Pind daan tithi 2024: पितृ पक्ष हर वर्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से सर्व पितृ अमावस्या तक मनाया जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस समय तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है।
Pind daan tithi 2024: हिंदू धर्म में पित्र का बहुत महत्व है। पितृ पक्ष हर वर्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से सर्व पितृ अमावस्या तक मनाया जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस समय तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है। मान्यता है कि इससे पितरों को मोक्ष मिलता है और उनका ऋण चुकता होता है। 15 दिनों के पितृ पक्ष में सर्व पितृ अमावस्या का अंतिम दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में आइए जानते हैं पितृ पक्ष की तिथि, श्राद्ध कैलेंडर और इसका महत्व।
सर्व पितृ अमावस्या
भाद्रपद पूर्णिमा हर वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत होती है और सर्व पितृ अमावस्या इसका अंतिम दिन होता है। 17 सितंबर, मंगलवार को इस वर्ष भाद्रपद की पूर्णिमा शुरू होगी और 2 अक्टूबर, बुधवार को सर्व पितृ अमावस्या को समाप्त होगी।
श्राद्ध कैलेंडर
- 17 सितंबर मंगलवार, भाद्रपद पूर्णिमा, पूर्णिमा श्राद्ध
- 18 सितंबर बुधवार, अश्विन कृष्ण प्रतिपदा, प्रतिपदा श्राद्ध
- 19 सितंबर बृहस्पतिवार, आश्विन कृष्ण द्वितीया, द्वितीया श्राद्ध
- 20 सितंबर शुक्रवार, अश्विन कृष्ण तृतीया, तृतीया श्राद्ध
- 21 सितंबर शनिवार, अश्विन कृष्ण चतुर्थी, महाभरणी नक्षत्र, चतुर्थी श्राद्ध
- 22 सितंबर रविवार, अश्विन कृष्ण पंचमी, पंचमी श्राद्ध
- 23 सितंबर सोमवार, अश्विन कृष्ण षष्ठी, षष्ठी श्राद्ध
- 23 सितंबर सोमवार, आश्विन कृष्ण सप्तमी, सप्तमी श्राद्ध
- 24 सितंबर मंगलवार, आश्विन कृष्ण अष्टमी, अष्टमी श्राद्ध
- 25 सितंबर बुधवार, अश्विन कृष्ण नवमी, नवमी श्राद्ध
- 26 सितंबर बृहस्पतिवार, अश्विन कृष्ण दशमी, दशमी श्राद्ध
- 27 सितंबर शुक्रवार, अश्विन कृष्ण एकादशी, एकादशी श्राद्ध
- 29 सितंबर रविवार, अश्विन कृष्ण द्वादशी, द्वादशी श्राद्ध
- 29 सितंबर रविवार, अश्विन मघा नक्षत्र, मघा श्राद्ध
- 30 सितंबर सोमवार, अश्विन कृष्ण त्रयोदशी, त्रयोदशी श्राद्ध
- 1 अक्टूबर मंगलवार, अश्विन कृष्ण चतुर्दशी, चतुर्दशी श्राद्ध
- 2 अक्टूबर बुधवार, सर्वपितृ अमावस्या, अमावस्या श्राद्ध
पितृ पक्ष का महत्व
पितृ पक्ष का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। यह समय पितरों के प्रति सम्मान प्रकट करने का माना जाता है। पितरों को इस समय मोक्ष की प्राप्ति होती है, और जातकों को पितृ दोष से भी छुटकारा मिलता है, अगर वे तर्पण, श्राद्धकर्म और पिंडदान करते हैं। मृत्यु के बाद, यमराज मृतक की आत्मा को पंद्रह दिनों के लिए मुक्त करते हैं, ताकि वह अपने परिजनों के पास जाकर तर्पण कर सकें। 15 दिनों के दौरान पितर परिजनों के पिंडदान और श्राद्ध से अपना भाग लेने आते हैं और फिर वापस स्वर्ग चले जाते हैं।