Delhi Elections में बीजेपी के प्रचार की जिम्मेदारी अब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभाल ली है। हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद, योगी अब दिल्ली में बीजेपी के स्टार प्रचारक की भूमिका निभा रहे हैं। तो आइए समझते हैं, योगी की एंट्री बीजेपी के लिए कैसे गेमचेंजर साबित हो सकती है।
Delhi Elections की तारीख नजदीक आ चुकी है, और इसी बीच बीजेपी के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार में अपनी एंट्री कर ली है। प्रचार के दौरान सीएम योगी ने अरविंद केजरीवाल को खुली चुनौती दी, जिसका बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर बीजेपी को Delhi Elections में योगी की जरूरत क्यों महसूस हुई? क्या उनकी एंट्री से चुनाव के नतीजों में कोई बड़ा बदलाव होगा? क्या योगी बीजेपी के लिए दिल्ली में जीत का रास्ता आसान बना पाएंगे? आइए, इस रिपोर्ट में इन सवालों का जवाब तलाशते हैं।
योगी ने केजरीवाल की ‘परेशानी’ क्यों बढ़ा दी?
Delhi Elections प्रचार के दौरान योगी आदित्यनाथ ने हिंदुत्व का मुद्दा जोर-शोर से उठाया है। उन्होंने कहा कि जब मैं एक मुख्यमंत्री के रूप में संगम में स्नान कर सकता हूं, तो अरविंद केजरीवाल अपने मंत्रियों के साथ यमुना में स्नान क्यों नहीं कर सकते? यह चुनौती खास तौर पर इसलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि केजरीवाल ने हिंदू वोटबैंक को साधने के लिए पुजारियों और ग्रंथियों को 18,000 रुपये मासिक वेतन देने का वादा किया है। ऐसे में योगी की इस चुनौती ने केजरीवाल की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
योगी की रैली से बीजेपी को क्या लाभ हो सकता है?
2020 के Delhi Elections में, सीएम योगी ने 4 दिनों में 14 रैलियां की थीं। इन रैलियों में महरौली, उत्तम नगर, द्वारका, तुगलकाबाद, विकासपुरी, रोहिणी, करावल नगर, आदर्शनगर, ओखला और बदरपुर जैसी महत्वपूर्ण सीटें शामिल थीं। इन सभी सीटों पर बीजेपी का वोट शेयर काफी बढ़ा था। 2015 में बीजेपी को 33.12% वोट मिले थे, जबकि 2020 में बीजेपी ने 47.07% वोट शेयर हासिल कर दिल्ली की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
आगामी चुनाव के लिए क्या है रणनीति?
Delhi Elections ,योगी आदित्यनाथ इस बार भी दिल्ली में 14 रैलियों और जनसभाओं को संबोधित करेंगे, और 23 जनवरी से उनके चुनाव प्रचार की शुरुआत हो चुकी है। हाल ही में सीएम योगी ने 3 रैलियां कीं, जिसमें उन्होंने हिंदुत्व के एजेंडे को प्रमुखता से रखा। हरियाणा चुनाव की तरह योगी ने “बटेंगे तो कटेंगे” का नारा नहीं दिया, लेकिन मंच पर लगे पोस्टरों में “एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे, बटेंगे को कटेंगे” का नारा जरूर दिखाई दिया। इस बीच यह कयास लगाए जा रहे हैं कि दिल्ली में हिंदू वोटों को एकजुट करने के लिए योगी को चुनावी मैदान में उतारा गया है। हालांकि, बीजेपी का यह फॉर्मूला कितना सफल होगा, इसका निर्णय 8 फरवरी को चुनाव परिणामों के बाद ही होगा।