलावा राधा-कृष्ण, सरस्वती माता, शिव-पार्वती और विष्णु-लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात्रि को ब्रज की गोपियों के साथ रासलीला की थी। हिंदू धर्म में ये पवित्र दिनों में से एक हैं, और इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान है। इस दिन, लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान करते हैं। अब आइए जानते हैं कि शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त कब होगा और किस समय स्नान करना चाहिए।
शरद पूर्णिमा स्नान-दान और लक्ष्मी पूजन मुहूर्त
शरद पूर्णिमा आश्विन की पूर्णिमा है। इस दिन सही मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन करने से धन-धान्य और सुख मिलेंगे। इसके साथ ही स्नान दान का बहुत महत्व है।
साल 2024 में शरद पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर की रात्रि में 8 बजकर 40 मिनट पर शुरू हो जाएगी। पूर्णिमा तिथि 17 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। वैसे तो हिंदू धर्म में उदया तिथि की बड़ी मान्यता है, लेकिन शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र पूजन किया जाता है और 16 अक्टूबर की रात्रि में ही पूर्णिमा तिथि रात्रि की होगी, इसलिए शरद पूर्णिमा की पूजा 16 की रात्रि में करना ही शुभ माना जाएगा।
लक्ष्मी पूजन का समय: 16 अक्टूबर की रात्रि में 11:42 से लेकर 12:32 तक (इसी समय पर आप माता सरस्वती का पूजन भी कर सकते हैं)
स्नान करने का समय: 16 पूर्णिमा की रात्रि 8 बजे 40 मिनट से शुरू होगा। 17. शाम तक पूर्णिमा रहेगी। 17 तारीख को आप सुबह स्नान करने के बाद शाम को दान कर सकते हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजन का महत्व
शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा पूजन और लक्ष्मी पूजन दोनों बहुत महत्वपूर्ण हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता लक्ष्मी इस दिन प्रकट होती हैं। भक्त उनकी पूजा विधि-विधान से करते हैं। धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि इस दिन माता लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। इसलिए शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजन का बहुत महत्व है। इस दिन चंद्रमा चंद्रमा भी 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं और उनकी किरणों से अमृत की वर्षा होती है। यही वजह है कि, भक्त इस दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर रखते हैं और अगले दिन लक्ष्मी पूजन में इस खीर को माता को अर्पित करते हैं। इसके साथ ही भक्त इस खीर को प्रसाद के रूप में स्वयं भी ग्रहण करते हैं। खीर खाने से स्वास्थ्य लाभ भक्तों को प्राप्त होता है।