Sita Navami 2024: सीता नवमी को जानकी नवमी और सीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है। सिया-राम को इस दिन पूरी श्रद्धा से पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और सुख-सौभाग्य मिलता है।
Siddharth Navami 2024: में वैशाख महीने की शुल्क पक्ष नवमी तिथि पर सीता नवमी मनाई जाएगी। सीता नवमी को मां सीता के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। सीता नवमी को जानकी नवमी और सीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है। सिया-राम को इस दिन पूरी श्रद्धा से पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और सुख-सौभाग्य मिलता है। आइए सीता नवमी की कहानी, पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र और उपाय जानते हैं।
पूजा-विधि
सीता नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थान को साफ करके गंगाजल से पवित्र कर लें। भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें। रोली, चंदन, अक्षत, फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप आदि अर्पित करें। सीता नवमी व्रत कथा का पाठ करें। इसके बाद माता सीता और भगवान राम की आरती गाएं। माता को भोग लगाएं। फिर व्रत रखें और पूरे दिन भगवान का ध्यान करें। शाम को फिर से पूजा करें और लोगों को प्रसाद बांटे।
मंत्र- श्री जानकी रामाभ्यां नमः
श्री सीताय नमः
माता सीता की जन्म कथा
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, एक बार मिथिला में भयंकर सूखा पड़ा था। इससे राजा जनक बेहद परेशान थे। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें एक ऋषि ने यज्ञ करने और खुद धरती पर हल चलाने का मंत्र दिया। राजा जनक ने अपनी प्रजा के लिए यज्ञ करवाया और फिर धरती पर हल चलाने लगे। तभी उनका हल धरती के अंदर किसी वस्तु से टकराया। मिट्टी हटाने पर उन्हें वहां सोने की डलिया में मिट्टी में लिपटी एक सुंदर कन्या मिली। जैसे ही राजा जनक सीता जी को अपने हाथ से उठाया, वैसे ही तेज बारिश शुरू हो गई। राजा जनक ने उस कन्या का नाम सीता रखा और उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया।
सीता नवमी का शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि प्रारम्भ – मई 16, 2024 को 06:22 ए एम बजे
नवमी तिथि समाप्त – मई 17, 2024 को 08:48 ए एम बजे
सीता नवमी मध्याह्न का क्षण – 12:18 पी एम
सीता नवमी मध्याह्न मुहूर्त – 10:56 ए एम से 01:39 पी एम
अवधि – 02 घण्टे 43 मिनट्स
उपाय
पति-पत्नी अपने रिश्ते को मधुर बनाने के लिए सीता नवमी के दिन सीता-राम की जोड़ें में एकसाथ पूजा करें और माता को 16 शृंगार का सामान अर्पित करें। वहीं, सुख-समृद्धि बढ़ाने के लिए इस दिन सीता चालीसा और जानकी स्तोत्र का पाठ करें।