Vikat Sankashti Chaturthi Fast: विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत श्री गणेश को समर्पित है। ये व्रत माताएं रखती हैं ताकि उनका बच्चा लंबे समय तक जीवित रहे।
आज वैशाख की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है, इसलिए विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा।विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत श्री गणेश को समर्पित है। ये व्रत माताएं रखती हैं ताकि उनका बच्चा लंबे समय तक जीवित रहे। इस दिन गणेश भगवान और चंद्र देव भी पूजे जाते हैं। आइए जानें विकट संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, उपाय, सूर्योदय समय, गणेश आरती और व्रत पारण की सही विधि।
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
पूजा-विधि
1- भगवान गणेश जी का जलाभिषेक करें
2- गणेश भगवान को पुष्प, फल चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं
3- तिल के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं
4- विकट संकष्टी चतुर्थी की कथा का पाठ करें
5- ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें
6- पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की आरती करें
7- चंद्रमा के दर्शन करें और अर्घ्य दें
8- व्रत का पारण करें
9- क्षमा प्रार्थना करें
चाँद निकलने का टाइम
अप्रैल 27 को 10 बजे 23 मिनट पर चंद्रोदय होगा। चांद निकलने का समय अलग-अलग शहरों में अलग हो सकता है। चंद्रदर्शन और पूजा करने के बाद ही व्रत पूरा होता है।
उपाय
गणेश चालीसा का पाठ करें
मंत्र- ॐ गणेशाय नमः
व्रत का पारण कैसे करें?
विकट संकष्टी चतुर्थी के व्रत का पारण करने के अगले दिन, तामसिक भोजन से बचें और केवल सात्विक भोजन या फलाहार ही लें। संकष्टी चतुर्थी में व्रत खोलने के लिए चंद्रमा को देखना और पूजना आवश्यक है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत को पूरा माना जाता है। चंद्रोदय के बाद, अपनी सुविधानुसार अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें और अपनी इच्छा के लिए पूजा करें।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥